कांग्रेस के अधिवेशनों में 1920 तक सामाजिक प्रश्नों पर न कभी विचार हुआ न उनके ऊपर किसी तरह का प्रस्ताव कांग्रेस ने पास किया। यह स्थिति गांधीजी के आगमन तक …
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स्वतंत्रता प्राप्ति तक के कांग्रेस के आर्थिक कार्यक्रमों और औद्योगिक तथा भूमि संबंधी नीतियों का सिंहावलोकन हमने दिया। यह स्पष्ट है कि 1929 के बाद कांग्रेस के कार्यक्रमों पर धनिक …
इस तरह कांग्रेस के आर्थिक कार्यक्रमों में 1930-32 की सिविल नाफरमानी के बाद कोई प्रगतिशील परिवर्तन नहीं हुआ बल्कि प्रगति पर रोक लगाने का ही नाजायज प्रयास हुआ। 1936 में …
सन 1920 तक कांग्रेस के जितने अध्यक्ष हुए उनमें सबसे अधिक संख्या यानी 17 वकीलों की थी। तीन अध्यक्षों का अपने जीवनकाल में शिक्षा से संबंध रहा। तीन भूतपूर्व सरकारी …
सन 1918 में औदयोगिक कमीशन की सिफारिशें प्रकाश में आयीं। इस कमीशन ने औद्योगीकरण की प्रक्रिया में सरकारी भूमिका पर विशेष जोर दिया गया था। 1918 में दिल्ली में हुए …
सन 1906 में हुए कलकत्ता अधिवेशन में पहली बार बंगाल में विभाजन के विरोध में जो बहिष्कार आंदोलन चल रहा था, उसकी खुलकर ताईद हो गयी। साथ ही साथ पहली …
बीसवीं शताब्दी के प्रारंभ तक कांग्रेस के वार्षिक अधिवेशनों में हर साल स्थायी लगान व्यवस्था, कृषि, शिक्षा का विस्तार, सैनिक और गैर-सैनिक खर्च में कटौती आदि के बारे में प्रस्ताव …
अब हम देखें कि अंग्रेजी हुकूमत द्वारा 1942 के आंदोलन का क्या मूल्यांकन किया गया था, उसके बारे में उनकी क्या प्रतिक्रिया थी? राष्ट्रीय नेताओं की गिरफ्तारी के बाद वायसराय …
अगस्त क्रांति और आजाद हिंद फौज अब तक हमने उदारपंथियों तथा उग्रपंथियों के वैध आंदोलन, आतंकवादियों के बम पिस्तौल और महात्मा गांधी के सामुदायिक सत्याग्रह और असहयोग आंतदोलन के तरीकों …
नेताजी सुभाष ने अपनी पुस्तक ‘द इण्डियन स्ट्रगल’ के संपूरक अंश में (जो 1943 में उन्होंने लिखा था) कहा है कि गांधीजी के सत्याग्रह के सिद्धांत से विदेशी हुकूमत को …
वेब पोर्टल समता मार्ग एक पत्रकारीय उद्यम जरूर है, पर प्रचलित या पेशेवर अर्थ में नहीं। यह राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ताओं के एक समूह का प्रयास है।
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