मैं यह नहीं जानना चाहता हूँ कि राम थे कि नहीं थे।
यह भी नहीं जानना चाहता कि वे परमेश्वर थे या दशरथनंदन !
लेकिन भारत की करोड़ों- करोड़ों जनता जिस रामके नाम के सहारे
अपना सुख- दुःख,जीवन-मरण सबकुछ सहन कर लेती है ।
अपने सब को जिस राम में समर्पित और विसर्जित कर देती है;;
“”””मेरी आस्था उन करोड़ों करोड़ों भारत -वासियों में है”””।