14 मार्च। एक नए विश्लेषण के मुताबिक साल 2020 और 2021 में कोविड-19 महामारी के दौरान भारत में अनुमानित रूप से 40.7 लाख लोगों की मौत हुई। यह संख्या आधिकारिक तौर पर भारत में कोविड-19 से हुई मौतों से आठ गुना अधिक है। इस समय कोरोना वायरस संक्रमण से हुई आधिकारिक मौतों की संख्या पांच लाख से कुछ अधिक है। इस विश्लेषण के जरिये पहली बार दुनियाभर में कोविड-19 के दौरान अत्यधिक मौतों का अनुमान लगाया गया और उसे गुरुवार को द लांसेट में प्रकाशित किया गया।
इस विश्लेषण में बताया गया कि मार्च 2010 से 191 देशों में 1.82 करोड़ लोगों की मौत हुई। जबकि इस अवधि में इन देशों में मौतों का आधिकारिक आंकड़ा 59.4 लाख बताया गया था। कुल मिलाकर विश्लेषण से पता चला कि भारत में महामारी के दौरान किसी भी देश की तुलना में मृत्यु दर सबसे अधिक रही।
इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (आईएचएमई) के विशेषज्ञों की टीम ने इस विश्लेषण को किया। आईएचएमई अमेरिका का एक स्वतंत्र शोध संगठन है। यह महामारी शुरू होने के बाद से विभिन्न महामारी विज्ञान के पूर्वानुमान जारी करता रहा है। बताया गया है कि कोविड-19 से दूसरा सर्वाधिक प्रभावित देश अमेरिका है। यहां इन 24 महीनों के दौरान 11.3 लाख लोगों की मौत हुई, जो अमेरिका के आधिकारिक आंकड़ों से 1.14 गुना अधिक है। इस समय अवधि में पांच और देशों रूस, मैक्सिको, ब्राजील, इंडोनेशिया और पाकिस्तान में कोरोना से पांच लाख से अधिक मौतें हुईं। दुनियाभर के 191 देशों की तुलना में कोरोना की वजह से हुई मौतों में से आधे से अधिक अतिरिक्त मौतें इन सात देशों में हुई है। यहाँ यह ध्यान देने योग्य है कि महामारी के दौरान ये अनुमानित मौतें हुई हैं, जरूरी नहीं है कि ये मौतें कोरोना से ही हुई हो।
रिपोर्ट के मुताबिक, शोधकर्ता टीम ने देश में सभी कारणों से हुई मौतों के आंकड़ों की गणना कोरोना से हुई मौतों के आंकड़ों से की। शोध के मुताबिक, कुछ देश निश्चित कारणों से हुई मृत्यु दर के आंकड़ें भी साझा करती हैं लेकिन बीते दो सालों में ये 36 देशों तक ही सीमित रही। गणितज्ञ और डिजीज मॉडलर मुराद बानाजी का कहना है कि भारत में इस तरह का शोध करने का प्रयास करना लगभग असंभव है। उन्होंने द वायर साइंस को बताया, मैं भारत के बारे में यह पूरे यकीन के साथ कह सकता हूं कि भारत में यह पता लगाना एक सपने की तरह की होगा कि देश में कोरोना की वजह से और कितनी मौतें हुई हैं।
भारत के लिए आईएचएमई की विश्लेषण टीम ने इन अत्यधिक मौतों का अनुमान लगाने के लिए सिविल रजिस्ट्रेशन प्रणाली (सीआरएस) शुरू की। इस वर्ष में अत्यधिक मौतों की गणना के लिए शोधकर्ताओं को दो तरह के डेटा की जरूरत होगी। पहला मौतों की आधार रेखा (बेसलाइन) का अनुमान लगाने के लिए और दूसरा इस बेसलाइन से अधिक हुई मौतों का अनुमान लगाने के लिए। 2018 और 2019 के लिए ये बेसलाइन आंकड़े सीआरएस से आए। इसके बाद 2020 और 2021 में अतिरिक्त मौतों की गणना की गई। जब इन्होंने इन्हीं सालों में दर्ज मौतों की वास्तविक संख्या की तुलना की तो इन्हीं मौतों में 40 लाख से अधिक के अंतर का पता चला।
विश्लेषण के मुताबिक, भारत के आठ राज्यों में मृत्यु दर प्रति 1,00,000 लोगों पर 200 से अधिक रही। दुनिया के 191 में से सिर्फ पचास अन्य देशों में कोरोना के दौरान मृत्युदर इससे खराब रही। भारत में ये आठ राज्य उत्तराखंड, मणिपुर, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, हरियाणा, हिमांचल प्रदेश, पंजाब और कर्नाटक हैं। दूसरी तरफ अरुणाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, सिक्किम, राजस्थान, गुजरात, उत्तर प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल और गोवा में वैश्विक औसत की तुलना में कम मृत्यु दर रही। अनुमानित मौतों की सटीक संख्या के संदर्भ में महाराष्ट्र भारत में छह लाख मौतों के साथ शीर्ष पर रहा। इसके बाद तीन लाख मौतों के साथ बिहार दूसरे स्थान पर रहा।
आईएचएमई का विश्लेषण ऐसा पहला विश्लेषण नहीं है, जिसने भारत में महामारी के दौरान प्रशासन द्वारा संभावित रूप से मौतों के आंकड़े कम आँककर उजागर करने की बात को सामने लाया। ऐसे कई सारे अनुमान रहे जिनमें यह संख्या 29 लाख से पचास लाख तक बताई गई।
छह जनवरी 2002 को टोरंटो यूनिवर्सिटी के महामारी विज्ञानी प्रभात झा की अगुवाई में हुए विश्लेषण में भारत में 2020 और 2021 में 32 लाख से अधिक मौतें बताई गई जबकि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान 27 लाख मौतें बताई गई। हर बार इस तरह के अनुमान सामने आने के बाद केंद्र सरकार इससे पूरी तरह इनकार करती रही है। सरकार ने 12 जून 2021, 22 जुलाई 2021, 27 जुलाई 2021 और 14 जनवरी 2022 को चार बयान भी जारी किए और इन सभी अवसरों पर उसने सीआरएस को ‘मजबूत’ बताया और कोविड से हुई मौतों की कम गणना की संभावना को खारिज कर दिया।
(MN News से साभार)