जेएनयू : छात्र संगठनों के विरोध के बाद धरना विरोधी अधिसूचना वापस

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5 मार्च। जेएनयू में धरने पर लगे प्रतिबंध का छात्र यूनियन और कलेक्टिव, आईसा सहित विभिन्न संगठनों ने विरोध किया। यहाँ तक कि भाजपा की छात्र इकाई अखिल भारतीय विधार्थी परिषद ने भी इस तुगलकी और दमनकारी फरमान का जमकर विरोध किया। लगातार विरोध के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन इसे वापस लेने को मजबूर हो गया। चीफ प्रॉक्टर रजनीश कुमार मिश्रा ने एक अधिसूचना जारी कर कहा कि प्रशासनिक कारणों से छात्रों के लिए अनुशासन के नियमों की अधिसूचना वापस ली जाती है। विदित हो, कि जेएनयू प्रशासन ने नए नियम जारी कर धरना करने पर रोक लगा दी थी।

विश्वविद्यालय प्रशासन ने कैंपस में धरना-प्रदर्शन करने वाले छात्रों पर 20 हजार रुपए, हिंसा करने पर 30 हजार रुपए का जुर्माना लगाने की तथा किसी छात्र पर शारीरिक हिंसा, किसी दूसरे छात्र, कर्मचारी या संकाय सदस्य को गाली देने और पीटने पर 50 हजार रुपए तक का जुर्माना लगाने की अधिसूचना जारी की थी। उक्त अधिसूचना में धरना प्रदर्शन करने वाले छात्रों का दाखिला भी रद्द करने का प्रावधान था। बेशक छात्र जीवन में अनुशासन का बहुत महत्त्व है, लेकिन अगर छात्रों से धरना करने का अधिकार छीन लिया जाएगा, तो भविष्य में किसी जायज माँग के लिए आवाज उठाने के लिए छात्रों के पास क्या विकल्प रहेगा? शांतिपूर्ण धरने की इजाजत तो संविधान भी देता है, लेकिन मौजूदा दौर में लगता है, छात्रों का ये अधिकार भी दूर जाता दीखता है।


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