3 दिन। उत्तर प्रदेश में महिला सुरक्षा के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दावों की पोल खुद राष्ट्रीय महिला आयोग के आंकड़ों ने ही खोलकर रख दी है। 2021 में देश में महिलाओं के खिलाफ अपराध के रिकॉर्ड मामले दर्ज हुए हैं और सीएम योगी के दावे के उलट इनमें आधे से ज्यादा केस यूपी से हैं। राष्ट्रीय महिला आयोग के आंकड़ों को देखने से यह भी पता चलता है कि न केवल उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ आधे से ज्यादा केस दर्ज किये गये बल्कि यूपी और अन्य राज्यों से आए मामलों की संख्या में 4 गुना से ज्यादा का अंतर है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के करीब 31 हजार मामले दर्ज किये गये हैं। 2014 के बाद इतने ज्यादा मामले कभी देखने नहीं आए। इन 31000 केसों में से 50 फीसद से ज्यादा मामले अकेले उत्तर प्रदेश में दर्ज किए गए हैं। राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) के आंकड़ों के मुताबिक, 2020 की तुलना में 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराध करीब 30 प्रतिशत ज्यादा दर्ज किये गये। 2020 में महिलाओं के खिलाफ अपराध से जुड़े कुल 23,722 केस दर्ज किये गये, जबकि 2021 में यह संख्या बढ़कर 30,684 तक पहुंच गयी। इनमें सबसे ज्यादा 11,013 केस महिलाओं के सम्मान ‘राइट लिव विद डिग्निटी’ से जुड़े हैं, वहीं 6633 घरेलू हिंसा और 4589 केस दहेज से जुड़े रहे। इन अपराधों की लिस्ट में उत्तर प्रदेश सबसे ऊपर रहा। 2021 में दर्ज की गयी कुल 30,684 शिकायतों में आधे से भी ज्यादा 15,828 उत्तर प्रदेश से सामने आयीं। इसके बाद दिल्ली का नंबर आता है जहां पर 3336 शिकायतें आयीं, महाराष्ट्र 1504, हरियाणा 1460 और बिहार में 1456 मामले सामने आये।
इन आंकड़ों को देखने पर यह भी पता चलता है कि न केवल उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ आधे से ज्यादा केस दर्ज किये गये बल्कि यूपी और अन्य राज्यों से आए मामलों की संख्या का भी अंतर देखिए। जहां यूपी में 15,828 शिकायतें आयीं तो वहीं दूसरे नंबर पर रही दिल्ली में 3336 मामले ही आए। तीसरे नंबर पर रहे महाराष्ट्र से 1504 मामले आए। इससे समझा जा सकता है कि यूपी में महिलाओं के खिलाफ मामले अन्य राज्यों की तुलना में कितने ज्यादा रहे। 2021 में जुलाई से सितंबर तक हर महीने करीब 3100 मामले सामने आए। इससे पहले एक महीने में 3000 शिकायतें नवंबर 2018 में सामने आयी थीं। उस वक्त ‘मी टू मूवमेंट’ अपने पीक पर था।
घरेलू हिंसा व दहेज उत्पीड़न के 10 हजार से अधिक मामले
महिलाओं ने सबसे ज्यादा शिकायतें दीं कि उन्हें सम्मान के साथ रहने नहीं दिया जा रहा। इस दौरान उनका मानसिक शोषण बहुत हुआ। इसके बाद घरेलू हिंसा फिर दहेज उत्पीड़न की शिकायतों के मामले रहे। राष्ट्रीय महिला आयोग के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 30,864 शिकायतों में से, अधिकतम 11,013 केस महिलाओं के सम्मान ‘राइट लिव विद डिग्निटी’ से जुड़े हैं, वहीं 6633 घरेलू हिंसा और 4589 केस दहेज से जुड़े रहे। इन अपराधों की लिस्ट में उत्तर प्रदेश सबसे ऊपर रहा। 2021 में दर्ज की गयी कुल 30,684 शिकायतों में आधे से भी ज्यादा 15,828 उत्तर प्रदेश से सामने आयीं। इसके बाद दिल्ली का नंबर आता है जहां पर 3336 शिकायतें आयीं, महाराष्ट्र 1504, हरियाणा 1460 और बिहार में 1456 मामले सामने आए।
इन आंकड़ों को देखने पर यह भी पता चलता है कि न केवल उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ आधे से ज्यादा केस दर्ज किए गए बल्कि यूपी और अन्य राज्यों से आए मामलों की संख्या की भी अंतर देखिए। जहां यूपी में 15,828 शिकायतें आईं तो वहीं दूसरे नंबर पर रही दिल्ली में 3336 मामले ही आए। तीसरे नंबर पर रहे महाराष्ट्र से 1504 मामले आए। इससे समझा जा सकता है कि यूपी में महिलाओं के खिलाफ मामले अन्य राज्यों की तुलना में कितने ज्यादा रहे। 2021 में जुलाई से सितंबर तक हर महीने करीब 3100 मामले सामने आए। इससे पहले एक महीने में 3000 शिकायतें नवंबर 2018 में सामने आई थीं। उस वक्त मीटू मूवमेंट अपने पीक पर था।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार ये दावा करते रहे हैं कि उन्होंने उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ घरेलू अपराध को कम किया और महिलाओं को सम्मान दिलाया है। लेकिन राष्ट्रीय महिला आयोग के आंकड़े जो कहानी बता रहे हैं वो सीएम योगी के दावे से एकदम उलट है। वहीं, 2014 के बाद 2021 में सबसे ज्यादा शिकायतें दर्ज किए जाने के मामले पर महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा यह कहती हैं कि ऐसा हुआ, क्योंकि उन्होंने महिलाओं को ज्यादा जागरूक किया है, जिससे वे आवाज उठा सकें। रेखा शर्मा ने बताया कि आयोग ने महिलाओं के लिए ‘राउंड द क्लॉक हेल्पलाइन’ स्थापित कराई है। इसके साथ ही राष्ट्रीय महिला आयोग महिलाओं को शिकायत दर्ज कराने में भी सपोर्ट दे रहा है।
– नवनीश कुमार