13 अप्रैल। सयुंक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर किसानों के धरनास्थलों पर 14 अप्रैल को आंबेडकर जयंती के अवसर पर सविंधान बचाओ दिवस और किसान-बहुजन एकता दिवस मनाया जाएगा। इस दिन देशभर के दलितों, आदिवासियों व बहुजनों से दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के धरनों में शामिल होने का भी आह्वान किया गया है। बहुजन समाज के अनेक नुमाइंदे 14 अप्रैल को सिंघु, टिकरी, गाज़ीपुर व अन्य बॉर्डर्स पर पहुंचकर किसानों को समर्थन देंगे।
मोर्चा की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि डॉ भीमराव आंबेडकर देश के शोषित, उत्पीड़ित लोगों की मुक्ति के नायक थे। हम उन्हें संविधान निर्माता के रूप में जानते हैं। संविधान में दिये गये कई मौलिक अधिकारों पर आज आरएसएस-भाजपा की सरकार तीखे व क्रूर हमले कर रही है। आज, जब बेरोजगारी बेइंतहा तेजी से बढ़ रही है और खेती में घाटा व कर्जदारी बढ़ रही है, तब इसके चलते खेती से जुड़े लोगों पर सकंट बढ़ता जा रहा है।
खेती के लिए बनाए गये तीन कानून और बिजली बिल-2020 मोदी सरकार की गरीब विरोधी नीतियों में नया कदम है और ये कदम खेतिहर मजदूरों और किसानों के लिए खतरा बन गए हैं। यह बटाईदार किसानों के लिए और भी घातक है क्योंकि खेती को लाभकारी बनाने के लिए कम्पनियां बड़े पैमाने पर इसमें मशीनों का प्रयोग कराएंगी और बटाईदारों का काम पूरा छिन जाएगा। बटाईदारों की बड़ी संख्या बहुजन समाज से आती है। देश के मेहतनकशों के लिए एक उत्साह की बात है कि जमीनवाले किसान और इनके संगठन, इन कानूनों को रद्द कराने के लिए लड़ रहे हैं।
13 अप्रैल को, खालसा पंथ के स्थापना दिवस के शुभ अवसर पर दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसान इस कार्यक्रम को पूरे पारंपरिक ढंग से मनाएंगे। किसानों-मजदूरों व सामाजिक न्याय के लिए लंबे समय से संघर्षशील खालसा पंथ पर सिंघु बॉर्डर पर भी कार्यक्रम होंगे। टिकरी बॉर्डर पर भी ‘कैलिफोर्निया पिंड’ में वैशाखी के सांस्कृतिक, खेल व अन्य पारंपरिक कार्यक्रम होंगे।
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