2 जून। उत्तराखंड के सिडकुल में इंटरार्क कंपनी में अचानक लॉकआउट के खिलाफ लगातार धरने पर बैठे मजदूरों को कानूनी रूप से पहली जीत हासिल हुई है। सोमवार को हाई कोर्ट ने सिडकुल पंतनगर और किच्छा में इंटरार्क कंपनी प्रबंधन द्वारा की गई तालाबंदी को गैरकानूनी घोषित कर दिया है। साथ ही कंपनी को यह आदेश दिया है, कि वह इंटरार्क के सभी मजदूरों को सैलरी व अन्य लाभ का भुगतान करे। औद्योगिक विवाद अधिनियम की धारा 6 (ध) और 2 (घ) के नियमों का हवाला देते हुए इस मामले की सुनवाई की गई।
क्या है कानून?
कोई भी मालिक अपने मजदूर को केवल 30 दिनों के लिए निलंबित कर सकता है। इस समय वे मजदूरों के ऊपर लगे आरोपों पर कार्रवाई करेगा। इसके अलावा 30 दिनों के बाद कंपनी प्रबंधन मजदूरों को काम पर वापस आने से नहीं रोक सकता है। अगर कंपनी 30 दिनों के बाद भी मजदूरों को रोजगार पर नहीं रखती है तो बाकी के सभी दिनों के वेतन का भुगतान कंपनी द्वारा किया जाएगा।
वर्कर्स यूनिटी के अनुसार, इंटरार्क वर्कर्स यूनियन के महामंत्री सौरभ कुमार ने कहा, “उच्च न्यायालय की तरफ से तालाबंदी खत्म करने का फरमान जारी कर दिया गया है, लेकिन अभी तक कंपनी ने कोई नोटिस जारी नहीं किया है। हम लोग अभी भी अपनी माँगों को लेकर धरने पर हैं। कल नैनीताल में बाल सत्यग्रह का भी आयोजन किया जायेगा।”
गौरतलब है कि, बीते 280 दिनों से करीब 500 स्थायी मजदूर पुनः नियुक्ति की माँग करते हुए प्रदर्शन कर रहे हैं। इंटरार्क कंपनी प्रबंधन ने इन सभी मजदूरों को निलंबित कर लॉकआउट कर दिया था। मजदूर यूनियन की अपील पर एक अप्रैल 2022 को हाईकोर्ट ने इन्टरार्क कंपनी सिडकुल पंतनगर की तालाबन्दी के विषय में कार्रवाई के सख्त आदेश दिए थे।
यूनियन की माँग है कि 1 अप्रैल 2022 के उक्त आदेश का पालन कर पंतनगर प्लांट की तालाबन्दी समाप्त की जाए। साथ ही मजदूरों की सवैतनिक कार्यबहाली की जाए। मजदूरों के बकाया वेतन का भी भुगतान किया जाए। यूनियन से जुड़े 40 मजदूरों को झूठे आरोप लगाकर निलंबित कर दिया गया था, उनकी तत्काल बहाली की जाए। साथ ही बीते 4 साल से मजदूरों के वेतन वृद्धि नहीं की गयी है। लेबर कोर्ट के तमाम आदेश के बावजूद कंपनी प्रबंधन ने वेतन समझौते के लिए कोई बैठक नहीं बुलाई। इसलिए कंपनी तत्काल वेतन समझौते की पहलकदमी करे।
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