लोकतांत्रिक राष्ट्रनिर्माण अभियान की पाक्षिक ऑनलाइन बैठक की रिपोर्ट

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Loktantrik rastra nirman abhiyan

1अगस्त 2025 को रात में हुई ऑनलाइन बैठक में शामिल सहभागी थे: मंथन, योगेंद्र भागलपुर, विरेंद्र कुमार, सुशील कुमार, मनीषा बनर्जी, दीपक धोलकिया, अशोक विश्वराय, आनंद कुमार, अशोक सोमल, एंथोनी पी एम, मणिमाला, दिलीप कुमार महतो, उपेंद्र शंकर, दीपक रंजीत, रूपेश कुमार, ईश्वर अहिरे, शाहिद कमाल, जागृति राही, रामशरण, शशिशेखर प्रसाद सिंह, जयंत दिवाण, कल्याण साखरकर, प्रेमचंद विश्वकर्मा, रोबिन दंडपात ओड़िसा, रेजिनार्क केरला, किरण, दिनेश प्रियमन.
बैठक में अशोक सोमल, दीपक धोलकिया, मनीषा बनर्जी, सुशील कुमार, रामशरण, ज्ञानेंद्र कुमार, शशिशेखर प्रसाद सिंह, मणिमाला, रूपेश कुमार, विरेंद्र कुमार, शाहिद कमाल, जागृति राही,उपेंद्र शंकर, जयंत दिवाण और आनंद कुमार ने अपनी बातें रखी।

बैठक में आयी बातें, निष्कर्ष और निर्णय

1.विविध कार्यसमूहों की गतिविधि रपट

पर्यावरण समूह की ओर से जानकारी रखते हुए अशोक सोमल ने कहा कि 25जुलाई की बैठक में असम के एक विशेष साथी से उनकी विशिष्ट गतिविधि और उपलब्धि को बताने के लिए आमंत्रित किया गया था। वे अपनी सहमति देने के बाद भी नहीं जुड़ पाए थे। इस कारण उस बैठक में कुछ नहीं हो सका था । हिमाचल प्रदेश में कुछ कुछ करने की कोशिश हो रही है।

दीपक धोलकिया ने साथियों से आग्रह किया कि आप अपने अलावा अपने क्षेत्र से सम्पर्क कर एक व्यक्ति को अवश्य इस समूह से जोड़ें। तब इस समूह की शक्ति बढ़ सकेगी। वे कुछ सामूहिक कर सकेंगे।

साम्प्रदायिक फासीवाद विरोधी कार्यसमूह की रिपोर्ट रखते हुए मनीषा बनर्जी ने बताया कि इधर कोई नयी बैठक नहीं हुई है। देश में बांग्लाभाषी और बांग्लादेशी का भ्रम रचकर जो पुलिसिया उत्पीड़न चल रहा है, उसके विरोध में ममता बनर्जी ने बोलपुर शांतिनिकेतन से एक अभियान शुरू किया है। इसमें उन्हें बुलाया गया था और वे शामिल हुई थीं।

28 जुलाई को लोकतांत्रिक राष्ट्रनिर्माण अभियान की ओर से एस आई आर और बांग्लाभाषी उत्पीड़न को लेकर नागरिकता विषय पर एक पैनल चर्चा हुई थी। उसमें आनन्द कुमार, दीपक धोलकिया, मनीषा बनर्जी, अनन्ता पंडा वक्ता के बतौर शामिल हुए थे।
मंथन ने शिक्षा और स्वास्थ्य विषयक कार्यसमूह के बारे में बताया कि एक बैठक के बाद दूसरी बैठक नहीं हो सकी है। कार्यसमूह के व्हाट्सएप ग्रुप में योगेन्द्र का लिखा शिक्षा विषयक एक आलेख डाला गया है। ऐसी ही ग्रुप में अपने अपने विचार लिखने का आग्रह किया गया है।

चुनाव और राजनीतिक सुधार कार्यसमूह के शशिशेखर सिंह ने यह जानकारी दी कि सीएफडी की ओर से राष्ट्रपति को एस आई आर और चुनाव सुधार के संदर्भ में एक स्मार पत्र भेजा गया है।

युवा एवं रोजगार कार्यसमूह के ज्ञानेंद्र ने बताया कि अभी तक इस समूह की एक ही ऑनलाइन बैठक हुई है। फिर वह कुछ दिनों के अंदर दूसरा बैठक करने की कोशिश करेंगे।

2.हिरोशिमा दिवस और गजा जनसंहार को लेकर 6 अगस्त को एक कार्यक्रम लेने का प्रस्ताव:

मनीषा बनर्जी ने यह प्रस्ताव रखा कि हिरोशिमा नागासाकी पर बम गिराने के 80 साल हो रहे हैं। आज भी दुनिया में युद्ध जारी हैं। इजराइल द्वारा गजा पट्टी में निर्दोषों का कत्लेआम हो रहा है। अतीत की इस विभीषिका और वर्तमान में फिलिस्तीनियों के कत्लेआम के विरोध में 6 अगस्त को लोकतांत्रिक राष्ट्रनिर्माण अभियान की ओर से जगह जगह कार्यक्रम किया जाए। मनीषा बनर्जी ने बोलपुर शांतिनिकेतन के बारे में जानकारी दी कि वहां 6 अगस्त को हर साल कार्यक्रम लेने की पुरानी परंपरा है। विरेन्द्र कुमार ने मुंबई के बारे में बताया कि वहां एक बड़े जुलूस की शक्ल में हर साल यह तारीख मनाई जाती है। रूपेश कुमार ने बताया कि इस बार पटना में भी यह तारीख मनाई जाएगी। यह सहमति बनी कि इन दोनों मुद्दों को एक साथ जोड़कर यथासंभव अन्य जगहों पर भी 6 अगस्त को कार्यक्रम लिया जाए।

