26 को दिल्ली के बार्डरों पर उमड़ेंगे किसान, दूर के राज्यों में होंगी महापंचायतें

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United kisan morcha

9 नवंबर। मंगलवार को सिंघू मोर्चा पर संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक हुई। इस बैठक में 26 नवंबर को और उसके बाद दिल्ली मोर्चों पर और पूरे देश में, ऐतिहासिक किसान संघर्ष का एक साल पूरा होने को व्यापक रूप से मनाने का फैसला किया गया। 26 नवंबर संविधान दिवस भी है, जब भारत का संविधान 1949 में संविधान सभा द्वारा अपनाया गया था। 26 नवंबर को पिछले साल मजदूर वर्ग द्वारा आयोजित अखिल भारतीय हड़ताल का भी एक वर्ष पूरा होगा।

26 नवंबर को पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान से दिल्ली के सभी मोर्चों पर भारी भीड़ जुटेगी। एसकेएम के सभी किसान संगठन इस अवसर पर किसानों को पूरी ताकत से लामबंद करेंगे। उस दिन वहां विशाल जनसभाएं होंगी। इस संघर्ष में अब तक 650 से अधिक किसान शहीद हुए हैं, उन्हें श्रद्धांजलि दी जाएगी।

राज्यों में होंगी महापंचायतें

एसकेएम ने दिल्ली की सीमाओं पर इस संघर्ष की पहली वर्षगांठ के तहत 26 नवंबर को राज्यों की राजधानियों में बड़े पैमाने पर महापंचायतों का आह्वान किया है। ये महापंचायतें 26 नवंबर को भारत के सभी राज्यों की राजधानियों में किसानों, श्रमिकों, कर्मचारियों, खेतिहर मजदूरों, महिलाओं, युवाओं और छात्रों की व्यापक भागीदारी के साथ आयोजित की जा सकती हैं, सिवाय उन राज्यों को छोड़कर जो दिल्ली की सीमाओं पर लामबंद होंगे।

संसद के सामने होगा प्रतीकात्मक प्रदर्शन

29 नवंबर से दिल्ली में संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होगा। एसकेएम ने निर्णय लिया है कि 29 नवंबर से संसद के इस सत्र के अंत तक 500 चयनित किसान, राष्ट्रीय राजधानी में विरोध करने के अपने अधिकार का इजहार करने के लिए, ट्रैक्टर ट्रॉलियों में हर दिन शांतिपूर्ण और पूरे अनुशासन के साथ संसद जाएंगे, ताकि इस अड़ियल, असंवेदनशील, लोक-विरोधी, और कारपोरेट-समर्थक भाजपाकी केंद्र सरकार पर दबाव बढ़ाया जा सके, और उसे उन मांगों को मानने के लिए बाध्य किया जा सके, जिन मांगों के लिए देशभर के किसानों ने एक साल से ऐतिहासिक संघर्ष किया है।

लखीमपुर मामले में एक और खुलासा

लखीमपुर खीरी हत्याकांड की एक फोरेंसिक जांच से पता चला है कि घटना में आशीष मिश्रा टेनी और उसके सहयोगी की बंदूक से गोली चलायी गयी थी। यह संयुक्त किसान मोर्चा के दावे की पुष्टि करता है कि किसानों पर गोली चलायी गयी थी, और स्पष्ट रूप से केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे का दोष साबित करता है। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर अपनी सुनवाई में, “एक व्यक्ति की रक्षा” करने के लिए यूपी सरकार के प्रयासों की ओर इशारा भी किया था। मामले के तथ्य अब पूरी तरह से स्थापित हो गए हैं। फिर भी मोदी और योगी सरकार, बेशर्मी से मंत्री और उनके बेटे को बचा रही है। एसकेएम ने एक बार फिर अजय मिश्रा टेनी की बर्खास्तगी और गिरफ्तारी, और सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच की अपनी मांग दोहरायी है।

हरियाणा के हांसी में धरना जारी

नारनौंद में, हांसी के एसपी कार्यालय के बाहर अनिश्चितकालीन धरना दूसरे दिन भी जारी है और प्रशासन दो किसानों के खिलाफ काले झंडे दिखाने के लिए मामले को वापस लेने और भाजपा सांसद राम चंदर जांगड़ा के खिलाफ मारपीट का मामला दर्ज करने को तैयार नहीं है। मामले में न्याय की मांग को लेकर हजारों किसान और किसान नेता धरने में शामिल हुए। भाजपा सांसद रामचंद्र जांगड़ा के खिलाफ मामला दर्ज करने से प्रशासन के इनकार के बाद कल किसान नेताओं और प्रशासन के बीच वार्ता टूट गयी थी। इस बीच, घटना में गंभीर रूप से घायल हुए किसान कुलदीप सिंह राणा अपने जीवन के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

