23 सितंबर। पूर्वांचल में सोशलिस्ट तहरीक के हरावल दस्ते के एक नायक दलसिंगार दुबे के घर जन्म लेने वाले प्रोफेसर सत्यमित्र दुबे के इंतकाल की खबर मिली। उनके जाने से समाजवादी विचार दर्शन के प्रमुख व्याख्याकार तथा बौद्धिक जगत में उसके प्रचार-प्रसार के प्रमुख नुमाइंदे को आज हमने खो दिया है।
तालीमी दुनिया में देश-विदेश में अपने ज्ञान, तार्किक मीमांसा से उन्होंने हमेशा रोशन किया है। शैक्षणिक जगत में भी बड़े से बड़ा पद यानी वाइस चांसलर जैसे पद को भी नवाजा है। सोशलिस्ट विचारधारा के आधार पर समसामयिक घटनाक्रमों पर निरंतर लेखन, खंडन मंडन करके रोशनी प्रदान किया करते थे। डॉ राममनोहर लोहिया के दार्शनिक ग्रंथ ‘व्हील आफ हिस्ट्री’, ‘मार्क्स, गांधी एंड सोशलिज्म’, जैसे ग्रंथों पर खुलासा भी किया। साहित्य अकादेमी द्वारा डॉ राममनोहर लोहिया पर आयोजित सेमिनार में डॉ लोहिया पर उन्होंने बहुत ही विचारोत्तेजक लेख प्रस्तुत किये थे।
समाजशास्त्र विषय पर उन्होंने अनेकों लेख, पुस्तकें लिखीं। सोशलिस्ट वैचारिकी पर जब कभी आलोचना, हमला होता तो प्रोफेसर दुबे उसका प्रतिकार करने से कभी चूकते नहीं थे।
उनकी एक बड़ी खूबी यह भी थी कि इल्मी दुनिया में अपनी धाक के साथ-साथ वे एक जमीनी स्तर के सोशलिस्ट की भूमिका भी बखूबी निभाते थे। दिल्ली में जब कभी जलसा जुलूस, वैचारिकी, बहस, शिक्षण शिविर, जयंती आयोजित की गई, हमेशा उसमें उन्होंने एक कार्यकर्ता, सत्याग्रही, आंदोलनकारी के रूप में हिस्सा लिया। उनकी शख्सियत की एक बड़ी खूबी यह भी थी कि अपने अनुज साथियों के साथ भी उनका व्यवहार हमेशा दोस्ताना ही होता था।
हिंदुस्तान के बड़े नामवर सोशलिस्ट नेताओं से उनके बहुत ही नजदीकी रिश्ते भी रहे परंतु उन्होंने कभी भी उसका नाजायज इस्तेमाल नहीं किया। पिछले अनेक सालों से मेरा उनसे निकट का रिश्ता बना हुआ था। अदब और मोहब्बत उनकी खासियत थी। उनके जाने से सचमुच में सोशलिस्ट तहरीक को धक्का पहुंचा है।
मैं अपने श्रद्धा सुमन उनकी याद में अर्पित करता हूं।
– राजकुमार जैन
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