मणिपुर पर विपक्ष और सिविल सोसायटी ने सरकार को घेरा

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21 जुलाई। मणिपुर में हिंसा के बीच दो महिलाओं के साथ बर्बरता का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद देशभर में आक्रोश का माहौल है. स्तब्ध कर देने वाली इस घटना को लेकर जहाँ विपक्ष ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला दिया है वहीं सिविल सोसायटी के लोग भी क्षोभ जता रहे हैं. स्वराज इंडिया के संस्थापक योगेंद्र यादव ने ट्वीट कर कहा, कि मणिपुर में इतनी दुर्दांत घटना होने के बावजूद अगर देश का प्रधानमंत्री चुप्पी साधे बैठा रहता है, तो ऐसे प्रधानमंत्री पर धिक्कार है। मणिपुर भी इस देश का अभिन्न अंग है। मणिपुर के प्रति भी प्रधानमंत्री की उतनी ही जिम्मेदारी है, जितनी बाकी राज्यों के प्रति। आखिर यह चुप्पी क्यों और कब तक?

आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा, कि मणिपुर की वारदात बेहद शर्मनाक और निंदनीय है। भारतीय समाज में इस तरह की घिनौनी हरकत बर्दाश्त नहीं की जा सकती। मणिपुर के हालात बेहद चिंताजनक बनते जा रहे हैं। मैं प्रधानमंत्री जी से अपील करता हूँ, कि वे मणिपुर के हालात पर ध्यान दें। इस वारदात के वीडियो में दिख रहे दोषियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई करें। भारत में ऐसे आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए।

वहीं इस मामले पर कांग्रेस पार्टी की नेता प्रियंका गाँधी ने ट्वीट कर कहा, कि मणिपुर से आ रही महिलाओं के खिलाफ यौनहिंसा की तस्वीरें दिल दहला देने वाली हैं। महिलाओं के साथ घटी इस भयावह हिंसा की घटना की जितनी निंदा की जाए कम है। समाज में हिंसा का सबसे ज्यादा दंश महिलाओं और बच्चों को झेलना पड़ता है। हम सभी को मणिपुर में शांति के प्रयासों को आगे बढ़ाते हुए हिंसा की एकस्वर में निंदा करनी पड़ेगी। केंद्र सरकार, प्रधानमंत्री जी आखिर मणिपुर की हिंसक घटनाओं पर आँख मूंद कर क्यों बैठे हैं? क्या इस तरह की तस्वीरें और हिंसक घटनाएं उन्हें विचलित नहीं करतीं?

सर्व सेवा संघ (अखिल भारत सर्वोदय मंडल) के प्रबंधक ट्रस्टी महादेव विद्रोही ने कहा कि मणिपुर पिछले कई महीने से सुलग रहा है। यदि आरम्भ में ही जरूरी कदम उठाये गए होते तो इस स्थित को रोका जा सकता था। पर केंद्र और  सरकार ने चुप्पी साध रखी है.

विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित रिपोर्टों के अनुसार मणिपुर के मुख्यमंत्री वीरेन्द्र सिंह ने कहा है “राज्य में ऐसी हजारों घटनाएं हुई हैं।” ऐसा लगता है उनके लिए यह सामान्य घटना है। मुख्यमंत्री की इस स्वीकारोक्ति के बाद भी वे इस पद पर कैसे बने हुए हैं ?

महादेव विद्रोही ने कहा कि इस हिंसा के कारणों को ढूंढना होगा और तद्नुसार कदम उठाने होंगे। इन घटनाओं में महिलाओं को जिस तरह निशाना बनाया जा रहा है वह अत्यंत दुखद और क्षोभजनक है। जो लोग इन जघन्य घटनाओं में शामिल हैं उन्हें चिह्नित कर उन पर फास्टट्रैक कोर्ट में मुकदमा चला कर कठोरतम सजा दिलाने के लिए शीघ्र सभी उचित कदम उठाने चाहिए।

