7 जनवरी। अरविन्द केजरीवाल सरकार की नयी आबकारी नीति का विरोध दिनोदिन तेज होता जा रहा है। अरविन्द केजरीवाल पंजाब जाते हैं तो पंजाब को नशामुक्त बनाने की बात करते हैं, लेकिन दिल्ली में जहां उनकी सरकार है वहां वह क्या कर रहे हैं? दिल्ली में तो आम आदमी पार्टी की सरकार ऐसी आबकारी नीति ले आयी है जिससे शराबखोरी और बढ़ेगी। इसका सबसे ज्यादा खमियाजा औरतों और बच्चों को भुगतना पड़ेगा। यह किसी से छिपा नहीं है कि शराबखोरी परिवारों की बर्बादी का सबब बनती है। केजरीवाल सरकार एक तरफ दम भरती है कि उसने स्कूली शिक्षा को बेहतर बनाया है लेकिन दूसरी तरफ शराबखोरी को बढ़ावा देकर वह बच्चों के भविष्य को खतरे में क्यों डाल रही है?
16 दिसंबर 2021 को आल इंडिया महिला सांस्कृतिक संगठन, दिल्ली के तत्वावधान में दिल्ली के जंतर मंतर पर, दिल्ली सरकार की नयी आबकारी नीति के खिलाफ और पूर्ण शराबबंदी की मांग को लेकर एक सम्मेलन का आयोजन किया गया। यह सम्मेलन उस दिन आयोजित किया गया जिस दिन 9 वर्ष पहले दिल्ली की सड़कों पर 23 वर्षीय एक छात्रा के साथ हर विवेकशील इंसान को झकझोर देनेवाली घटना सामने आयी थी ।इस घटना के बाद देशभर में महिलाएं और छात्र, नौजवान सड़कों पर उतर आए थे और सभी ने एक स्वर में आवाज़ उठाई थी कि महिलाओं पर बढ़ते अपराधों को अब नहीं सहेंगे। ऐसा लग रहा था कि अब शायद महिलाओं पर अपराध नहीं होंगे लेकिन बहुत दुख की बात यह है कि आज भी महिलाओं पर अपराध बदस्तूर जारी हैं और 2014 के बाद से महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामलों में कई गुना वृद्धि हुई है। सभी सरकारें महिलाओं पर बढ़ते अपराधों पर रोक लगाने के दावे तो करती हैं लेकिन हकीकत में ऐसे अपराधों को बढ़ानेवाले कारणों पर कोई ध्यान नहीं दे रही हैं, जिसमें शराबखोरी भी एक बहुत बड़ा कारण है।
इसलिए दिल्ली भर में महिलाएं शराबखोरी के खिलाफ आंदोलित हैं। निर्भया कांड के बाद हुए देशव्यापी आंदोलन के दवाब में सरकार जस्टिस वर्मा कमेटी का गठन करने पर मजबूर तो हुई लेकिन आज तक भी जस्टिस वर्मा कमेटी की सिफारिशों को लागू नहीं किया गया। जिसमें शराबखोरी को भी महिलाओं पर बढ़ते अपराधों के लिए जिम्मेदार माना गया है।
16 दिसंबर को सम्पन्न हुए इस सम्मेलन में दिल्ली के अलग अलग स्थानों से आयी सैकड़ों महिलाओं ने हिस्सा लिया। इस सम्मेलन में दिल्ली सरकार की नयी आबकारी नीति के खिलाफ दिल्ली के विभिन्न इलाकों जैसे हस्तसाल, सोनिया विहार, ओखला, शालीमार बाग आदि इलाकों में आंदोलन को संचालित कर रही महिलाओं के अलावा सम्मेलन को किसान नेता श्री योगेंद्र यादव, प्रोफेसर अपूर्वानंद, विख्यात वैज्ञानिक और सामाजिक कार्यकर्ता गौहर राजा, प्रोफेसर नंदिता नारायन एआईआईएमएसएस की दिल्ली राज्य अध्यक्ष सीता सिंह, तथा सचिव रितु कौशिक ने संबोधित किया। सम्मेलन की अध्यक्षता श्रीमती शारदा दीक्षित ने की।
