कुंभ में मृत्यु स्नान और संघ

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— जागृति राही —

खाड़ों से लेकर बाबाओं के आश्रम बड़ी सी जमीन पर काबिज हैं वीआईपी लोगों के लिए सारी व्यवस्था बना रखी थी, पुल तक श्रद्धालुओं के लिए बंद थे , 144 साल बाद आया मौका बोल कर अमृत स्नान के लिए आम लोगों को प्रेरित किया गया, प्रचार के दौरान लगातार बेहतर सुविधाओं का दावा किया गया और उसके बाद लावारिस हालत में भगदड़ में दम तोड़ रही जनता को उसके हाल में छोडकर प्रशासन का प्रयास घटना को छुपाने और मृतकों की संख्या घटाने में था मगर सवाल यह है कि इस सबके बीच “संघ” और उसके “स्वयंसेवक” कहां थे ? पुलिस नौकरशाही तो चलो वीआईपी लोगों की देखभाल में व्यस्त थी, उनकी संख्या भी सीमित है लेकिन दुनिया का सबसे बड़ा हिन्दू धर्म का रख वाला संघ कहा है?

जवाब है कहीं नहीं थे।

सवाल तो यह है कि जिन मुसलमानों को कुंभ में ना आने देने की घोषणा की गई, यहां तक की उनकी सुरक्षा को लेकर धमकी दी गई, उनके कुंभ में आर्थिक बहिष्कार का ऐलान किया गया, कुंभ में उनके आधार चेक करने की घोषणा की गई, वही मुसलमान यह सारा अपमान भूल कर कुंभ में आए श्रद्धालुओं को हाथों हाथ ले लिए और परेशान श्रृद्धालुओं के लिए अपना घर , मस्जिद, मदरसे , इमामबाड़े और स्कूल कालेज सब खोल दिए और उनके लिए खाने पीने और सोने की व्यवस्था करवाई, उसकी तस्वीरें और वीडियो पूरी दुनिया में फैल गयीं।

मगर सवाल तो वही है कि हिंदुओं का ठेकेदार बनने वाला दुनिया का सबसे बड़ा संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कहां है ? और उस दिन कहां था ?

कहीं नहीं है, अपने को सांस्कृतिक संगठन कहने वाला राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन में आई त्रासदी में कहीं नहीं है, यहां तक कि उसका मुख्यालय सिविल लाइंस स्थित एक इंटर कालेज का मुख्य गेट भी श्रृद्धालुओं की मदद के लिए नहीं खुला।

यह आंखों देखी प्रयाग से लोगों ने बतायी है.

झूठ और प्रोपगंडा फैलाने के सिद्धहस्त इस संगठन ने कुंभ में सेवा के नाम पर बस यह घोषणा 25 जनवरी को कर दी कि उसके 16000 स्वयं सेवक यातायात व्यवस्था में प्रशासन के साथ मिलकर सहयोग करेंगे मगर यह भी सिर्फ घोषणा भर ही हुई, मुझे पूरे शहर और कुंभ क्षेत्र में एक भी स्वयं सेवक नहीं दिखा।

दरअसल अपने को सांस्कृतिक संगठन कहता हुआ संघ केवल और केवल भाजपा की चुनावी मशीन है और इनके स्वयं सेवक सेवा करने की जगह वोटर लिस्ट का एक पन्ना लिए भाजपा के लिए केवल वोट सुनिश्चित करतें हैं।

कुंभ जैसे आयोजन में आई त्रासदी से भी इनका कोई लेना-देना नहीं, ना मदद करती कोई तस्वीर सामने है। होती तो ज़रूर सामने आती , सोशल मीडिया ऐसी तस्वीरों से पट गया होता, क्योंकि उनसे बड़ा IT सेल पूरी दुनिया में कहीं नहीं है , मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक ऐसी तस्वीरें शेयर कर रहे होते।

दावा किया जा रहा है कि मौनी अमावस्या के दिन 6 जगह भगदड़ हुई और सैकड़ों लोग मारे गए, कम से कम तीन जगहों झूंसी , फाफामऊ और संगम नोज के तो वीडियो सामने आ गये , तमाम यूट्यूबर स्टिंग करके मौतों के आंकड़े को 70 पार ले जाने की बात कर रहे हैं, तमाम लाशें चुपचाप उनके परिजनों को देकर बिना पोस्टमार्टम के ही उनके घरों के लिए रवाना कर दिया गया है , शहर में तमाम और भी अफ़वाहें हैं कि जेसीबी का प्रयोग करके तट के किनारे….

कुंभ में आए 1800 लोग अभी तक लापता हैं, 10 खोया पाया केंद्र के बावजूद वह नहीं मिल रहें हैं , शहर में लोगों को रोते बिलखते देखा जा सकता है मगर इस सब में संघ कहीं नहीं है, वह सिर्फ दंगों वाली जगहों पर नारेबाजी करते दिखाई देंगे।

संघ केवल मुहल्ले में दुर्गा पूजा कमेटी और रामलीला कमेटी में दिखाई देता है और इनके जुलूस में उसकी सक्रियता मस्जिद मदरसों को देखते ही तेज़ हो जाती है।

कुंभ में मुसलमान होते तो वह वहां भी निश्चित रूप से दिखाई देता, मदद करते नहीं नफ़रत फैलाते हुए। मगर कुंभ की इस त्रासदी में आब संघ कहीं नहीं है , उसके स्वयं सेवक कहीं नहीं है ……..

कुंभ हिंदुओं का पर्व है , प्रदेश में हिंदुत्व को सर्वोपरि मानने वाली सरकार है , केंद्र में हिंदू शिरोमणि का राज है , पर्व का पूरा का पूरा यानी शत प्रतिशत प्रबंध हिंदुओं के हाथ में है , हिंदू ही इस पर्व में मारे गए हैं। हिंदुओं ने ही अनगिनत हिंदुओं के शवों को छिपाया है , हिंदुओं की ही मौतों को नकारा या कम करके बताया जा रहा है, कुछ साधु-संत भी हिंदुओं की मौतों और पीड़ा को छिपाने में सहयोग कर रहे हैं जबकि शंकराचार्य गुस्से में है और मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। साधू संत के आश्रम के गेट हिंदुओं के लिए ही क्यों बंद हैं क्यों नहीं वो घोषणा करने की हिम्मत कर रहे हैं कि कुम्भ की व्यवस्था अब हमारे हवाले कीजिए क्या उनके followers केवल अंधभक्त हैं उनको सेवा की शिक्षा नहीं मिली है गुरु की आज्ञा से?और इतनी बड़ी त्रासदी में संघ क्यों नहीं सरकारों से सवाल पूछने की हिम्मत कर रहा है?कुंभ में आए श्रद्धालुओं के लिए अपनी जिम्मेदारी से क्यों मुह मोड़ रहा है?

मेरा सवाल यह है कि 24X7 हिंदुत्व की पताका लिए काम करने वाला गोदी मीडिया सैकड़ों हिंदुओं के मरने पर कहां है ? बंटेंगे तो कटेंगे कहने वाले से पूछना शुरू कीजिए कहां हैं वो और उनका मठ ?

सवाल वही है कि संघ कहां है? जवाब कोई संघ चालक देगा?


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