अंतरराष्ट्रीय ट्रेड यूनियन कनफेडरेशन के सम्मेलन में उठा मोदी सरकार की श्रमिक विरोधी नीतियों का मुद्दा

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6 सितंबर। पिछले दिनों थाईलैंड के फुकेट में हुए इंटरनेशनल ट्रेड यूनियन कनफेडरेशन के सम्मेलन में भारत से भी प्रतिनिधि शामिल हुए। इस अवसर पर एचएमएस यानी हिन्द मजदूर सभा के राष्ट्रीय महामंत्री हरभजन सिंह सिद्धू ने भारत में श्रमिकों और किसानों के हितों पर संगठित रूप से हो रहे हमलों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने “ईज आफ डूइंग बिजनेस” यानी कारोबारी सुगमता के नाम पर 29 श्रम कानूनों को, जो दशकों के संघर्ष से हासिल किये गए थे, रद्द कर दिया है, और उनके स्थान पर चार लेबर कोड बना दिए हैं जो केवल कंपनियों के मालिकों और प्रबंधकों को रास आते हैं।

मालिक और मैनेजर हमेशा से यह चाहते रहे हैं कि श्रम कानून इतने लचर बना दिये जाएं कि वे जब चाहे तब कामगार/कर्मचारी को नौकरी से निकाल सकें। उनकी यह मुराद मोदी सरकार ने पूरी कर दी है। नए लेबर कोड के तहत मजदूरों के लिए यूनियन बनाना, सभा/सम्मेलन करना, हड़ताल करना, कार्यस्थल पर सुरक्षा की मांग करना, फैक्टरियों का निरीक्षण वगैरह बहुत मुश्किल बना दिया गया है। श्री सिद्धू ने सम्मेलन में यह भी बताया कि भारत के केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों और साढ़े पांच सौ किसान संगठनों के मंच संयुक्त किसान मोर्चा ने मिलकर किसानों और कामगारों का साझा संघर्ष चलाने का निश्चय किया है।

श्री सिद्धू ने बताया कि 37 देशों के श्रमिक नेताओं ने हमारे साझा घोषणापत्र के समर्थन में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया और यह निर्णय लिया कि वे हमारे समर्थन में संबंधित देशों में भारतीय दूतावासों पर प्रदर्शन करेंगे और विरोध-पत्र देंगे।

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