एमएसपी में वृद्धि महंगाई के अनुपात में हो

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15 जुलाई। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने एमएसपी में वृद्धि को महंगाई से जोड़ने की मांग उठायी है। सरकार एमएसपी में जब भी कुछ वृद्धि की घोषणा करती है तो उसका खूब ढिंढोरा पीटती है और मोदी सरकार तो इस तरह के हर फैसले को ऐतिहासिक बताते नहीं थकती, चाहे वह वृद्धि मामूली या पहले के मुकाबले कम ही क्यों न हो। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने कहा है कि एमएसपी में बढ़ोतरी महंगाई के अनुपात में होनी चाहिए।

केंद्र सरकार द्वारा 48 लाख केंद्र सरकार के कर्मचारियों एवं 68 लाख पेंशनधारी कर्मचारियों को 28 फीसद महंगाई भत्ता (डीए) 1 जुलाई से दिए जाने और बाकी तीन किस्तों का भी भुगतान किए जाने के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त  करते हुए अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के वर्किंग ग्रुप की 14 जुलाई को हुई बैठक में पारित प्रस्ताव में  किसानों के लिए घोषित समर्थन मूल्य में भी महंगाई के अनुपात में वृद्धि की मांग की गई है। समन्वय समिति द्वारा पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि डीजल, बिजली, खाद, बीज की मूल्य वृद्धि का सबसे अधिक असर किसानों पर पड़ा है इसलिए समर्थन मूल्य भी महंगाई भत्ता (डीए) और महंगाई राहत (डीआर) से जोड़कर दिया जाना चाहिए।

समन्य समिति के वर्किंग ग्रुप की बैठक में केंद्र सरकार द्वारा 31 मार्च 2021 तक गत 1 वर्ष में कॉर्पोरेटों  का 1 लाख 85 हजार करोड़ रु. बट्टे खाते (एनपीए) में डाल दिए जाने के फैसले को कॉर्पोरेटों को छूट देनेवाला फैसला बताते हुए केंद्र सरकार से किसानों की संपूर्ण कर्जा मुक्ति की मांग की गई है। समन्वय समिति ने कहा है कि 2014 के बाद सरकार द्वारा डीजल, पेट्रोल, रसोई गैस पर टैक्स बढ़ाकर जनता से कमाई राशि से देशभर के सभी किसानों को आसानी से कर्ज मुक्त किया जा सकता था। समन्वय समिति ने यह भी कहा है कि कॉर्पोरेटों को छूट देने तथा देश के आम नागरिकों को टैक्स बढ़ाकर लूटने की नीति का 250 किसान संगठनों के द्वारा विरोध जारी रहेगा।

समन्वय समिति ने संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा चुनाव में भाग लेने को लेकर स्पष्ट किया गया है कि संयुक्त किसान मोर्चा का गठन अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति की पहल पर 3 किसान विरोधी कानून रद्द कराने, बिजली संशोधन बिल वापस कराने तथा एमएसपी पर खरीद की कानूनी गारंटी किसानों को दिलाने के लिए किया गया है, चुनाव लड़ने के लिए नहीं। समन्वय समिति ने आगे कहा  है कि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड एवं अन्य तीन राज्यों के चुनाव में भाजपा को वोट की चोट देने का अभियान जारी रहेगा। समन्वय समिति ने यह भी स्पष्ट किया है कि संयुक्त किसान मोर्चा में शामिल 550 किसान संगठन चुनाव संबंधी फैसले लेने के लिए स्वतंत्र है लेकिन समन्वय समिति या संयुक्त  किसान मोर्चा के बैनर तले कोई भी चुनाव नहीं लड़ा जाएगा।

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