26 अप्रैल। ट्रेड यूनियनों की संयुक्त अभियान समिति से जुड़े श्रम संगठनों और संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े किसान संगठनों ने शुक्रवार को संविधान दिवस के मौके पर इंदौर में विरोध सभा और प्रदर्शन किया। गौरतलब है कि संयुक्त किसान मोर्चा और केंद्रीय श्रम संगठनों ने आज देशभर में विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया था, उसी के तहत इंदौर में भी यह आयोजन हुआ। प्रदर्शन का आयोजन इंटक, एटक, एचएमएस, सीटू ,सेवा, बैंक व बीमा कर्मचारी संगठन, अखिल भारतीय किसान सभा, किसान सभा (अजय भवन), किसान संघर्ष समिति,किसान खेत मजदूर संगठन, उषा व आशा आंगनवाड़ी कार्यकर्ता यूनियन एवं इंदौर के सभी ट्रेड यूनियन तथा किसान संगठनों ने किया। प्रदर्शन में बड़ी संख्या में गांधी हॉल में श्रम संगठनों के कार्यकर्ता और श्रमिक तथा किसान जुटे।
गांधी हॉल में हुई विरोध सभा को संबोधित करते हुए विभिन्न वक्ताओं ने कहा कि एक साल के शांतिपूर्ण किसान आंदोलन ने यह साबित किया है कि संगठित और गांधीवादी तरीके से किए गए आंदोलन के सामने हर एक तानाशाह सरकार को झुकना ही पड़ेगा। किसान और मजदूरों की एकजुटता ने सांप्रदायिकता को भी पराजित किया है।
सभा को सर्वश्री रामस्वरूप मंत्री, अरुण चौहान, रुद्रपाल यादव, लक्ष्मी नारायण पाठक, हरिओम सूर्यवंशी, अरविंद पोरवाल, मोहन कृष्ण शुक्ला, सोनू शर्मा, भागीरथ कछवाय, अजीत पवार, सुभाष शर्मा, कविता सोलंकी आदि ने संबोधित किया। सभा का संचालन कैलाश लिंबोदिया ने किया।
सभा के बाद गांधी हॉल से कमिश्नर कार्यालय तक जुलूस निकला तथा जुलूस में शामिल लोगों ने कमिश्नर कार्यालय पर बड़ी देर तक नारेबाजी की। प्रदर्शन और जुलूस का नेतृत्व सर्वश्री श्याम सुंदर यादव, रामस्वरूप मंत्री, सीएल सर्रावत, सोहनलाल शिंदे, अरुण चौहान, कविता सोलंकी आदि ने किया।
संभाग आयुक्त के माध्यम से राष्ट्रपति के नाम दिए गए ज्ञापन में मांग की गयी है कि प्रधानमंत्री की घोषणा के अनुसार तीनों कृषि कानूनों को अविलंब संसद द्वारा खारिज किया जाए। चारों श्रम संहिता को तत्काल समाप्त किया जाए। बिजली संशोधन विधेयक को वापस लिया जाए। सभी कृषि उत्पादों को एमएससी के दायरे में लाया जाए और एमएसपी से कम खरीद पर व्यापारी को जेल भेजने का प्रावधान किया जाए। देश की सार्वजनिक संपत्ति रेलवे, बीएसएनएल सहित तमाम कंपनियों को निजी हाथों में सौंपने का हम विरोध करते हैं और इस पर तत्काल रोक लगाने की मांग करते हैं। आयकर भुगतान के बाहर वाले परिवारों को ₹7500 की आर्थिक और खाद सहायता प्रतिमाह दी जाए। मनरेगा के लिए आवंटन में वृद्धि और शहरी क्षेत्रों में रोजगार गारंटी योजना का विस्तार किया जाए। सभी अनौपचारिक क्षेत्र के कामगारों के लिए सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा लागू की जाए। आंगनवाड़ी, आशा, मध्याह्न भोजन और अन्य जन हितैषी योजनाओं में काम करनेवाले कार्यकर्ताओं के लिए वैधानिक न्यूनतम वेतन और सामाजिक सुरक्षा का प्रावधान किया जाए।महामारी के दौरान लोगों की सेवा करनेवाले फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं के लिए उचित सुरक्षा और बीमा सुविधाएं प्रदान की जाएं। राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने और सुधारने के लिए धन-कर आदि के माध्यम से अमीरों पर कर लगाकर कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य महत्त्वपूर्ण सार्वजनिक उपयोगिताओं में सार्वजनिक निवेश में वृद्धि की जाए। पेट्रोलियम उत्पादों पर लगाए गए असीमित केंद्रीय उत्पाद शुल्क और राज्य सरकार के करों में कमी कर मूल्य वृद्धि को रोकने के लिए ठोस उपाय किए जाएं। जीवनोपयोगी वस्तुओं के बढ़ते भावों को रोकने के लिए सरकार तत्काल कदम उठाए।
– रामस्वरूप मंत्री
संयोजक, संयुक्त किसान मोर्चा, इंदौर