कवियों और संतों की सोच पर बातचीत से डरती है उप्र की सरकार : कबीर जन्मोत्सव समिति

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12 जून। वाराणसी में कबीर के जन्मोत्सव का एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था, जिसे पहले तो बनारस की पुलिस ने न होने देने की पुरजोर कोशिश की, और आखिरकार कार्यक्रम के एक घंटे पहले इसे रद्द करवा दिया। ‘कबीर जन्मोत्सव समिति’ की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम की अनुमति के लिए एक पखवाड़ा पहले ही आवेदन किया गया था, लेकिन पुलिस तरह तरह से उसे उलझाए रखी और कार्यक्रम के ऐन वक्त पर मौखिक तौर पर इस आयोजन को रोक दिया और बनारस में जी-20 समिट के तहत होने वाली मीटिंग का हवाला दिया। ‘कबीर जन्मोत्सव समिति’ द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक, विगत एक सप्ताह के इस अभियान में विविध सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए।

कबीर जन्मोत्सव समिति ने अपने बयान में कहा है कि हमारी मुख्य चिंता यही है कि लोग जाति-धर्म का भेदभाव मिटाकर आपस में मिलजुल इंसानियत के साथ रहें। समिति सदस्यों ने कहा कि शहर के अन्य संस्थानों में भी कबीर जन्मोत्सव मनाया जा रहा है, तो बुनकर समुदाय अपने पुरखे कबीर को आखिर क्यों याद नहीं कर सकता? खुद सरकार भी कबीर के जन्मोत्सव पर कार्यक्रम आदि कर रही है, तो बुनकरों पर यह दबाव क्यों? समिति ने अपने बयान में आगे कहा कि इस घटना से पता चलता है कि सरकार इन कवियों और संतों की सोच पर बातचीत करने से डरती है। हम प्रगतिशील विचारकों का जश्न मनाने वाले एक सांस्कृतिक कार्यक्रम को रोकने के लिए उप्र सरकार द्वारा उठाए गए दमनकारी कदमों की निंदा करते हैं।

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