जम्मू-कश्मीर के ईंट भट्ठों पर जबरदस्ती काम करने को मजबूर छत्तीसगढ़ के मजदूर

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16 सितंबर। छत्तीसगढ़ के चजांजगीर चांपा जिले के 20 परिवार और बलोदा बाजार जिले के एक परिवार के कुल 90 मजदूरों से जम्मू कश्मीर के चडूरा थाना क्षेत्र के अंतर्गत मगरेपुरा गाँव में चल रहे ईंट भट्टे पर कथित तौर पर जबरन काम करने को मजबूर किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ के 21 परिवारों के कुल 90 मजदूर जम्मू-कश्मीर के बडगांव जिले में स्थित 191 ईंट मार्का भट्टे पर बंधुआ मजदूरी के जंजीरों से जकड़े हुए हैं किंतु अफसोस की बात है, इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। जानकारी के मुताबिक इन 90 मजदूरों में महिलाएं एवं बच्चे भी शामिल हैं।

‘नेशनल कैंपेन कमिटी फॉर इरेडिकेशन ऑफ बॉन्डेड लेबर’ ने 9 सितम्बर 2022 को बडगाम जिले के डिप्टी कमिश्नर से शिकायत की, जिसकी प्रतिक्रिया में डिप्टी कमिश्नर ने जल्द ही कार्रवाई का आश्वासन दिया है। किंतु अभी तक कार्रवाई नहीं हुई। साथ ही जांजगीर चांपा जिले के जिलाधिकारी को भी 9 सितम्बर 2022 को शिकायती पत्र ईमेल के माध्यम से प्रेषित किया गया किंतु वहाँ से भी कोई सकारात्मक परिणाम सामने नही आया।

‘नेशनल कैंपेन कमिटी फॉर इरेडिकेशन ऑफ बॉन्डेड लेबर’ से कुछ मजदूरों ने अपनी आपबीती सुनाई। बंधुआ मजदूर मायावती ने बताया, कि वे सभी अनुसूचित जाति की मजदूर हैं, और हमें मई 2022 में बड़गाम जिले में लाया गया जहाँ हमें 10,000 रुपये एडवांस देकर कर्ज में फंसा लिया। हमारे परिवार के सभी सदस्यों यहाँ तक कि बच्चों ने भी दिन रात अथक परिश्रम करके कर्ज चुका दिया, किंतु मालिक हम लोगों से ₹10,000 के एवज में साल भर काम करवाना चाहता है। हम दिन रात ईंट बना रहे हैं, जहाँ कोई हमारे काम का हिसाब किताब हमें नहीं बताया जा रहा है। मैंने 90,000 ईंट तैयार किया, जिसकी कीमत ₹81,000 हुई और मुझे चार महीने में मात्र 15,000 रुपए मिला। बाकी का पैसा मालिक हमें नहीं दे रहा। सरस्वती देवी बंजारे ने बताया, कि गर्भवती होने के बावजूद मालिक मुझसे जबरन काम करवा रहा है। मुझे अस्पताल जाना होता है। मालिक मुझे अस्पताल जाने के लिए खर्चा नहीं देता है।

बेगारी, बंधुआ मजदूरी, जबरदस्ती लिया गया कोई कार्य और बालश्रम आदि को रोकने के लिए कानून बनाये गए हैं। संवैधानिक प्रावधानों में इसके लिए विशेष रूप से अनुच्छेद-23 व अनुच्छेद-24 है। इन सबके बावजूद एक सबल तबका इन बेबस भूमिहीन मजदूरों का शोषण करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। छत्तीसगढ़ सरकार भूमिहीन मजदूरों को सम्मानजनक रोजगार हेतु भूमि देकर पलायन को कम कर सकती है।


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