समाजवादी चिंतक सुरेंद्र मोहन का 14वां स्मृति कार्यक्रम दिल्ली में संपन्न

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socialist thinker Surendra Mohan

जन आंदोलनों का साथ देने वाले समाजवादी नेता थे सुरेंद्र मोहन

समाजवादी मूल्यों को आचरण मे उतरना आज की मुख्य आवश्यकता

समाजवादी चिंतक, पूर्व सांसद सुरेंद्र मोहन का 14वां स्मृति कार्यक्रम समाजवादी समागम द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता एन डी पंचोली की अध्यक्षता में गांधी शांति प्रतिष्ठान, दिल्ली में संपन्न हुआ। कार्यक्रम को समाजवादी आंदोलन, जन आंदोलन, किसान आंदोलन, मजदूर आंदोलन से जुड़े नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने संबोधित किया।

पूर्व सांसद अली अनवर अंसारी ने कहा कि जब उन्होंने कई दशकों पहले पसमांदा मुसलमानों के लिए काम शुरू किया था, तब उन्हें सबसे पहले सुरेंद्र मोहन जी का समर्थन मिला। गंगा मुक्ति के आंदोलन के अनिल प्रकाश ने कहा कि बोध गया आंदोलन में जब पुलिस गोली चालन हुआ तब सुरेंद्र मोहन जी वहां पहुंचे।

फरीदाबाद के का. नागेश सिंह और का. दिलीप सिंह ने कहा कि श्रमिक आंदोलन को सुरेंद्र मोहन जी ने फरीदाबाद ,मोदीनगर और देश के कई मजदूरंदोलनों में शिरकत की। डॉ सुनीलम ने बताया कि मुलताई में 12 जनवरी 1998 पुलिस गोली चालन के बाद सुरेंद्र मोहन जी ने किसान संघर्ष समिति के समर्थन में दिल्ली में एक समर्थन समिति बनायी तथा बार बार मुलताई जाकर
किसानों की आवाज मानव अधिकार आयोग से लेकर मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री तक पहुंचाने का काम किया।

सुभाष भटनागर ने कहा कि निर्माण मजदूरों के लिए भारत की संसद में जो दो कानून वी पी सिंह के प्रधानमंत्री रहते हुए पारित और लागू किए गए उसमें सुरेंद्र मोहन जी की महत्वपूर्ण भूमिका रही। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष वाहिद हुसैन ने कहा कि अलीगढ़ दंगे होने पर सुरेंद्र मोहन जी अलीगढ़ पहुंचे। लौटकर उन्होंने दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जिस तरह पूरे मुद्दे को रखा उसके चलते दंगे रोकने ,शांति कायम करने में कामयाबी मिली।

प्रवासी जन मंच की रीटा कुमारी ने कहा कि सुरेंद्र मोहन जी ने हमें कभी भी सरकारों से नही डरना चाहिए, यह सिखाया।
साहित्यकार गिरधर राठी ने कहा कि वे कई विषयों में पकड़ रखते थे। उनकी भूमिका लोगों को जोड़ने की रही। उनके सहजता, सादगी और समन्वय के गुणों को अपनाने की जरूरत है।

कुमार प्रशांत जी ने कहा कि वे जनता पार्टी पर होने वाले हमले का जिस तरह जवाब देते थे, उस तरह का जवाब
आज कोई दूसरा नहीं दे पा रहा है। उन्होंने तबला वादक जाकिर हुसैन को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उनकी दृष्टि को गांधी जी और समाजवादियों की कला दृष्टि कहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि समाजवादी मूल्यों को आगे बढ़ाना आज की मुख्य आवश्यकता है। पूर्वी तिब्बत के सांसद आचार्य यशी ने कहा कि दुनिया में जहां कहीं भी संकट आता है वहां आवाज उठाने का काम समाजवादियों द्वारा किया जाता है।

भारत में सबसे पहले दलाई लामा के साथ जेपी, डॉ लोहिया ने तिब्बत के सवाल को उठाया था। पूर्व विधायक पंकज पुष्कर ने सुरेंद्र मोहन को अहिंसक रणनीतिकार बताते हुए कहा कि उन्होंने राष्ट्र निर्माण अभियान को खड़ा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। शशि शेखर सिंह ने कहा कि समाजवादियों को राष्ट्रीय स्तर पर विकल्प देने वाली पार्टी खड़ी करने की जरूरत है।
समाजवादी समागम के अध्यक्ष अरुण श्रीवास्तव ने कहा कि समाजवादी आंदोलन को मजबूत बनाने के लिए नई पीढ़ी को आंदोलन से जोड़ना जरूरी है।

भारत जोड़ो आंदोलन के अजीत झा ने कहा कि समाजवादी आंदोलन की तमाम उपलब्धियां और सीमाएं रही है। जरूरी नहीं है कि सबकी एक राय हो। परन्तु सुरेंद्र मोहन जी ने जो वैचारिक लेखन किया उसका संकलन करना आवश्यक है। राकेश कुमार ने कहा कि जब से मैं राजनीति में आया , तब मैंने देखा कि मुसलमान और दलित समाज के लोग उनका बहुत सम्मान करते हैं क्योंकि वे इन तबकों की आवाज संसद और सड़कों पर उठाते रहे ।

एचएमएस के महेंद्र शर्मा ने कहा कि 1977 के चुनाव में सबसे ज्यादा कवरेज सुरेंद्र मोहन जी को मिलता था तथा वे हिंद मजदूर सभा के साथ आजीवन संघर्ष करते रहे। संजय कनौजिया ने कहा कि समाजवादियों की एकजुटता जरूरी है। शफी दहलवी ने कहा कि सुरेंद्र मोहन जी की अंतर्दृष्टि अद्भुत थी, जो राजनीति में होने वाली घटनाओं को पहले ही समझ लेते थे।

सभी वक्ताओं ने सुरेंद्र मोहन जी के जनता पार्टी के प्रवक्ता के तौर पर अकेले कांग्रेस पार्टी से मुकाबला करने के कौशल और रणनीति को सराहा। कार्यक्रम का संचालन कर रहे डॉ सुनीलम ने कहा कि समाजवादी आंदोलन के 90 वर्ष पूरे हो रहे हैं जिसमें 50 वर्षों की सक्रिय भागीदारी सुरेंद्र मोहन जी की रही।

उन्होंने अपने जीवन में समाजवादी मूल्यों के अनुरूप आचरण किया। सुरेंद्र मोहन जी ने काम के अधिकार को मौलिक संवैधानिक अधिकार बनाने की पहल की करने के साथ साथ खेतीहर मजदूरो के लिए भी संसद में बिल लाने की पहल की। खादी ग्रामोद्योग कमीशन के उपाध्यक्ष के तौर पर उन्होंने खादी ग्रामोद्योग को मजबूती दी। उन्होंने बर्मा, नेपाल, भूटान, तिब्बत आदि देशों में लोकतांत्रिक ताकतों को मजबूती देने के लिए बढ़चढकर कार्यक्रमों में हिस्सेदारी की। श्रीमती मंजू मोहन ने धन्यवाद ज्ञापन किया।


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