83 फीसदी नेपालियों को सामाजिक सुरक्षा नहीं हासिल

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1 सितंबर। भारत के पड़ोसी देश नेपाल में 83 फीसदी लोगों को आज भी सामाजिक सुरक्षा हासिल नहीं है। केवल 17 फीसदी नेपाली कम से कम एक सामाजिक सुरक्षा लाभ के दायरे में आते हैं। संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों की ट्रैकिंग टेबल में नेपाल लगभग सबसे नीचे है। हालांकि नेपाल में संविधान ने गरीबों और कमजोर लोगों के लिए सामाजिक सुरक्षा की गारंटी दी है। लेकिन नेपाल का स्कोर 46.9 प्रतिशत के वैश्विक औसत से काफी नीचे है।

एशिया और प्रशांत क्षेत्र में, कम से कम एक सामाजिक सुरक्षा लाभ प्राप्त करनेवाली जनसंख्या का औसत प्रतिशत 44.1 फीसदी है। “वर्ल्ड सोशल प्रोटेक्शन रिपोर्ट 2020-22 : रीजनल कम्पेनियन रिपोर्ट फॉर एशिया एंड द पैसिफिक, इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन (ILO)” द्वारा मंगलवार को प्रकाशित की गई रिपोर्ट में कहा गया है, कि जो प्रगति हुई है, उसमें सभी देशों में काफी असमानताएं हैं। The Kathmandu post से मिली जानकारी के मुताबिक रिपोर्ट में कहा गया है, “एशिया और प्रशांत क्षेत्र में अधिकांश लोगों के पास किसी भी सामाजिक सुरक्षा लाभ तक पहुँच नहीं है।”

महिलाओं के लिए सामाजिक सुरक्षा कवरेज पूरी तरह से कम रहा है। स्त्री पुरुष असमानता श्रम बाजारों की एक केंद्रीय विशेषता बनी हुई है, जिसमें महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कम वेतन मिलता है और अवैतनिक देखभाल कार्य में अधिक समय व्यतीत होता है। दक्षिण एशिया में अफगानिस्तान, भूटान और पाकिस्तान इन सभी देशों की तुलना में नेपाल ऊपर है। लेकिन श्रीलंका, बांग्लादेश, भारत और मालदीव से नीचे है। रिपोर्ट के अनुसार, इस क्षेत्र में सामाजिक सुरक्षा पर खर्च पिछले दो वर्षों में सकल घरेलू उत्पाद का औसतन 7.5 फीसदी रहा है, जिसमें आधे देश 2.6 फीसदी या उससे कम खर्च कर रहे हैं। वहीं चीन में 70.8 फीसदी और भारत में 24.4 फीसदी है। रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना महामारी के बाद से ही सभी देशों में सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने की रफ्तार को काफी धीमा कर दिया है।

रिपोर्ट में इस बात को भी साफ किया गया है कि सामाजिक सुरक्षा योजना में अंशदान करनेवाले लोगों को ही सामाजिक सुरक्षा का लाभ मिलता है। अंशदान न करनेवाले सभी लोगों को सामाजिक सुविधाओं से बाहर रखा जाता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि “मजदूरों का एक बड़ा और महत्त्वपूर्ण समूह असुरक्षित छोड़ दिया गया है।”

कई महिलाएं, प्रवासी कामगार, स्वरोजगार करनेवाले, सूक्ष्म और लघु उद्यमों में काम करनेवाले, घरेलू कामगार, घर पर काम करनेवाले और योगदान देनेवाले परिवार के कामगारों को ऐसी योजनाओं में शामिल नहीं किया जा रहा है। नेपाल में कैजुअल वर्कर्स की संख्या अधिक है, और फिर भी वे सामाजिक सुरक्षा योजना से बाहर हैं। सामाजिक सुरक्षा योजनाओं तक सीमित संख्या में लोगों की पहुँच के अलावा, नई ILO रिपोर्ट कहती है, कि पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करने के लिए उपलब्ध लाभ अक्सर बहुत कम होते हैं।

(‘वर्कर्स यूनिटी’ से साभार) 

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