वक्ताओं ने कहा कि अपने आप को आम आदमी की सरकार बतानेवाली केजरीवाल सरकार ने फिर इस बार साबित कर दिया कि वह भी राजस्व के लिए जनता को गर्त में धकेलने को तैयार है। केजरीवाल सरकार ने अपनी नयी आबकारी नीति के तहत शराब की सरकारी दुकानों से राजस्व की चोरी का बहाना बनाकर उन्हें नीलाम कर प्राइवेट प्लेयर्स को सौंप दिया है। दिल्ली में कुछ इलाके ऐसे थे जहां पर अभी तक शराब की कोई दुकान नहीं थी। ऐसे इलाकों में अब शराब की नयी दुकानें खोली जाएंगी। पूरी दिल्ली में शराब की 850 दुकानें खोली जाएंगी। नयी नीति में शराब पीने की उम्र 25 से घटाकर 21 वर्ष कर दी गयी है। ये सब बातें दर्शाती हैं कि सरकार युवाओं की नैतिक रीढ़ को तोड़कर उन्हें नशाखोरी व अपराध के रास्ते पर बढ़ने को प्रोत्साहित कर रही है।
वक्ताओं ने कहा कि अरविंद केजरीवाल सरकार ने अपनी नयी आबकारी नीति 2021-2022 के तहत राजस्व के लिए जनता को गर्त में धकेलने के लिए तैयार है। दिल्ली में कुछ इलाके ऐसे थे जहां पर अभी तक शराब की कोई दुकान नहीं थी। ऐसे इलाकों में अब शराब की नयी दुकानें खोली जाएंगी। पूरी दिल्ली में शराब की 850 दुकानों का एक समान वितरण किया जाएगा। दिल्ली की कुल 68 विधानसभा सीटों में आनेवाले 272 वार्डों को 30 जोन में बांटा गया है। सरकार ने प्राइवेट दुकानदारों को हर जोन में शराब की कुल 27 दुकानें तथा प्रत्येक वार्ड में 3 दुकानें खोलने की अनुमति दे दी है। जनता सरकार से यह सवाल पूछना चाहती है कि जब वह सरकारी दुकानों से टैक्स की चोरी नहीं रोक पायी तो भला सरकार प्राइवेट दुकानदारों से, जो उसके नियंत्रण में भी नहीं है, टैक्स की चोरी कैसे रोक पाएगी।
अब सरकार का शराब की क्वालिटी और क्वांटिटी चेक पर कोई नियंत्रण नहीं रहेगा। यह प्राइवेट दुकानदार मनमाने दामों पर घटिया क्वालिटी की शराब बेचने के लिए स्वतंत्र होंगे।दुकान के आसपास सुरक्षा की जिम्मेदारी से भी अब सरकार ने अपना पल्ला झाड़ लिया है। कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी भी इन्हीं दुकानदारों की होगी। सोचने की बात है कि कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी जब सरकार नहीं उठा सकती तो हम किसी दुकान के मालिक से यह उम्मीद कैसे कर सकते हैं कि वह शराब की दुकान के आसपास के लोगों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने में सक्षम होंगे।
नयी नीति में शराब पीने की उम्र 25 से घटाकर 21 वर्ष कर दी गयी है। (CADD – कैंपेन अगेंस्ट ड्रंक एंड ड्राइव) द्वारा किए गए एक सर्वे में पाया गया कि राजधानी में 88 प्रतिशत युवा 25 की उम्र से पहले ही शराब पीना शुरू कर चुके हैं। ऐसे लोगों को उनकी उम्र जाने बिना ही दुकानों से शराब बेची गयी।)
शराब पीने की उम्र घटाना, होटल, बार, रेस्टोरेंट, क्लब में रात 3 बजे तक शराब परोसने की अनुमति देना, तथा खुली जगह जैसे बालकनी में शराब परोसने की अनुमति देना, यह सब बातें दर्शाती हैं कि सरकार युवाओं का भविष्य बर्बाद करने पर आमादा है।
