पूर्वी उप्र के कई जिलों में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर एनआईए ने की छापेमारी

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— विजय विनीत —

6 सितंबर। एनआईए ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय के छात्र संगठन भगतसिंह स्टूडेंट्स मोर्चा (बीसीएम) के दफ़्तर समेत पूर्वांचल के प्रयागराज, चंदौली, आजमगढ़ और देवरिया में आठ स्थानों पर मंगलवार 5 अगस्त की सुबह छापेमारी की।

एनआईए (नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी) ने वाराणसी स्थित काशी हिंदू विश्वविद्यालय के छात्र संगठन भगतसिंह स्टूडेंट्स मोर्चा (बीसीएम) के दफ्तर समेत पूर्वांचल के प्रयागराज, चंदौली, आजमगढ़ और देवरिया में आठ स्थानों पर मंगलवार, 5 अगस्त की सुबह छापेमारी की। एनआईए द्वारा की गई इस कार्रवाई में कई लोग निशाने पर आए जिनमें स्टूडेंट्स, समाजसेवी, राजनीतिक कार्यकर्ता, अधिवक्ता और किसान-मजदूरों के हितों के लिए संघर्ष करने वाले लोग शामिल हैं। एनआईए ने बनारस के महामनापुरी कॉलोनी स्थित आनंद भवन में बीसीएम के दफ्तर को खंगाला। भगतसिंह स्टूडेंट्स मोर्चा से जुड़ी छात्रा आकांक्षा आजाद समेत दो छात्राओं को नजरबंद कर उनसे पूछताछ की जा रही है।

एनआईए की टीम भारी पुलिस फोर्स के साथ मंगलवार 5 अगस्त की सुबह महामनापुरी कॉलोनी स्थित भगत सिंह स्टूडेंट्स मोर्चा (बीसीएम) के दफ्तर में पहुंची। जानकारी के अनुसार जांच एजेंसी ने बीसीएम के दफ्तर में छापेमारी करने के साथ ही दस्तावेजों को खंगालना शुरू कर दिया। भगत सिंह छात्र मोर्चा से जुड़े लोगों के मोबाइल फोन ज़ब्त कर लिए गए। संगठन की अध्यक्ष आकांक्षा आज़ाद और सहसचिव सिद्धि को हिरासत में ले लिया गया। एनआईए ने इनके लैपटॉप भी अपने कब्जे में ले लिये।

भगतसिंह स्टूडेंट्स मोर्चा की ओर से जारी एक अधिकृत बयान में कहा गया है कि “एनआईए ने दफ्तर में मौजूद मोर्चा की अध्यक्ष आकांक्षा आजाद और सहसचिव सिद्धि को डिटेन कर के रखा हुआ है। किसी को दफ्तर के अंदर नहीं आने दिया जा रहा है। बीसीएम से जुड़े लोग मौके पर पहुंचे तो एनआईए व पुलिस ने उनके फोन छीन लिये और उनके साथ मारपीट कर की। समूचा इलाका पुलिस छावनी में बदल गया। पुलिस और एनआईए ने महामनापुरी कॉलोनी स्थित बीसीएम कार्यकर्ताओं के घर को सील कर दिया। बीसीएम के दफ्तर के आसपास के इलाकों में लोगों की आवाजाही रोक दी गई।”

इस बीच भगतसिंह स्टूडेंट्स मोर्चा की बीएचयू इकाई की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि “पूर्वांचल में राजनीतिक और सामाजिक कार्यकर्ताओं के दमन के खिलाफ आवाज उठाने की जरूरत है। बीजेपी उन लोगों को अपने शिकंजे में फंसा रही है जो आगामी चुनाव में उनका मुखर विरोध कर सकते हैं। मंगलवार को हुई एनआईए की छापेमारी इसी कोशिश का हिस्सा है।”

दूसरी ओर, इलाहाबाद में पीयूसीएल की उत्तर प्रदेश राज्य सचिव एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता सीमा आजाद और उनके पति विश्वविजय के अलावा जानी-मानी अधिवक्ता सोनी आजाद और सामाजिक व राजनीतिक कार्यकर्ता मनीष आजाद के घर भी एनआईए ने छापेमारी की। खबर के मुताबिक एनआईए की टीम प्रयागराज के रसूलाबाद स्थित सीमा आजाद के आवास पर सुबह करीब पांच बजे पहुंची। सीमा और उनके पति विश्वविजय को उनके घर में ही नजरबंद किया। प्रयागराज में सुबह से ही सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है। सीमा आजाद और उनके पति का लैपटॉप, मोबाइल फोन, कविताएं और अन्य साहित्य जब्त किया गया। अधिवक्ता विश्वविजय का आरोप है कि बीजेपी सरकार NIA के जरिए उनका हैरेसमेंट कर रही है। प्रयागराज में सुबह से ही सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है। मौके पर बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स मौजूद है। सीमा आज़ाद के पति विश्व विजय ने मीडिया से बात करने की कोशिश की लेकिन उन्हें रोक दिया गया।

