22 अगस्त। पंजाब के किसान संगठनों के कई नेताओं ने रविवार को चंडीगढ़ में पंजाब के सहकारिता मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा और वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात की। मुलाकात का मकसद 20 अगस्त को जालंधर में शुरू हुए गन्ना किसानों के विरोध का समाधान खोजना था। हालांकि बैठक का कोई ठोस नतीजा नहीं निकला। पंजाब सरकार के प्रतिनिधिमंडल ने किसान नेताओं को आश्वासन दिया कि वे पंजाब में गन्ना उत्पादन से संबंधित लागत के विवरण पर कल किसान नेताओं और विशेषज्ञों के बीच परामर्श करेंगे और इस परामर्श से प्राप्त जानकारी के आधार पर परसों मुख्यमंत्री इसपर निर्णय लेंगे। इस पृष्ठभूमि में आंदोलनकारी किसानों ने गन्ना एसएपी बढ़ोतरी और किसानों के बकाया भुगतान के लिए अपना अनिश्चितकालीन संघर्ष जारी रखने का एलान किया है। प्रदर्शनकारी किसान हाईवे और रेलवे लाइन पर धरना जारी रखेंगे।
एसकेएम ने अपनी प्रेस विज्ञप्तियों में प्रधानमंत्री के झूठ और उनके झूठे दावों को बार-बार उजागर किया है, चाहे वे एमएसपी से संबंधित हों या किसानों की आय दोगुनी करने या पी.एम.एफ.बी.वाई या ए.आई.एफ से संबंधित हों। एसकेएम ने अपने ताजा बयान में कहा है कि एसकेएम पीएम मोदी को 10 फरवरी 2021 को उनके संसद में दिये गये भाषण की भी याद दिलाना चाहेगा ताकि उनके भ्रामक तर्कों को राष्ट्र के सामने रखा जा सके तथा उनको संसद में अपने बयानों के लिए जवाबदेह बनाया जा सके। उन्होंने झूठा बयान दिया था कि नए कानून किसानों के लिए स्वैच्छिक हैं। उन्होंने विरोध कर रहे किसानों की इस बात का जवाब देने की भी कोशिश की, कि किसानों ने इन कानूनों की कभी मांग नहीं की। प्रधानमंत्री ने इसकी काट में कई प्रगतिशील कानूनों का उदाहरण दिया, जिन्हें भारतीय संसद ने अधिनियमित किया था, यह कते हुए कि सरकारें इन्हें जिम्मेदारी की भावना के रूप में लाती हैं।
श्री मोदी शायद यह नहीं जानते हैं या स्वीकार नहीं करना चाहते हैं कि महिलाओं के अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए प्रगतिशील कानून भारत में एक मजबूत, जीवंत और प्रगतिशील महिला अधिकार आंदोलन के कारण आए, जो इस तरह के कानूनी संरक्षण के लिए संघर्ष कर रहा था, चाहे वह दहेज विरोधी कानून हों, या बाल विवाह विरोधी कानून हों, या सती-विरोधी कानून, या समान संपत्ति के अधिकारों के लिए कानून। श्री मोदी द्वारा सामाजिक सुधारों को ‘आर्थिक सुधारों’ के साथ जोड़ना भी अति दोषपूर्ण है, दोनों के बीच अंतर को वह अच्छी तरह से जानते हैं। सरकार विरोध कर रहे किसानों के साथ जो खेल रही है, अब समय आ गया है कि वह खेल बन्द करे और किसान आंदोलन की मांगों को पूरा करे।
राखी भेजकर आंदोलन का समर्थन
रक्षाबंधन के अवसर पर हमारे सैनिकों को राखी भेजी जाती है, भले ही सैनिकों की बहनें खुद सीमा तक नहीं पहुंच सकतीं। इसी परंपरा का पालन करते हुए, पंजाब और हरियाणा की कई ग्रामीण महिलाओं ने आज दिल्ली मोर्चा पर किसानों को राखी भेजकर किसानों के संघर्ष को समर्थन और प्रोत्साहन दिया।
भाजपा नेताओं का विरोध जारी
भाजपा नेताओं को कई अलग-अलग राज्यों और स्थानों पर स्थानीय विरोध का सामना करना पड़ रहा है। दक्षिण दिल्ली के सांसद रमेश बिधूड़ी के वाहन को कल किसानों ने शाहजहांपुर में राजस्थान-हरियाणा सीमा पर देखा और तुरंत काले झंडे दिखाकर विरोध शुरू कर दिया। शांतिपूर्ण विरोध से बचने के लिए पुलिस को वाहन को दूसरे मार्ग पर ले जाने के लिए हस्तक्षेप करना पड़ा। उत्तराखंड के रुड़की में भाजपा की एक बैठक को स्थानीय किसानों के काले झंडे का सामना करना पड़ा। हरियाणा के हिसार में किसान संगठनों ने भाजपा विधायक जोगी राम सिहाग को एक प्रदर्शनकारी के खिलाफ दुर्व्यवहार के लिए अल्टीमेटम जारी किया है और विधायक से माफी मांगने की मांग की है। किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर भाजपा नेता ने माफी नहीं मांगी तो उनका विरोध तेज किया जाएगा। उधर चंडीगढ़ में केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के खिलाफ प्रदर्शन कर रही महिला प्रदर्शनकारी के साथ बदसलूकी करनेवाले भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं के खिलाफ पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है।
मुजफ्फरनगर महापंचायत की तैयारी
उत्तर प्रदेश, हरियाणा और उत्तराखंड में विभिन्न खाप मुजफ्फरनगर (उप्र) में 5 सितंबर की महापंचायत को अपना समर्थन देने के लिए आगे आ रही हैं। उस दिन मुजफ्फरनगर में किसानों को एकजुट करने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े किसान नेता भी अलग-अलग जिलों में बैठकें कर रहे हैं। इस आयोजन के बाद मिशन यूपी और उत्तराखंड के हिस्से के रूप में एसकेएम की टीमें उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के सभी हिस्सों में वापस जाएंगी, ताकि जनता को भाजपा और मोदी सरकार की किसान विरोधी नीतियों और फैसलों के बारे में बताया जा सके।
सिंघू बार्डर और उसके आसपास प्रदर्शनकारी किसानों और स्थानीय नागरिकों के लिए नि:शुल्क चिकित्सा शिविर चलाये जा रहे हैं। आज इन शिविरों में निःस्वार्थ भाव से सेवा देनेवाले चिकित्सकों का सिंघू सीमा किसान आंदोलन कार्यालय में अभिनंदन किया गया।