— संजय गौतम — मूक मुखर प्रिय सहचर मोरे, संस्मरणों की किताब है सत्यदेव त्रिपाठी की। संस्मरण के केंद्र में मनुष्य नहीं, पशु हैं। वे पशु जो उनके जीवन के …
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— संजय गौतम — भारतीय कथा परंपरा में ‘पंचतंत्र’ की कहानियों का स्थान अन्यतम है। इसके लेखन-काल एवं लेखक के बारे में चाहे सहमति न हो, लेकिन इन कहानियों के …
— संजय गौतम — प्रख्यात लेखक, अनुवादक, संपादक अमृतराय की जन्मशती के अवसर पर लमही का विशेषांक प्रकाशित हुआ था, जिससे अमृतराय को समझने में साहित्य की नई पीढ़ी को …
— संजय गौतम — बीसवीं शताब्दी के शुरू तक मनुष्य समाज को बेहतर बनाने के जो शासनिक और वैचारिक आधार मिले थे, वे शताब्दी के अंत तक ही छीजने लगे …
— अनामिका सिंह — यह ललित निबंध संग्रह मात्र नहीं है बल्कि अपने आप में पूरी विविधताओं से भरी हुई दुनिया है। प्रश्नाकुल नीलिमा में विषयों की विविधता, भाषा का सहज …
— संजय गौतम — लोक गायकी में ‘पुरबी’ की धुन भोजपुरी इलाके में बहुत ही लोकप्रिय है। छपरा में जनमे महेन्दर मिसिर पुरबी के गायक के रूप में एक शताब्दी …
— संजय गौतम — मूर्धन्य कवि-आलोचक अशोक वाजपेयी अस्सी पार के होकर भी पूरी तरह सजग-सक्रिय हैं और अपने समय की चुनौतियों से संघर्ष करते हुए साहित्य की भूमिका को …
— शर्मिला जालान — अपने पहले कहानी संग्रह आखिरी टुकड़ा में संजय गौतम ने पिछले अढ़ाई-तीन दशक में लिखी पच्चीस कहानियों के द्वारा देश में हो रहे बदलाव के तुमुल कोलाहल के …
— संजय गौतम — एंटीगोनी! जब से तुमसे परिचय हुआ है, मेरी स्मृति में अटक गई हो। उथल-पुथल मचा रही हो। किसी चित्र की तरह खिंच गई हो। संकल्प के …
वेब पोर्टल समता मार्ग एक पत्रकारीय उद्यम जरूर है, पर प्रचलित या पेशेवर अर्थ में नहीं। यह राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ताओं के एक समूह का प्रयास है।
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