22 मई। शनिवार को बिहार प्रारंभिक शिक्षक नियोजन में हो रही देरी और सरकार की उदासीनता को देखते हुए छात्र-युवा संगठन यूथ फॉर स्वराज ने महिला शिक्षक अभ्यर्थियों के साथ मिलकर फेसबुक लाइव का आयोजन किया।
यूथ फ़ॉर स्वराज की जाह्नवी सोढा ने कहा कि यह सवाल किसी एक भर्ती का नहीं है। सवाल यह है कि जो बेटी पूरे समाज से लड़कर पढ़ती है, अपने आप को काबिल बनाती है – उस बेटी को हमारी सरकारें समय से नौकरी भी नहीं दे पा रही हैं और बिहार में महिला बेरोजगारी दर 61 फीसद तक पहुँच गई है।
महिला संवाद में महिला शिक्षक अभ्यर्थियों की तरफ से कुमारी सुप्रिया और कुमारी पूनम ने अपनी बात रखते हुए बताया कि सरकार की उदासीनता के कारण आज लाखों अभ्यर्थी दाने-दाने को मोहताज हो गए हैं। महिलाएं आर्थिक रूप से स्वतंत्र नहीं हैं। जिस नियोजन प्रक्रिया को 2019 में ही पूर्ण हो जाना था उसको आज तक बिहार सरकार ने लटकाये रखा है। संवाद में भाग ले रहीं महिला अभ्यर्थियों ने अपना दर्द साझा किया।
अभ्यर्थियों का कहना था कि आज पूरे में बिहार कहीं भी जाकर देख लीजिए, महिलाओं को अपना घर चलाने तक के लिए काम नहीं मिल रहा है। हम लोग भयंकर बेरोजगारी से पीड़ित हैं। अगर ये नियोजन जल्द पूर्ण नहीं होता तो कई लड़कियों की शादी करा दी जाएगी। बड़ी बहनों को इस तरह परेशानी से गुजरते देख कई माता-पिता, रिश्तेदार छोटी बहनों की पढ़ाई को लेकर उत्साह नहीं दिखा रहे हैं।
अभ्यर्थी शगुफ्ता ने बताया कि कोरोना महामारी में पिताजी गुजर गए, पास में पैसे भी नहीं थे जो इलाज करवा पाएं। अगर हमें इस भर्ती में रोजगार मिल जाता तो शायद पिताजी को बचा पाती। हमने बड़ी मुश्किल से बीएड किया किया, उसके बाद जब नौकरी का नंबर आया तो सरकार की तरफ से गैरजिम्मेदाराना रवैया देखने को मिला।
यूथ फॉर स्वराज की प्रीति नंदिनी ने बताया कि सीएमआईए के इस साल जनवरी से अप्रैल के आंकड़े कहते हैं कि महिलाओं में बेरोजगारी दर 61 फीसद है, हम यह पूछना चाहते हैं कि इसका जिम्मेदार कौन है। और मुख्यमंत्री जी इससे निपटने के लिए क्या कर रहे हैं?
अभ्यर्थी ज्योति अग्रवाल, नमिता, अदिति, मुन्नी, प्रीति शॉ आदि ने कहा कि सरकार हर बार बहाली में कोई न कोई पेच फँसा के रखती है। इस बार ब्लाइंड फेडरेशन केस की वजह से नियुक्ति रुकी हुई है। इस केस में अगस्त 2020 में ही जवाब माँगा गया था और स्टे लगा था शिक्षा विभाग के ढुलमुल रवैये के कारण। आज तक उस केस में अगली सुनवाई नहीं हो पायी है। जब भी सुनवाई का डेट आता है तो सरकारी वकील या तो स्टडी करके नहीं जाते या अगली डेट मांग लेते हैं, जिसकी वजह से लाखों अभ्यर्थी परेशान हैं। सभी प्रतिभागियों ने महिला अभ्यर्थियों के लिए मंच प्रदान करने पर यूथ फॉर स्वराज के प्रति आभार व्यक्त किया। ऑनलाइन चर्चा में पिंकी कुमारी, अन्नू शर्मा, अदिति, पूनम कुमारी, अमृता, सोनू शर्मा, सपना गुप्ता, कल्पना, सुप्रिया, प्रीति नंदिनी, नम्रता, ज्योति अग्रवाल, शगुफ्ता, प्रीति शॉ आदि उपस्थित थीं।
– यूथ फॉर स्वराज
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