श्रीकांत वर्मा की कविता

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पेंटिंग : प्रयाग शुक्ल
श्रीकांत वर्मा ( 18 सितंबर 1931 – 25 मई 1986 )

हस्तिनापुर का रिवाज

मैं फिर कहता हूँ
धर्म नहीं रहेगा, तो कुछ नहीं रहेगा –
मगर मेरी
कोई नहीं सुनता!
हस्तिनापुर में सुनने का रिवाज नहीं –

जो सुनते हैं
बहरे हैं या
अनसुनी करने के लिए
नियुक्त किये गये हैं

मैं फिर कहता हूँ
धर्म नहीं रहेगा, तो कुछ नहीं रहेगा –
मगर मेरी
कोई नहीं सुनता
तब सुनो या मत सुनो
हस्तिनापुर के निवासियो! होशियार!
हस्तिनापुर में
तुम्हारा एक शत्रु पल रहा है, विचार –
और याद रखो
आजकल महामारी की तरह फैल जाता है
विचार।

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