25 अगस्त। पिछले 45 महीनों से आंदोलनरत सेंचुरी के श्रमिक मंगलवार सुबह इंदौर पहुंचे और उन्होंने लोहा मंडी से कमिश्नर कार्यालय तक रैली निकाली तथा बाद में श्रम आयुक्त कार्यालय पर जोरदार नारेबाजी के साथ प्रदर्शन किया और दिन भर धरना दिया। श्रमिक जनता संघ के बैनर तले और मेधा पाटकर के नेतृत्व में हुए इस धरने और प्रदर्शन में 400 से ज्यादा मजदूर शरीक थें, इनमें महिलाएं भी थीं। रात 8 बजे तक चले इस धरना-प्रदर्शन में विभिन्न वक्ताओं ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि बिड़ला मैनेजमेंट द्वारा फर्जी तरीके से मिल की बिक्री की गयी है और मजदूरों को जबरिया वीआरएस दिया गया है जो हमें मंजूर नहीं है। सेंचुरी के 873 श्रमिकों-कर्मचारियों ने जब वीआरएस को नकार दिया है, तब यह जरूरी है कि शासन हस्तक्षेप करके बिक्री अनुबंध और रजिस्ट्रियों की जांच कराए तथा सभी श्रमिकों को रोजगार सुनिश्चित कराए।
मध्यप्रदेश और बाकी देश में भी युवा बेरोजगारी के खिलाफ लड़ रहे हैं। आत्महत्या के लिए मजबूर हैं, किसानों की तरह! क्या राज्य शासन, श्रम मंत्रालय और मुख्यमंत्री श्रमिकों के पक्ष में अगुवाई नहीं करेंगे? क्या उद्योगपतियों की मनमानी नहीं रोकेंगे? क्या वीआरएस के नाम पर ‘अनैच्छिक सेवानिवृत्ति’ की साजिश से श्रमिकों की जिंदगी बर्बाद होने से नहीं रोकेंगे? हम चाहते हैं त्वरित हस्तक्षेप, विवाद का सुलझाव। यही बात प्रदर्शनकारियों ने श्रम आयुक्त से मिलकर भी कही और कार्रवाई की मांग की।
मजदूरों का कहना था कि मध्यप्रदेश सरकार को इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए और मजदूरों का रोजगार बचाना चाहिए, तथा पूरे फर्जी सौदे की जांच की जानी चाहिए। प्रतिनिधिमंडल में मेधा पाटकर के साथ रामस्वरूप मंत्री, नवीन मिश्रा, संजय चौहान, राजेश खेते, श्रीमती ज्योति भदाने, राजन तिवारी, संतलाल दिवाकर सहित विभिन्न मजदूर प्रतिनिधि शरीक थे। श्रम आयुक्त ने आश्वस्त किया कि जो भी कानूनी कार्रवाई होगी वह करेंगे और मजदूरों का रोजगार बचाने की कोशिश होगी। इसी तरह विभिन्न मुद्दों की चर्चा करते हुए संभागायुक्त से भी मेधा पाटकर के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल मिला। सेंचुरी के सौदे में हुए फर्जीवाड़े, स्टांप ड्यूटी की चोरी तथा मजदूरों के साथ की जा रही साजिशों के बारे में प्रतिनिधिमंडल ने विस्तार से बताया तथा कार्रवाई की मांग की।
मध्यप्रदेश के श्रम आयुक्त और इंदौर के संभाग आयुक्त को दिये गये ज्ञापन में कहा गया है कि–
1. दोनों मिलों की भूमि कुल 83 एकड़ होकर, व्यावसायिक वर्ग में परिवर्तित है। प्रत्यक्ष में औद्योगिक वर्ग में व्यपवर्तन जरूरी था। लेकिन सेंचुरी ने उसे ‘कृषि भूमि’ वर्ग में दिखाकर, उसी रेट से दो BTA और दो रजिस्ट्रियों के अनुसार बेची हुई दिखाई है।यह फर्जीवाड़ा होकर स्टांप ड्यूटी कम भरने की साजिश यानी शासकीय तिजोरी की चोरी और अपराध है।
2. यह सेंचुरी टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज लिमिटेड की संपदा राष्ट्रीय हाईवे से लगे होने पर भी काफी भूमि रास्ते से अंदर मानकर शासकीय गाइडलाइन से कम रेट पर बेची गयी दिखाई है।
3. सेंचुरी यार्न और सेंचुरी डेनिम मिल्स की संपदा, जो पूर्व के अधिकृत कागजों में दिखाई है, उसमें बदलाव दिखाया है।
4. पहले 2017 में किये बीटीए और अभी के दो बीटीए में फर्क है जो बिनाधार है। मात्र संपदा का मूल्यांकन कम करके स्टांप ड्यूटी कम करने के लिए ही यह किया गया है।
5. वीआरएस नकारने वालों को जबरन किस आधार पर एक या दो किस्तों में राशि का भुगतान किया है यह स्पष्ट नहीं है।
सेंचुरी के संबंध में करीब 300 श्रमिकों की 2012 के अनुबन्ध अनुसार एरियर्स तथा ठेका मजदूरों का हक और सेवा सुविधा न देने संबंधी।
इस स्थिति में किए बीटीए और रजिस्ट्री बिक्री की पूरी जांच, धरातल पर भी होनी जरूरी है, उसमें हमारी सहभागिता भी। फर्जी बिक्री होने पर भी 25 (FF) का आधार बनाकर वीआरएसअनैछिक रूप से 873 श्रमिकों पर थोपा जाना गैरकानूनी है। यह बात 06.04.2018 के उच्च न्यायालय के आदेश में भी स्पष्ट रूप से कही गयी है। कृपया आप पूरी और सच्ची तथा न्यायपूर्ण जांच, हमारी सुनवाई के साथ तत्काल करवाएं।
हमारी अपेक्षा और आग्रह है कि मनजीत की दोनों कंपनियों से सेंचुरी ने वर्षों तक पसीना बहानेवाले कुशल श्रमिकों और कर्मचारियों को लेना मना करने से रोजगार का अधिकार यानी जीने का अधिकार भी कुचला जा रहा है। इस स्थिति में मध्यप्रदेश शासन हस्तक्षेप करते हुए, जो मिल्स मनजीत की कंपनियां चला सकती हैं तो सेंचुरी कंपनी या श्रमिक संस्था से चला र या दोनों पक्षकारों को मंजूर विकल्पों द्वारा रोजगार सुरक्षित करें, यही न्यायपूर्ण होगा। तब तक मनजीत के नुमाइंदे या सेंचुरी कंपनी श्रमिकों और कर्मचारियों को उन्हें सालों पहले आवंटित आवास से बाहर न करें, यह भी सुनिश्चित करें। जवाब की अपेक्षा में।
श्रमिक जनता संघ की ओर से रामस्वरूप मंत्री द्वारा जारी विज्ञप्ति