25 जून। जल संकट को लेकर यूनिसेफ की रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर की महिलाएं बीस करोड़ घंटे सिर्फ पानी भरकर लाने में बिता देती हैं। इस संख्या को अगर सरलता के साथ देखें, तो लगभग 83 लाख दिन या 22 हजार 800 साल होते हैं, जो आँकड़े सुनने में अजीब लगते हैं, लेकिन रिपोर्ट की सच्चाई यही बताती है। वहीं पूरे विश्व के भूजल का करीब 25 फीसदी इस्तेमाल अकेले भारत में किया जाता है, लेकिन बारिश के पानी का इस्तेमाल सिर्फ 8 फीसदी ही भारत दोबारा कर पाता है।
पानी के संकट को लेकर संयुक्त राष्ट्र ने जो रिपोर्ट जारी की है, उसके अनुसार 2050 में भारत के कई हिस्सों में पानी की कमी हो सकती है। यूएन की रिपोर्ट पर भरोसा करें तो दुनिया की लगभग 1.7 अरब से 2.40 अरब की शहरी आबादी पानी के संकट से जूझेगी। इस संकट से भारत सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकता है। संयुक्त राष्ट्र की तरफ से जारी रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2016 में एशिया में 9.33 करोड़ यानी लगभग 13 फीसदी आबादी पानी के संकट से जूझ रही थी, जो आज करीब 80 फीसदी हो गई है।
यह ‘संयुक्त राष्ट्र विश्व जल रिपोर्ट 2023’ की रिपोर्ट में सामने आया है। जो संयुक्त राष्ट्र जल सम्मेलन 2023 से पहले UN ने ‘संयुक्त राष्ट्र विश्व जल रिपोर्ट 2023’ जारी की है। रिपोर्ट के अनुसार पूर्वोत्तर चीन, भारत और पाकिस्तान पर ये संकट सबसे ज्यादा है। अनुमान लगाया जा रहा है कि इस संकट से भारत सबसे ज्यादा प्रभावित होगा। रिपोर्ट यह बताती है कि दुनिया की 26 फीसदी आबादी को पीने के लिए साफ पानी नहीं मिल रहा है। जबकि 46 फीसदी आबादी को साफ पानी का लाभ मिल रहा है। यूएन की तरफ से यूनेस्को की जारी रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के दो से तीन बिलियन लोग साल में कम से कम एक महीने पानी की कमी से जूझते हैं। यूएन ने कहा है, कि ये संकट आने वाले समय में और भी ज्यादा बढ़ने वाला है।
(‘जनज्वार’ से साभार)