17 अगस्त। पंकज एक आदर्शवादी और सरोकारी युवक हैं। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त करने के बाद दो बरस भ्रष्टाचार विरोधी जन लोकपाल आंदोलन में जुटे रहे। आम आदमी पार्टी की दिल्ली में सरकार बनने के बाद इलाहाबाद लौटकर गरीब विद्यार्थियों को गणित पढ़ाने लगे। इधर बेरोजगारी विरोधी छात्र-युवा अभियानों के पक्ष में सोशल मीडिया में टिप्पणियाँ लिखते रहे हैं। दिल्ली और वाराणसी में संपन्न राष्ट्र निर्माण समागम में शामिल हुए। 15 अगस्त को तिरंगा यात्रा की तैयारी में जुटे थे। लेकिन सरकार को उनसे शांति भंग की आशंका हो गयी है। उन्हें 14 अगस्त को पुलिस ने बुलाया। वह वाहिनी समन्वय समिति द्वारा आयोजित संवाद के लिए वाराणसी में थे। उन पर दबाव डालने के लिए उनके वृद्ध पिता को थाने में बैठा लिया गया। पंकज के वाराणसी से इलाहाबाद आकर पुलिस के सामने प्रस्तुत होने पर उनको 20 अगस्त तक घर में पुलिस के पहरे में रख दिया गया है। धारा 151 के अंतर्गत नोटिस दिया गया है और 5 लाख के मुचलके की माँग की गई है।
पंकज के लिए आजादी के अमृत उत्सव का यह रूप चौंकाने वाला है।
हमारे लिए यह चिंताजनक और निंदनीय है। यह ब्रिटिश राज की हरकतों की याद दिलाता है। पुलिस राज के आगमन का ऐलान करता है। हर स्वराज प्रेमी और भारत की लोकतंत्र यात्रा पर गर्व करनेवालों के लिए चुनौती है। पंकज के खिलाफ जारी नोटिस और 5 लाख के मुचलके की माँग वापस की जाए और पुलिस द्वारा उनको आतंकित करने के लिए क्षमा माँगी जाए।
– आनंद कुमार