— परिचय दास —
जगदीप छोकर का व्यक्तित्व और कृतित्व भारतीय लोकतंत्र के संवर्धन के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक अध्याय की तरह अंकित है। वे केवल सामाजिक कार्यकर्ता नहीं थे बल्कि समाज के भीतर व्याप्त भ्रष्टाचार, अराजकता और असमानता के विरुद्ध एक प्रत्यक्ष संघर्ष का प्रतीक थे। उनका समर्पण निष्पक्ष लोकतंत्र और सामाजिक न्याय को स्थापित करने में केंद्रित रहा। चोकर का दृष्टिकोण वैज्ञानिक, व्यावहारिक और समर्पित था। उन्होंने समझा कि लोकतंत्र केवल चुनाव के दिन मत देने तक सीमित नहीं रह जाता बल्कि यह एक सतत प्रक्रिया है, जिसमें पारदर्शिता, जवाबदेही और नागरिक जागरूकता का होना अनिवार्य है।
छोकर ने समाज की उन कमजोर कड़ियों की आवाज़ बनकर उठ खड़े होने का साहस दिखाया जिन्हें समय के पहिए ने पीछे धकेल दिया था। उनका संघर्ष किसी राजनीतिक महत्त्वाकांक्षा के लिए नहीं था बल्कि एक नैतिक जिम्मेदारी की तरह था। उन्होंने यह मान्यता दी कि राजनीतिक दल स्वयं को स्वच्छंद और जवाबदेह नहीं मान सकते। इसके लिए उन्होंने एडीआर (Association for Democratic Reforms) की स्थापना की, जिसका उद्देश्य राजनीतिक प्रणाली में पूरी पारदर्शिता लाना था। उनकी पहल से ही सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया कि सभी चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को अपनी संपत्ति, शिक्षा और आपराधिक पृष्ठभूमि का खुलासा करना अनिवार्य करना होगा। यह कदम भारतीय लोकतंत्र में एक क्रांतिकारी बदलाव के रूप में देखा गया।
छोकर ने भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई। वे जानते थे कि यदि भ्रष्टाचार को राजनीतिक प्रणाली में पनपने दिया गया तो लोकतंत्र की जड़ें कमजोर हो जाएंगी। उन्होंने चुनावी फंडिंग की अनियमितताओं को उजागर किया और राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी को स्पष्ट करने के लिए कई कानूनी याचिकाएँ दायर कीं। उनका यह मानना था कि चुनावी बांड योजना जैसे विवादित प्रावधान भारतीय लोकतंत्र के आदर्शों के खिलाफ हैं। इसी कारण उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में इस योजना को चुनौती दी, जिससे राजनीतिक दलों को अनाम रूप से दान प्राप्त करने से रोका जा सके। उनका संघर्ष निर्णायक साबित हुआ क्योंकि कई बार सुप्रीम कोर्ट ने इस योजना पर रोक लगा दी।
छोकर का यह भी विश्वास था कि लोकतंत्र तभी सशक्त बनता है जब प्रत्येक नागरिक जागरूक और सशक्त हो। इसी दृष्टि से उन्होंने मतदाता जागरूकता अभियानों का आयोजन किया। NOTA विकल्प के समर्थन में उनका बलिदान इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह विकल्प मतदाता को एक नया अधिकार देता है—अपने असंतोष को व्यक्त करने का। उन्होंने इसे लोकतंत्र की मजबूती का एक आवश्यक अंग माना।
शोधकर्ता होने के नाते छोकर ने समाजशास्त्रीय दृष्टि से भारतीय राजनीति के दोषों का विश्लेषण किया। उन्होंने न केवल समस्याओं को उजागर किया बल्कि उनके वैज्ञानिक समाधान भी प्रस्तुत किए। उनका लेखन सहज और स्पष्ट था जो आम जनता से संवाद करता था। वे न केवल विचार प्रस्तुत करते थे, बल्कि उनके विचारों को व्यवहारिक क्रियाओं में बदलने का प्रयास करते थे। उनका यह कृतित्व केवल ऐतिहासिक घटनाओं तक सीमित नहीं था बल्कि यह भविष्य के लिए भी एक मिसाल है।
