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एक अनूठे समाजवादी नायक किशन पटनायक
— आनंद कुमार —
भारतीय समाजवादी आन्दोलन की लम्बी नेतृत्व श्रृंखला में किशन पटनायक (30 जून 1930 – 27 सितम्बर 2004) एक अनूठे नायक थे।...
डा. लोहिया : गांधी को पढ़ा भगतसिंह को जिया
— जयराम शुक्ल —
आज 23 मार्च को जहाँ भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरु की शहादत का दिन है तो डा राममोहर लोहिया की जयंती भी। 1967...
हमें फ़ख्र है कि हमने उस महामानव से बात की है
— प्रोफ़ेसर राजकुमार जैन —
महात्मा गांधी के हमसफ़र-अनुयायी, आज़ादी की जंग के महान योद्धा ख़ान अब्दुल ग़फ्फार ख़ान, जिन्हें ‘बादशाह ख़ान’, ‘सरहदी गांधी’ तथा ‘बच्चा...
लाडली, जो लोहिया के दीवाने थे
— मस्तराम कपूर —
चौबीस सितंबर, 1997 रात साढ़े नौ बजे के आसपास लाडली मोहन निगम वेस्टर्न कोर्ट की पहली मंजिल पर टीवी में प्रधानमंत्री...
विषमता की खाई में विकास की समाधि
— जयराम शुक्ल —
लोकभाषा के बडे़ कवि कालिका त्रिपाठी ने कभी रिमही में एक लघुकथा सुनाई थी। कथा कुछ ऐसी थी कि..दशहरे के दिन...
भाषा-सजग राजनेता
— गोपेश्वर सिंह —
जिन राजनेताओं के व्याख्यान सुनकर उनकी भाषा-सजगता और शुद्धता से मैं प्रभावित हुआ, उनमें जयप्रकाश नारायण, कर्पूरी ठाकुर और अटल बिहारी...
बढ़ती कट्टरता से आखिर कौन लड़ेगा?
— अरुण कुमार त्रिपाठी —
इस साल भारत ने लंबा किसान आंदोलन और उसकी माँगों को स्वीकार किये जाने की महान लोकतांत्रिक परंपरा के दर्शन...
लोहिया की चौखम्भा राज योजना – आनंद कुमार
(दूसरी किस्त)
चौखम्भा राज के प्रस्ताव में राजनीतिक और आर्थिक विकेंद्रीकरण के जरिये आर्थिक, राजनीतिक और प्रशासनिक क्षेत्रों के लोकतांत्रिकीकरण का निर्देश है। इसमें राजनीतिक...
विकेन्द्रीकरण लोकतंत्र की बुनियाद है – आनंद कुमार
हमारे संविधान में सहभागी लोकतंत्र और जनसाधारण की सहभागिता के लिए जरूरी प्रतिबद्धता की कमी रही है। यह सत्ता के विकेंद्रीकरण में केंद्र और...
पूर्ण लोकतंत्र अर्थात् पंचायती राज का निर्माण – डा. लोहिया
(‘गोवा के लोगों को खुला पत्र : कार्रवाई के लिए आवाहन’ से उद्धृत)
हम किसलिए लड़ रहे हैं? ...मूल रूप से हमारा उद्देश्य एक नया...