9 नवंबर। केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के साझा मंच (सीटीयू) ने एक बार फिर संयुक्त किसान मोर्चा को समर्थन का भरोसा दिलाया है। गौरतलब है कि संयुक्त किसान मोर्चा ने 26 नवंबर को देश भर में विरोध प्रदर्शन करने का ऐलान कर रखा है। दो साल पहले 26 नवंबर को ही तीन किसान विरोधी कानूनों तथा बिजली संशोधन बिल को वापस लेने, किसानों को फसल का लागत से डेढ़ गुना (सी 2+50%) दाम दिलाने की कानूनी गारंटी आदि प्रमुख मांगों को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के धरने (पक्के मोर्चे) शुरू हुए थे। पांच सौ ज्यादा किसान संगठनों की एकजुटता और 380 दिनों तक चले धरने और करीब सात सौ किसानों की शहादत के बाद आखिरकार केन्द्र सरकार को घुटने टेकने पड़े और तीनों कानून रद्द हो गए। लेकिन फसल की कानूनी गारंटी, संशोधित बिजली बिल की वापसी, लखीमपुर खीरी कांड के मद्देनजर अजय मिश्रा टेनी को मंत्रिमंडल से हटाने और गिरफ्तार करने तथा आंदोलनकारी किसानों पर से मुकदमे वापस लेने की मांग अभी जहां की तहां है। इन मांगों को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा ने एक बार फिर 26 नवंबर से संघर्ष शुरू करने का फैसला किया है। और इसमें श्रमिक संघों का समर्थन पाने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से डॉ दर्शनपाल ने सीटीयू को पत्र लिखा था।
सीटीयू ने डॉ दर्शनपाल के पत्र जवाब में 26 नवंबर के विरोध प्रदर्शनों के लिए ट्रेड यूनियनों के पूर्ण समर्थन का भरोसा दिलाया है। सीटीयू ने यह भी कहा है कि केंद्र सरकार और उसके मंत्रियों की कथनी और करनी में भारी फर्क है। इसका ताजा उदाहरण 25-26 अगस्त को तिरुपति (आंध्रप्रदेश) में बुलाया गया श्रम सम्मेलन था जिसमें एक भी केंद्रीय ट्रेड यूनियन, यहां तक कि भाजपा-आरएसएस के अपने मजदूर संगठन (भारतीय मजदूर संघ) को भी नहीं बुलाया गया। यही नहीं, प्रधानमंत्री यही राग अलापते रहे कि जो चार लेबर कोड बनाए गए हैं उनसे श्रमिकों का सशक्तीकरण होगा। जबकि इन चार लेबर कोड के खिलाफ तमाम श्रमिक संगठन देश भर में आंदोलन करते आ रहे हैं। केंद्र सरकार की संवेदनहीनता चरम पर पहुंच गयी है।
डॉ दर्शनपाल को सीटीयू की ओर से लिखे गए पत्र पर इंटक, एचएमएस, सीटू, सेवा आदि लगभग सभी श्रमिक संघों के पदाधिकारियों ने हस्ताक्षर किए हैं। पत्र में यह भी बताया गया है कि केंद्रीय श्रमिक संघों ने 23 सितंबर 2022 को हुई अपनी साझा बैठक में ही संयुक्त किसान मोर्चा को समर्थन देने का निर्णय कर लिया था। इसके साथ ही सीटीयू ने चार लेबर कोड को रद्द करने की मांग को लेकर तथा निजीकरण और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों को बेचने के विरोध में 2 दिसंबर को देशभर में विरोध प्रदर्शन का निर्णय कर रखा है।
संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से सीटीयू को लिखे गए पत्र का सीटीयू ने जो सकारात्मक और उत्साहपूर्ण जवाब दिया है उससे जाहिर है कि किसानों और मजदूरों की पारस्परिक एकजुटता टिकाऊ तथा मजबूत हो रही है।