लोकबन्धु राजनारायण की पुण्यतिथि है आज

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Raj Narayan

म्र 69 साल. जेल गए 80 बार. जेल में बिताए कुल 17 साल, जिसमें तीन साल आजादी से पहले और 14 साल आजादी के बाद. इतने साल तो गांधीजी ने भी जेल में नहीं बिताए होंगे. वही शख्स, जिससे लौह महिला इंदिरा गांधी बुरी तरह डर गईं थीं. इतनी आतंकित हो गईं कि इमरजेंसी लगा दी. वो राजनारायण थे.l आज उनकी 36 वी पुण्यतिथि है लेकिन किसी को वो याद नहीं. वो ऐसी शख्सियत भी हैं, जिसके कारण केंद्र में गैरकांग्रेसी सरकारें बननीं शुरू हुई.

आजाद भारत में समता, बंधुत्व, और सदभाव की खातिर कम लोगों ने जीवन में इतनी प्रताड़ना सही होगी. जो राजनीति के फक्कड़ नेता थे. हर किसी के लिए उपलब्ध और हर किसी के मददगार. हालांकि बाद के बरसों में उन्हीं के सियासी साथियों ने उनसे दूरी बना ली और उन्हें भारतीय राजनीति का विदूषक भी कहा जाने लगा.l

60 के दशक के खत्म होते होते इंदिरा मजबूत प्रधानमंत्री बन चुकी थीं. कांग्रेस के ताकतवर नेता उनके सामने पानी मांग रहे थे. विपक्ष बहुत कमजोर स्थिति में था. ऐसे में जब इंदिरा गांधी ने वर्ष 1971 में दोबारा चुनाव जीतकर आईं तो किसी बड़े नेता में उनसे टकराने की हिम्मत नहीं थी.l ऐसे में राजनारायण ना केवल उनसे भिड़े बल्कि विपक्ष को एक करने की जमीन भी बनाई. अगर वह इंदिरा को मुकदमे में टक्कर नहीं देते तो ना जयप्रकाश नारायण संपूर्ण क्रांति का आंदोलन कर पाते, ना आपातकाल लगता और ना ही 1977 के चुनावों में इंदिरा गांधी को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ता.l

राजनारायण का जन्म बनारस के उस जमींदार परिवार में हुआ था, जो वहां के राजघराने से जुड़ा माना जाता था. बहुतायत में जमीनें थीं. लंबी चौड़ी खेती. रसूख और रूतबा. वह अलग मिट्टी के बने थे. उन्होंने अपने हिस्से की सारी जमीन गरीबों को दे दी. उनके खुद के परिवार में बहुत विरोध हुआ. भाइयों ने बुरा माना. वह टस से मस नहींं हुए. यहां तक कि अपने बेटों के लिए कोई संपत्ति नहीं छोड़ी l .उनका जीवन हमेशा सादगी से भरा रहा.साधारण कपड़ा पहनते थे. जीवन में कोई लग्जरी नहीं थी. हां, बस वह खाने के शौकीन थे. उनके पास जो भी पैसा आता था, वो जरूरतमंदों में बंट जाता था. कभी अपने लिए एक पैसा नहीं जुटाया.l राजनारायण फकीर की भांति दुनिया से विदा हुए. 31 दिसंबर 1986 को उनका निधन हो गया. न मकान, न जमीन, न बैंक–बैलेंस.l

लोकबन्धु राजनारायण के बारे में लोहिया जी अक्सर कहते थे जब तक राजनारायण जिंदा हैं, देश में लोकतंत्र मर नहीं सकताl

लोकतंत्र के प्रहरी, समाजवादी मूल्यों के पक्षधर फक्कड समाजवादी नेता को शत शत नमन!


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