उनके व्यक्तित्व में निष्पक्षता, साहस और ईमानदारी थी। उन्होंने कभी सत्ता का चक्र नहीं अपनाया। उनके लिए सत्ता का मतलब कभी व्यक्तिगत स्वार्थ नहीं रहा, बल्कि जनता की सेवा था। उनकी सोच लोकतंत्र के आदर्शों पर आधारित थी। उनका मानना था कि लोकतंत्र तभी जीवित रहता है, जब उसके नागरिक जागरूक, सशक्त और न्यायप्रिय हों। उन्होंने यह समझाया कि लोकतंत्र केवल कानून के शब्दों में नहीं बल्कि व्यवहार में ही प्रकट होता है और इसी उद्देश्य के लिए उन्होंने अनगिनत संघर्ष किए।
जगदीप छोकर का महाप्रयाण भारतीय लोकतंत्र के लिए एक अपूरणीय क्षति है। लेकिन उनके विचार, उनके अनुसंधान, और उनके द्वारा किए गए आंदोलनों का प्रभाव आज भी विद्यमान है। उनके प्रयासों से अनेक कानूनी सुधार हुए, अनेक नागरिक अधिकार सुरक्षित हुए। उनके संघर्ष की गूंज आने वाली पीढ़ियों को लोकतंत्र के प्रति जागरूक करती रहेगी। उनकी यह विरासत भारतीय समाज के लिए अनमोल योगदान के रूप में हमेशा याद रखी जाएगी।
जगदीप छोकर भारतीय चुनाव सुधार आंदोलन के एक प्रमुख स्तंभ और लोकतंत्र की पारदर्शिता के लिए समर्पित कार्यकर्ता थे। उन्होंने चुनावी प्रक्रिया में सुधार, भ्रष्टाचार पर नियंत्रण और नेताओं की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए कई महत्त्वपूर्ण पहल कीं। उनका योगदान भारतीय राजनीति में एक मील के पत्थर के रूप में याद किया जाएगा।
जगदीप छोकर ने 1999 में ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ (ADR) की स्थापना की, जिसका उद्देश्य चुनावी प्रक्रिया में सुधार और राजनीतिक पारदर्शिता लाना था। ADR ने कई महत्वपूर्ण कानूनी लड़ाइयाँ लड़ीं, जिनमें से प्रमुख हैं:
2002 में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय: इस निर्णय के तहत उम्मीदवारों को चुनावी हलफनामे में अपनी आपराधिक पृष्ठभूमि, संपत्ति और शैक्षिक योग्यता का खुलासा करना अनिवार्य किया गया।
2013 में ‘नोटा’ विकल्प की शुरुआत: इस फैसले के माध्यम से मतदाताओं को ‘नोटा’ (None of the Above) का विकल्प दिया गया, जिससे वे किसी भी उम्मीदवार को न चुनने का अधिकार प्राप्त कर सके।
2013 में लिली थॉमस केस: इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आपराधिक मामलों में दोषी ठहराए गए नेताओं को तुरंत अयोग्य घोषित करने का आदेश दिया।
2024 में चुनावी बांड योजना का निरसन: ADR ने चुनावी बांड योजना को चुनौती दी जिसके परिणामस्वरूप सुप्रीम कोर्ट ने इसे असंवैधानिक घोषित किया क्योंकि यह राजनीतिक दलों को अनाम दान प्राप्त करने की अनुमति देता था।
जगदीप छोकर का मानना था कि भारतीय राजनीति में भ्रष्टाचार और आपराधिक तत्वों का प्रभाव बढ़ता जा रहा है। उन्होंने हमेशा इस बात की वकालत की कि राजनीतिक दलों को अपनी आंतरिक लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को मजबूत करना चाहिए और नेताओं को जनता के प्रति जवाबदेह ठहराना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा था, “कोई भी राजनीतिक दल दोषमुक्त नहीं है।”
उनकी सक्रियता और संघर्ष ने भारतीय लोकतंत्र को मजबूत किया और चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका योगदान भारतीय राजनीति में एक उज्जवल उदाहरण के रूप में हमेशा याद रहेगा।
जगदीप छोकर का निधन भारतीय लोकतंत्र के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनकी प्रतिबद्धता, संघर्ष और योगदान भारतीय राजनीति में हमेशा जीवित रहेगा।
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