अक्सर 1941-42 श्यामाप्रसाद मुखर्जी की हिन्दू महासभा के फ़ज़ल-उल-हक़ की पार्टी के साथ मिलकर सरकार् बनाने पर कहा जाता है कि हक़ कृषक प्रजा पार्टी में थे। सच: फ़ज़ल-उल-हक़ वह व्यक्ति थे जिन्होंने 1940 में मुस्लिम लीग की लाहौर कॉन्फ्रेंस में पाकिस्तान का प्रस्ताव रखा था। वायसराय की डिफेंस काउंसिल से निकलने के जिन्ना का आदेश न मानने पर उन्हें लीग से निकाला गया तो नई पार्टी बनाई लेकिन विभाजन के पक्ष में रहे।
यानी सावरकर और मुखर्जी की पार्टी ने विभाजन का प्रस्ताव पेश करने वाले फ़ज़ल-उल-हक़ के साथ बंगाल में सरकार बनाई थी।
फिर किस मुंह से बात करते थे अखंड भारत की? पाखंडी यह भी बता दूँ कि वह आज़ाद पाकिस्तान में 5 साल पूर्वी पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल रहे और फिर मुख्यमंत्री।
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