28 नवंबर को मुंबई में किसान महापंचायत

28 नवंबर को मुंबई के आजाद मैदान में एक विशाल किसान-मजदूर महापंचायत का आयोजन किया जाएगा। यह आयोजन संयुक्त शेतकारी कामगार मोर्चा (एसएसकेएम) के बैनर तले महाराष्ट्र के 100 से अधिक संगठनों द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया जाएगा। 28 नवंबर को महान समाज सुधारक महात्मा ज्योतिराव फुले की पुण्यतिथि के रूप में मनाया जाता है। महापंचायत सभी मोर्चों पर मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार की मुखालफत करेगी और मेहनतकश लोगों के ज्वलंत मुद्दों को उठाएगी, जिसमें कृषि कानूनों और श्रम संहिताओं को निरस्त करना, उचित एमएसपी की गारंटी देनेवाला केंद्रीय कानून बनाने की मांग, डीजल, पेट्रोल और रसोई गैस की कीमत को आधा करना, और निजीकरण पर रोक और चंद रुपयों के लिए देश की सम्पत्ति को बेचना शामिल है। सभी लखीमपुर खीरी शहीद कलश यात्राएं, जो 27 अक्टूबर को पुणे से शुरू हुई थीं, और अब पूरे राज्य में विभिन्न किसान संगठनों द्वारा उत्साहजनक स्वागत के बीच ले जायी जा रही हैं, 27 नवंबर को मुंबई में एकत्रित होंगी। उस दिन, शहीद कलश यात्रा शिवाजी पार्क में छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा, चैत्य भूमि में डॉ बीआर आंबेडकर के स्मारक, शहीद बाबू जेनू (जिन्हें 1930 में मुंबई में एक ब्रिटिश-चालित ट्रक द्वारा कुचल दिया गया था, जब उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान ब्रिटिश कपड़े का विरोध किया था) के स्मारक, और मंत्रालय के पास महात्मा गांधी की प्रतिमा, पर श्रद्धांजलि अर्पित करेगी।

एक गौरतलब अध्ययन

पंजाबी विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के पूर्व प्रोफेसर लखविंदर सिंह और पंजाबी विश्वविद्यालय के गुरु काशी परिसर, बठिंडा में सामाजिक विज्ञान के सहायक प्रोफेसर बलदेव सिंह शेरगिल द्वारा लिखे गए एक अध्ययन से पता चला है कि कृषि आंदोलन में मरनेवाले अधिकांश किसान छोटे और सीमांत किसान थे। अपनी जान गंवाने वालों के स्वामित्व वाले खेत का औसत रकबा 2.26 एकड़ है। यह अध्ययन इस बार-बार होने वाले दावे को खारिज करता है कि कृषि आंदोलन के पीछे अमीर किसान हैं।

भुखमरी और अन्न भंडार

हाल ही में एक आरटीआई रिपोर्ट से पता चला है कि अक्टूबर 2021 तक, भारत में 33 लाख से अधिक बच्चे कुपोषित हैं, जिनमें से 18 लाख बच्चे गंभीर रूप से कुपोषित हैं। भयावह रूप से, नवंबर 2020 और अक्टूबर 2021 के बीच संख्या में 91% की वृद्धि हुई है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5 के आंकड़ों के पहले दौर में इसी तरह से पता चला था कि भारत में कुपोषण पिछले पांच वर्षों (2015-16 और 2019-20 के बीच) के दौरान बढ़ा था। एक अन्य रिपोर्ट में, ग्लोबल हंगर इंडेक्स का उपयोग करते हुए भारत को भूख और कुपोषण के मामले में 116 देशों में से 101वें स्थान पर रखा गया था। इस बीच, सरकार देश में भूख की भयावह स्थिति को बेशर्मी से नकारती रही है। यह ध्यान देने योग्य है कि लोगों को भोजन उप्लब्ध करवाने के लिए एफसीआई के स्टॉक में पर्याप्त खाद्यान्न पड़ा है, लेकिन सरकार इथेनॉल उत्पादन के लिए उपलब्ध खाद्यान्न का उपयोग करने की योजना बना रही है जिससे देश की खाद्य सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी।

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