शराबखोरी, नशाखोरी की सबसे बुरा प्रभाव महिलाओं पर पड़ रहा है। हम देख रहे हैं कि हमारे देश में महिलाओं और बच्चियों पर लगातार अपराध बढ़ रहे हैं, घरेलू हिंसा के मामलों में इजाफा हो रहा है। ऐसे ज्यादातर मामलों में देखा जाता है के अपराधी नशे की हालत में बलात्कार व हत्या जैसे जघन्य कांड को अंजाम देते हैं। समाज में पहले से जो सांस्कृतिक गिरावट व्याप्त है, नशा उसे और बढ़ावा देता है। इसलिए नशे में डूबे किसी व्यक्ति से हम यह उम्मीद नहीं कर सकते कि वह एक सभ्य इंसान की तरह व्यवहार करेगा।
दूसरी तरफ बेरोजगारी बढ़ने से परिवारों में आर्थिक स्थिति और बिगड़ी है। शराब की लत में डूबे हुए व्यक्ति शराब खरीदने के लिए घर का सामान तक बेच देते हैं। घर से पैसे ना मिलने पर घर पर मारपिटाई करने लगते हैं। इस प्रकार महिलाएं दोहरी हिंसा का शिकार हो रही है।
समाज की ऐसी स्थिति को समझने-बूझने के बावजूद यदि हमारी सरकार शराबखोरी व नशाखोरी को बढ़ावा देनेवाली घोर जनविरोधी नीतियां बनाती हैं तो ऐसे में हमें सरकार की असली मंशा को समझने की जरूरत है।
हमें यह समझना होगा कि आम आदमी पार्टी का चरित्र किसी अन्य पार्टी से भिन्न नहीं है। पूंजीपतियों की सेवादार यह पार्टियां, जिसमें आम आदमी पार्टी भी शामिल है, पूंजीपतियों के हित में घोर जनविरोधी नीतियां बनाने से नहीं हिचक रही हैं। साथ ही साथ महंगाई, बेरोजगारी, महिलाओं-बच्चियों पर बढ़ रहे अपराधों के कारण समाज चारों तरफ से त्रस्त है। छात्र- छात्राओं के लिए शिक्षा के रास्ते संकुचित होते जा रहे हैं। स्वास्थ्य सुविधाएं गरीबों की पहुंच से दूर होती जा रही हैं। ऐसे में हमारी युवा पीढ़ यदि सचेत होगी तो वह सरकार की इस चाल को समझ कर उसके खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करने लगेगी। हाल ही में किसान आंदोलन में हमने इसका एक जीता जागता उदाहरण देखा। किस प्रकार किसान विरोधी तथा पूंजीपतिपरस्त तीनों काले कानूनों के खिलाफ देश के सचेत किसानों ने 1 साल का लंबा संघर्ष चलाकर जीत हासिल की। सरकार नहीं चाहती कि छात्र-नौजवान, युवा देश में व्याप्त इन समस्याओं के बारे में सचेत रूप से समझ-बूझ सकें और अपनी उचित मांगों के लिए आवाज बुलंद कर सकें।
ऑल इंडिया महिला सांस्कृतिक संगठन लंबे समय से महिलाओं व बच्चों पर बढ़ रहे अपराधों, शराबखोरी व नशाखोरी के खिलाफ आंदोलन करता आ रहा है। हम अपने संगठन के माध्यम से केजरीवाल सरकार से यह मांग करते हैं कि दिल्ली में पूर्ण शराबबंदी लागू करें तथा जनता से यह अपील करते हैं कि शराबखोरी के खिलाफ चल रहे इस आंदोलन में बढ़-चढ़कर सहयोग करें ताकि इस आंदोलन को व्यापक रूप दिया जा सके। हमने किसान आंदोलन से सीखा है कि यदि हमारी मांग व दिशा सही हो तो जनता की एकजुटता व ताकत के आगे बड़ी से बड़ी ताकत भी घुटने टेक सकती है।