22 जुलाई। शुक्रवार को वैकल्पिक मोर्चा के द्वारा सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़, फिल्मकार अविनाश दास और पत्रकार रूपेश कुमार सिंह की गिरफ्तारी और गांधीवादी कार्यकर्ता हिमांशु कुमार पर 5 लाख का जुर्माना लगाने के फैसले के खिलाफ प्रतिरोध सभा का आयोजन स्टेशन चौक, भागलपुर में किया गया। यह एक नयी रवायत है कि जो कोर्ट में न्याय के लिए जाए, उसे ही गिरफ्तार किया जाय या जुर्माना लगाया जाय। यहां तक कि अविनाश दास ने सिर्फ एक फोटो शेयर किया, इतने पर उनकी गिरफ्तारी हो गई। स्वतंत्र पत्रकार भी कैदखाने में डाल दिए गए। इससे कुछ जरूरी सवाल उभरते हैं –
1. गुजरात में जो दंगा हुआ, क्या उसमें किसी की हत्या नहीं हुई या जिनकी हत्या हुई, उन्होंने ही अपने को गोली मार ली? क्या दंगाइयों को सजा दिलवाने के लिए कोई सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा दायर करेगा तो उसे ही कैद कर लिया जाएगा?
2. छत्तीसगढ़ में 2012 में 17 आदिवासियों की हत्या हुई।इसकी जांच की मांग करने के लिए सुप्रीम कोर्ट उसे ही सजा देगा जो न्याय की मांग कर रहा है?
3. पूजा सिंहल भ्रष्ट पदाधिकारी थी। वह बीजेपी राज में भी भ्रष्टाचार कर रही थी। उस वक्त वह गृहमंत्री अमित शाह से मिली थी। किसी ने दोनों की साथ वाली तस्वीर पोस्ट किया और अविनाश दास ने सिर्फ उसे शेयर किया और उनकी गिरफ्तारी हो गई।
लोकतंत्र क्या इस रास्ते चलेगा? संविधान क्या ऐसी कार्रवाई की इजाजत देता है?
शुक्रवार को भागलपुर में बड़ी संख्या में छात्र और सामाजिक कार्यकर्ता जुटे और उन्होंने साफ साफ सरकार को चेतावनी दी कि आपको अगर लगता है कि देश की जनता चुप रहेगी तो आप भ्रम में हैं। आप देश बेचते रहें, अपने मित्रों के 11 लाख करोड़ का बैंक लोन माफ करते रहें, जनता पर टैक्स पर टैक्स लगाते रहें, असत्य पर असत्य बोलते रहें और जनता गाय की तरह सहती रहे तो यह संभव नहीं।
-डॉ योगेन्द्र
संयोजक, वैकल्पिक मोर्चा
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