3.बिहार की चुनावी और राजनीतिक वातावरण पर नियमित पैनल चर्चा का प्रस्ताव

28 जुलाई को हुए पैनल चर्चा के बाद क्षितिज यामिनी श्याम के साथ बातचीत में यह राय उभरी थी कि बिहार की राजनीतिक और चुनावी वातावरण को लेकर कुछ-कुछ दिन पर या हर दिन एक संक्षिप्त पैनल चर्चा हो । इन पैनल चर्चा में बिहार के विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रहे लोगों से वहां की स्थिति पर सुना जाय। इस संभावित योजना पर लोगों से राय मांगी गयी। एक साथी का कहना था कि रोज संभव नहीं है। एक अन्य साथी का कहना था कि कम तैयारी में सार्वजनिक मंच पर बोलने से नकारात्मक छवि बनती है। अधिकांश ने पैनल चर्चा के पक्ष में अपनी राय दी। लेकिन साथ ही अलग-अलग सुझाव भी दिए। सप्ताह में एक बार किया जाए। अभी से सुप्रीम कोर्ट के फैसले तक तीन या चार ऐसी पैनल चर्चा कर ली जाए। इस पैनल चर्चा में बिहार के बाहर के भी प्रतिष्ठित लोग रखे जाएं। इस चर्चा में जमीनी स्तर पर काम करने वाले कार्यकर्ताओं को सुना जाय। एक दिन में एक जिले के लोगों को पैनल वक्ता के रूप में रखा जाए। रोज 15-20 मिनट की भी चर्चा हर दिन देर रात रखी जा सकती है। निष्कर्ष के रूप में यह सहमति सी बनी है कि पूरी गंभीरता के साथ योजना बनाकर बिहार में जमीनी स्तर के लोगों के साथ यह चर्चा की जा सकती है।

4.ग्रामीण सरकारी स्कूलों को बंद करने के मसले पर

जागृति राही ने रिपोर्ट रखते हुए उत्तर प्रदेश में स्कूलों को बंद किए जाने के विरोध में बनारस में एक प्रभावशाली जुलूस सम्पन्न होने की जानकारी दी। उत्तर प्रदेश सरकार ने कम छात्र वाले सरकारी स्कूलों को बंद कर दूसरे स्कूलों के साथ मिलाने या पेयरिंग करने का आदेश जारी किया है। इसके खिलाफ उत्तर प्रदेश में आक्रोश है। जगह जगह पर कार्यक्रम हो रहे हैं।

स्कूल बंद करने के इस मुद्दे पर बहुत सारे साथियों ने अपनी बात रखी। चर्चा के क्रम में यह जानकारी आई कि सरकारी स्कूलों को बंद करने का काम बिहार, झारखंड, राजस्थान, दिल्ली, महाराष्ट्र और अन्य जगहों पर भी हुआ है, हो रहा है। हरेक स्कूल की बंदी अनेक एकलव्यों का अंगूठा काटने के बराबर है। प्रशासनिक पृष्ठभूमि वाले शिक्षाविदों की योजना के तहत यह हो रहा है। भाजपा सरकार की नई शिक्षा नीति में ऐसी नीयत लिखित है और यह स्कूल बंदी सरकारी नीति का एक हिस्सा है। मुंबई के बारे में यह बात आई कि प्राइम इलाके में जो म्युनिसिपालिटी के स्कूल हैं उन्हें बिना सूचना दिए बंद किया जा रहा है। कहीं कहीं स्कूल बिल्डिंग को क्षतिग्रस्त और दुर्घटनाजनक बताकर य। काम हो रहा है। असल में उन जमीनों को बेचने की तैयारी हो रही है। एक पक्ष यह भी आया कि राइट टू एजुकेशन के तहत एक खास उम्र तक शिक्षा देने की अनिवार्यता सरकार पर है। इतना ही नहीं, एक खास दूरी के दायरे के अंदर बच्चों को स्कूल उपलब्ध कराने की बात भी है। इस कारण स्कूल बंदी का यह कार्यक्रम संवैधानिक अधिकार पर हमला है। इस मुद्दे पर एक अच्छा प्रस्ताव तैयार किया जाय। सरकारों के नाम ज्ञापन तैयार कर प्रांतीय और राष्ट्रीय स्तर पर दिया जाए। इस योजना के विरोध में अदालत में भी जाया जाए।

विषय में दिलचस्पी और सहभागिता को देखते हुए सरकारी स्कूलों से जुड़े हुए प्रश्नों पर काम की संभावना बनी है। लोगों की इस प्रश्न पर लगने की तैयारी मांगने के बाद यह तय हुआ कि जागृति राही, मणिमाला और ज्ञानेंद्र कुमार इस अभियान में पहल की भूमिका में लगेंगे। जागृति राही इस पहल की प्रभारी होंगी।

अंत में राष्ट्रीय संयोजक आनंद कुमार ने कहा कि स्कूली शिक्षा और बिहार के एस आई आर पर फोकस कर अभी कार्यक्रम होना चाहिए। अगर हम लोग इस पर ठोस और अच्छे ढंग से काम कर सके तो लोकतांत्रिक राष्ट्रनिर्माण अभियान की अच्छी पहचान बनेगी। किसी का इंतजार किए बगैर चुनाव के लिए भी एक समिति बननी चाहिए। कुछ चुने हुए बूथों की वास्तविक जांच की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। याद दिलाया कि राष्ट्रीय सम्मेलन के एक साल हो रहे हैं। 15 अगस्त की बैठक में अगले राष्ट्रीय सम्मेलन के आयोजन के बारे में चर्चा और निर्णय होना चाहिए।


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