दोपहर में खबर मिली कि एनआईए, एक्टिविस्ट सीमा, विश्वविजय, सोनी और रितेश को पूछताछ के लिए अपने साथ ले गई। प्रयागराज के वरिष्ठ वकील केके रॉय के मुताबिक, “सीमा आजाद को अज्ञात स्थान पर ले जाया गया है। वाराणसी समेत यूपी के कई शहरों और झारखंड में सुनियोजित तरीके से छापेमारी की जा रही है। पीयूसीएल के दूसरे सदस्यों ने घरों में भी छापे डाले जा रहे हैं। सीमा आजाद के अलावा एडवोकेट सोनी आजाद और रितेश पीयूसीएल के सदस्य हैं। रितेश इंकलाबी छात्र मोर्चा के साथ काम करते हैं और सोनी आजाद एक प्रयागराज की जानी-मानी अधिवक्ता हैं। इससे पहले झारखंड में भी भगत सिंह नौजवान मोर्चा से जुड़े लोगों पर छापे मारे गए थे।”

आपको बता दें, सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार सीमा आजाद को साल 2010 में भी गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने सीमा और उनके पति विश्व विजय को देशद्रोह में निरुद्ध किया तो उनकी रिहाई के लिए मानवाधिकार संगठनों ने लंबा आंदोलन चलाया था। सीमा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से साइकोलॉजी में परास्नातक हैं। हाल के दिनों में सीमा जबरन भूमि अधिग्रहण, गैरकानूनी खुदाई और गंगा एक्सप्रेसवे जैसी योजनाओं के खिलाफ अपनी मैग्जीन में आलेख लिख रही थीं।

आजमगढ़ के खिरियाबाग में चलाए जा रहे किसान आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाले संयुक्त किसान मोर्चा के सक्रिय कार्यकर्ता राजेश आज़ाद के देवरिया स्थित उनके आवास पर भी एनआईए की टीम ने छापेमारी की। छापेमारी के बाद खिरियाबाग में आंदोलन करने वाले किसान नेता राजीव यादव ने ‘न्यूज़क्लिक’ से कहा, “लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी सरकार डरी हुई है। सरकार की दोषपूर्ण नीतियों का विरोध करने वाले किसान नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं का खुलेआम दमन किया जा रहा है। एनआईए सरकारी एजेंसी की तरह नहीं, बल्कि पूरी तरह से फासीवादी तरीके से भाजपा-आरएसएस की ‘बी’ टीम के रूप में काम कर रही है। एक खास विचारधारा की पक्षधर बनकर वह अपने राजनैतिक विरोधियों के ख़िलाफ़ मुहिम चला रही है। ऐसे में जरूरी है कि सत्ता के फासीवादी दमन के खिलाफ सभी लोग एकजुट हों और अपनी आवाज बुलंद करें।”

चंदौली जनपद के सैयदराजा थाना क्षेत्र के बगही कुम्भापुर गांव में मंगलवार तड़के एनआईए की टीम पहुंची और एक्टिविस्ट बच्चा राय के घर को घेर लिया। जांच टीम ने कई घंटे तक जांच-पड़ताल की। बच्चा राय मौके पर नहीं मिले तो परिवार के लोगों से कड़ी पूछताछ की गई। बच्चा राय के दो बेटे हैं, जिनमें बड़ा पुत्र रोहित राय दिल्ली और छोटा बेटा रितेश राय प्रयागराज में पढ़ता है। एनआईए इन्हें ढूंढ़ते हुए बगही कुम्भापुर पहुंची थी। बच्चा राय बिहार प्रांत के भभुआ जिले के दुर्गावती थानाक्षेत्र के बिठवार गांव के रहने वाले हैं। वह फिलहाल बगही कुम्भापुर में मकान बनाकर रह रहे हैं। एनआईए की टीम ने मीडिया को कुछ भी बताने से इनकार कर दिया।

बच्चा राय की पत्नी ऊषा राय ने बताया कि “एनआईए की टीम भोर चार बजे उनके घर पर पहुंची और जांच शुरू कर दी। हमें कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है कि पुलिस उनके घर में क्या करने आई है। चंदौली के एसपी अनिल कुमार ने एनआईए की छापेमारी की पुष्टि की, लेकिन सुरक्षा वजहों से कुछ भी बताने से इनकार कर दिया।”

एनआईए की टीम ने देवरिया शहर के उमानगर इलाके में जनवादी क्रांति दल के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. रामनाथ चौहान के घर भी छापा मारा। उनके आवास के बाहर भारी फोर्स तैनात है। डॉ. रामनाथ चौहान घोसी उप-चुनाव में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी सुधाकर सिंह के समर्थन में प्रचार करने गए थे। एनआईए रामनाथ के परिजनों पूछताछ कर रही है। वह पहले बीएसपी से भी जुड़े थे। एनआईए काफी दिनों से एक्शन लेने की योजना बना रही थी। हिन्दी पट्टी के एक अखबार ने इस पर एक विस्तृत रिपोर्ट छापी थी। विपक्षी दलों ने भी आरोप लगाया था कि बीजेपी सरकार उन लोगों को निशाना बनाने के मूड में है जो उनका मुखर विरोध कर रहे हैं।
(साभार – न्यूजक्लिक)

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