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने इस घटना का स्वतः संज्ञान लेकर केंद्र सरकर को 28 जुलाई तक जवाब देने को कहा है। सर्वोच्च न्यायालय की इस सकारात्मक पहल से लोगों में आशा बंधी है, साथ ही न्यायपालिका पर विश्वास भी बढ़ा है। आशा करते हैं कि न्यायालय के इस हस्तक्षेप के परिणाम सकारात्मक सिद्ध होंगे।

फिल्म अभिनेता आशुतोष राणा ने ट्वीट कर कहा, कि इतिहास साक्षी है जब भी किसी आतातायी ने स्त्री का हरण किया है या चीरहरण किया है उसकी कीमत संपूर्ण मनुष्य जाति को चुकानी पड़ी है। हमें स्मरण रखना चाहिए, कि स्त्री का शोषण, उसके ऊपर किया गया अत्याचार, उसका दमन और उसका अपमान आधी मानवता पर नहीं बल्कि पूरी मानवता पर एक कलंक की भाँति है। बसपा के सांसद रितेश पांडेय ने कहा कि मणिपुर में जारी हिंसा व तनाव और महिलाओं के साथ हुए अभद्रता के दृश्य बेहद दर्दनाक और मानवता को शर्मसार करने वाले हैं। यह आश्चर्यजनक है, कि सरकार ने मूकदर्शक बने रहना क्यों चुना और हमारे नागरिकों की सुरक्षा के लिए कुछ भी नहीं किया।

आल इंडिया फारवर्ड ब्लाक के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राम किशोर एडवोकेट, पीपुल्स यूनिटी फोरम के संयोजक वीरेन्द्र त्रिपाठी एडवोकेट, पीपुल्स लायर्स फोरम के संयोजक उदयवीर सिंह एडवोकेट, सिटीजन्स फार डेमोक्रेसी के संयोजक मंडल के सदस्य प्रभात कुमार एडवोकेट, “कर्म श्री” पत्रिका की संपादक सुश्री पूनम सिंह एडवोकेट, शहीद स्मृति मंच के संयोजक जयप्रकाश एडवोकेट, आल इंडिया वर्कर्स कौन्सिल के महामंत्री ओपी सिन्हा, गांधीवादी चिन्तक सुश्री पुतुल जी, सोशलिस्ट फाउण्डेशन के उपाध्यक्ष ज्योति कुमार राय एडवोकेट, हिन्दुस्तानी साहित्य सभा के महामंत्री हफीज किदवई, नेताजी सुभाष फाउण्डेशन के सह संयोजक आशीष यादव ने संयुक्त वक्तव्य में कहा कि देश का “मणि”, मणिपुर पिछले 79 दिनों से जल रहा है । 350 से अधिक मणिपुरवासियों की मौत हो चुकी है। पूरे प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ हिंसा लगातार जारी है। हजारों लोग बेघर हो चुके हैं । इंटरनेट बंद है। पूरे प्रदेश में मौत का सन्नाटा पसरा है और आपसी समुदायों में युद्ध जैसे हालात बने हुए हैं। पूरे प्रदेश में असंतोष और अविश्वास के चमगादड़ सांय सांय करते घूम रहे हैं।

मणिपुर में महिलाओं को भीड़ द्वारा निर्वस्त्र कर घुमाए जाने का वीडियो वायरल हुआ है। यह वीडियो 4 मई का है। वीडियो वायरल होने के बाद और उच्चतम न्यायालय ने जब स्वतः संज्ञान लेकर केंद्र सरकार को चेतावनी दी तो प्रधानमंत्री ने 30 सेकेण्ड के लिए अपना मौन तोड़ा और इस 30 सेकेण्ड में भी न तो उन्होंने मणिपुर की सरकार को बर्खास्त करने या मणिपुर के मुख्यमंत्री को हटाने की कोई बात की।

वक्तव्य में कहा गया है कि प्रधानमंत्री की खामोशी और निष्क्रियता ने मणिपुर को अराजकता के गर्त में ढकेल दिया है। वक्तव्य में मांग की गई है कि मणिपुर में तुरंत राष्ट्रपति शासन लगाया जाए। दोषियों के खिलाफ तुरंत और सख्त कार्रवाई की जाए। नागरिक संगठनों, राजनीतिक संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ मिलकर प्रेम, सौहार्द और आपसी विश्वास का वातावरण निर्मित किया जाए।

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