26 नवंबर को एसकेएम राष्ट्रव्यापी “राजभवन मार्च” आयोजित करेगा
किसानों से किए गए सभी वादे पूरे होने तक एसकेएम देश के समस्त किसानों से निरंतर और प्रतिबद्ध संघर्ष में शामिल होने की अपील करता है।
सीटू+50% न्यूनतम समर्थन मूल्य सहित किसानों की मांगों पर मोदी सरकार द्वारा शर्मनाक विश्वासघात का एसकेएम दृढ़ संकल्प के साथ मुकाबला करेगा
एसकेएम ने 19 नवंबर 2022 को “फ़तह दिवस” के रूप में मनाने की घोषणा की
17 नवंबर। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने गुरुवार एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर 26 नवंबर को भारत के सभी किसानों से देश भर में “राजभवन मार्च” आयोजित करने और संबंधित राज्यपालों के माध्यम से “भारत के राष्ट्रपति को ज्ञापन” सौंपने का आह्वान किया।
इन मांगों में, संबंधित राज्यों की प्रमुख स्थानीय मांगों के साथ (1) सभी फसलों के लिए कानूनी रूप से गारंटीकृत सीटू+50% न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) (2) एक व्यापक ऋण माफी योजना के माध्यम से कर्ज मुक्ति (3) बिजली संशोधन विधेयक, 2022 को वापस लेना (4) लखीमपुर खीरी में किसानों व पत्रकारों के नरसंहार के आरोपी केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी की बर्खास्तगी एवं उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई (5) प्राकृतिक आपदाओं के कारण किसानों की फसल बर्बाद होने पर शीघ्र क्षतिपूर्ति के लिए व्यापक एवं प्रभावी फसल बीमा योजना (6) सभी मध्यम, छोटे और सीमांत किसानों और कृषि श्रमिकों को प्रति माह 5,000 रुपये की किसान पेंशन (7) किसान आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज सभी झूठे मामलों को वापस लेना (8) किसान आंदोलन के दौरान शहीद हुए सभी किसानों के परिवारों को मुआवजे का भुगतान शामिल है।
26 नवंबर को एसकेएम द्वारा शुरू किया गया ऐतिहासिक “दिल्ली चलो” आंदोलन, दुनिया का सबसे लंबा और सबसे बड़ा किसान आंदोलन बना, और किसानों को उनकी भूमि और आजीविका से बेदखल करने के कॉर्पोरेट-राजनीतिक गठजोड़ के खिलाफ किसानों की आश्चर्यजनक जीत हुई।
एसकेएम की राष्ट्रीय परिषद ने 14 नवंबर को नई दिल्ली स्थित रकाबगंज गुरुद्वारा में एक बैठक की और मोदी सरकार द्वारा 9 दिसंबर 2021 को, लगभग एक वर्ष पहले दिए गए लिखित आश्वासनों- कानूनी रूप से गारंटीकृत एमएसपी, बिजली बिल की वापसी- आदि को लागू नहीं कर किसानों को धोखा देने की कड़ी निंदा की। बैठक में सभी घटक संगठनों को देश भर में संघर्ष को और तेज करने के लिए तैयार रहने की सलाह देने का संकल्प लिया गया।
राष्ट्रव्यापी “राजभवन मार्च” किसानों के विरोध के अगले चरण की शुरुआत का प्रतीक है। इसलिए, एसकेएम ने सभी किसानों से अपील की है कि वे “कर्ज मुक्ति – पूरा दाम” सहित सरकार द्वारा सभी मांगें पूरी होने तक निरंतर और प्रतिबद्ध देशव्यापी संघर्ष के लिए तैयार रहें। सभी फसलों के लिए कानूनी रूप से गारंटीकृत एमएसपी और कर्जमुक्ति वे प्रमुख मांगें हैं, जिनके लिए किसान नवउदारवादी नीतियों, जिसने कृषि संकट और किसानों की आत्महत्याओं को बढ़ा दिया, के लागू होने के बाद से संघर्ष कर रहे हैं। 1995 से, भारत में 4 लाख से अधिक किसानों ने आत्महत्या की है और लगभग 68 फीसद किसान परिवार कर्ज और वित्तीय संकट में हैं। इन मांगों के साथ-साथ तीन कॉर्पोरेट-समर्थक कृषि कानूनों और बिजली विधेयक 2020 को रद्द करने की मांगों के लिए 26-27 नवंबर 2020 से दिल्ली की सीमाओं पर एक साल लंबा ऐतिहासिक किसान आंदोलन हुआ, जिसे भारत की मेहनतकश जनता के सभी वर्गों ने सक्रिय रूप से समर्थन दिया।
