गांधी को याद करने की सार्थकता तभी है जब हम हिंसा के विरुद्ध खड़े...
— विजय कुमार —
देश आजादी के 75वें साल का जश्न मना रहा है। हमारी आजादी 75 साल की हो गयी है। आनेवाली 30 जनवरी को उनके जाने को भी 75 साल पूरा हो...
राजनीति निगेटिव चलेगी पर मीडिया पॉजिटिव चाहिए !
— श्रवण गर्ग —
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और हिंदूवादी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत के बीच उम्र में एक सप्ताह से भी कम का फासला है। डॉ भागवत प्रधानमंत्री से केवल...
विभाजन की पीड़ा को क्यों याद किया जाए?
— सुनील दीपक —
आज सुबह कल के स्वतंत्रता दिवस के मोदी जी के भाषण के बारे में पढ़ा तो उनकी ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ की घोषणा के बारे में सोचता रहा। कुछ मित्रों ने...
उत्तर प्रदेश में ध्रुवीकरण का खतरनाक खेल
— मोहम्मद शोएब, राजीव यादव व संदीप पाण्डेय —
अगले साल उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव होने हैं। कोविड के समय कुप्रबंधन, पंचायत चुनावों में करारी हार व राम मंदिर के लिए अयोध्या में भूमि घोटाले...
अपने-अपने हिस्से का समाजवाद
— जयराम शुक्ल —
गांधी और समाजवाद ये दो ऐसे मसले हैं कि हर राजनीतिक दल अपने ब्रांडिंग के रैपर में चिपकाए रखना चाहता है। पर वास्तविकता यह है कि जैसे गांधी की तस्वीर वाले...
उत्तर प्रदेश बन गया है कुशासन की मिसाल
भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने के वादे पर सत्ता में आयी थी, लेकिन उसने इसे जंगलराज में बदल दिया है। इस बात को महज राजनीतिक आरोप कहकर खारिज नहीं किया...
लहू बोलता भी है
— प्रोफ़ेसर राजकुमार जैन —
सैय्यद शाहनवाज अहमद कादरी की किताब का टाइटल ‘लहू बोलता भी है’ पढ़कर शुरू में अटपटा सा लगा, क्योंकि लहू खौलता है, लहू बहता है, लहू के निशान हैं, वगैरहा-वगैरहा के जुमले तो अक्सर सुनने और...
गांधीवादी संस्थाओं पर गिद्ध-दृष्टि
— जागृति राही —
गांधी विचार की संस्थाओं, आश्रमों में घुसपैठ और उन पर कब्जे की कोशिश बीजेपी की सरकारें और संघ के समर्थक लगातार करते आ रहे हैं। वाराणासी में राजघाट स्थित गांधी विद्या...
लोकजनशक्ति पार्टी का बिखराब क्यों
— डॉ. अनिल ठाकुर —
आजकल बिहार की राजनीति में भूचाल सा आया हुआ है। बिहार की धरती आरंभ से ही राजनीतिक आंदोलन की उर्वरा धरती रही है, वो गांधी का चंपारण आंदोलन हो या...
जब जेपी की हुंकार से सिंहासन हिल उठा
— जयराम शुक्ल —
कांग्रेस के अध्यक्ष देवकांत बरुआ का नारा ‘इंदिरा इज इंडिया’ गली-कूचों तक गूँजने लगा। इसी बीच मध्यप्रदेश में पीसी सेठी को हटाकर श्यामाचरण शुक्ल को मुख्यमंत्री बनाया गया। अखबारों की हालत...
















