12 सितंबर। पंजाब के संगरूर में दलित खेतिहर मजदूरों ने अपना तीन (12-14) दिवसीय धरना शुरू कर दिया है। जमीन प्राप्ति संघर्ष कमिटी (ZPSC) के साथ मिल कर दलित खेतिहर मजदूरों ने और अन्य किसान संघों ने अपनी मांगों को पूरा कराने के लिए मुख्यमंत्री भगवंत मान के घर का घेराव किया। संगरूर में मजदूरों के इस धरने के पहले ही पुलिस प्रशासन ने धारा 144 लागू कर दी है। लेकिन मजदूरों का प्रदर्शन जारी है।
किसान मजदूर संघों का कहना है, कि विधानसभा चुनाव के बस खेतिहर मजदूरों को सरकार से बहुत उम्मीदें थीं। फिलहाल की परिस्थितियों में मान सरकार के शासन के चार महीने पूरे होने के बाद भी कोई सकारात्मक प्रतिकिया नजर नहीं आ रही है। आज पंजाब के दलित खेतिहर मजदूर अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। जो मजदूर वर्ग के साथ सबसे बड़ा विश्वासघात है। किसान संघों कहना है, कि दैनिक दरों में वृद्धि, रोजगार गारंटी, भूमि वितरण, कर्ज माफी और दलितों पर अत्याचार रोकने की माँगों को पूरा करने के लिए पूरे प्रदेश से हजारों मजदूरों ने प्रतिबंधों को नजरअंदाज किया।
उनकी माँगें निम्नवत हैं –
1) सरकार द्वारा साल भर रोजगार दिया जाए।
2) महंगाई के हिसाब से मजदूरी बढ़ाई जाए।
3) भूमिहीन दलितों के सरकारी व गैर-सरकारी कर्ज माफ किया जाए।
4) सहकारी समितियों में सदस्यों की बिना शर्त भर्ती और ब्याज और सबसिडी के तहत कर्ज मिले।
5) वृद्धावस्था, विधवा, विकलांगता पेंशन कम से कम 5000 रुपए हो।
6) वृद्धावस्था पेंशन की आयु सीमा महिलाओं के लिए 55 साल और पुरुषों के लिए 58 वर्ष हो।
7) नेताओं द्वारा दलितों पर अत्याचार बंद करने, श्रम कानूनों में संशोधन को निरस्त करने और इस मुद्दे को हल करने के लिए विधानसभा में प्रस्ताव पारित करने के लिए दबाव बनाया जाए।
गौरतलब है, कि अभी कुछ समय पहले ही मान सरकार में अध्यापकों को 7वें वेतन आयोग को लागू किया था। इससे साफ तौर पर नजर आ रहा है, कि सरकार केवल अपने कर्मचारियों को ही खुश करना चाहती है। दलित खेतिहर मजदूरों के लगातार प्रदर्शनों के बाद भी उनकी ओर ध्यान देने को बिलकुल भी राजी नहीं है।
(‘वर्कर्स यूनिटी’ से साभार)