किसानों की जायज और उचित मांगों के प्रति केंद्र सरकार की कठोर प्रतिक्रिया को देखते हुए आने वाले हफ्तों में विरोध प्रदर्शन तेज करने की कार्य योजना तय की गई है, जिसमें गांव स्तर से शुरू होकर पूरे देश में बड़े पैमाने पर विरोध-सभाओं को आयोजित किया जाएगा।
शुरुआत के लिए :
1) 19 नवंबर को पूरे देश में फतह दिवस मनाया जाएगा। यह याद करने योग्य है कि मोदी सरकार को 19 नवंबर 2021 को तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मुख्य मांग के आगे घुटने टेकने पड़े थे। किसानों द्वारा निरंतर विरोध प्रदर्शन के बाद, सरकार ने 9 दिसंबर 2021 को, एसकेएम से उचित प्रतिनिधित्व के साथ एमएसपी कानून पर एक समिति गठित करने, और अन्य मांगों पर एक लिखित आश्वासन भी दिया। इसी आश्वासन के आधार पर किसान 11 दिसंबर 2021 को दिल्ली की सीमाओं पर अपने ऐतिहासिक आंदोलन, जिसमें 700 से अधिक किसान शहीद हुए, को स्थगित करते हुए घर लौटे। श्रमिकों द्वारा सक्रिय रूप से समर्थित किसानों के इस संघर्ष ने स्वतंत्र भारत के इतिहास में सबसे बड़ी और सबसे लंबी जनविरोध कार्रवाई को चिह्नित किया। इस पृष्ठभूमि में, एसकेएम 19 नवंबर 2022 को, प्रधानमंत्री मोदी द्वारा 3 काले कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की पहली वर्षगांठ, फतह दिवस के रूप में मनाएगा। उस दिन सभी गांवों और कस्बों में किसान दीये और मोमबत्तियां जलाएंगे और मिठाइयां बांटेंगे।
2) 1 दिसंबर से 11 दिसंबर तक सभी राजनीतिक दलों के लोकसभा और राज्यसभा सांसदों और सभी राज्य विधानसभाओं के नेताओं और विधायकों के कार्यालयों तक मार्च निकाला जाएगा। उन सभी को “कॉल-टु-एक्शन” पत्र प्रस्तुत किया जाएगा, जिसमें मांग की जाएगी कि वे किसानों की मांगों के मुद्दे को संसद/विधानसभाओं में उठाएं और इन मुद्दों पर बहस और समाधान के लिए दवाब बनाएँ।
एसकेएम ने कहा है कि वह पर्यावरण, प्रकृति और मनुष्यों और पशुओं के जीवन पर प्रभाव पर पर्याप्त वैज्ञानिक अनुसंधान के बिना, बीज एकाधिकार के माध्यम से कॉर्पोरेट मुनाफाखोरी का रास्ता खोलने के लिए, भाजपा नेतृत्व वाली मोदी सरकार की जीएम-सरसों के बीजों को मंजूरी के निर्णय की निंदा करता है।
एसकेएम किसान ने आंदोलन को निरंतर समर्थन और एकजुटता के लिए केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मोर्चा के प्रति आभार प्रकट करते हुए 26 नवंबर को राजभवन मार्च सहित चल रहे संघर्षों के लिए आगे आने और समर्थन करने की अपील की है।
एसकेएम की अगली बैठक 8 दिसंबर को करनाल में होगी जिसमें आंदोलन के अगले चरण का फैसला किया जाएगा और इस बारे में घोषणा की जाएगी।
प्रेस कॉन्फ्रेंस को डॉ दर्शनपाल, हन्नान मोल्ला, युद्धवीर सिंह, अविक साहा और अशोक धवले ने संबोधित किया।