पंजाब में किसान आंदोलन के आठ महीने पूरे, सौ से ज्यादा जगह पक्के मोर्चे

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28 मई। तीन कृषि कानूनों के खिलाफ देशभर के किसानों की लड़ाई में पंजाब का अहम योगदान है। पिछले साल सितम्बर से ही पंजाब में मोर्चे लगने लग गए थे। अब पंजाब में आंदोलन शुरू हुए आठ महीने हो गए हैैं। पंजाब के किसानों के संघर्ष का परिणाम है कि राज्य में किसी भी टोल प्लाजा पर टैक्स नहीं लिया जा रहा है। पंजाब के किसान ना सिर्फ सरकारों के खिलाफ बल्कि देश के बड़े कॉरपोरेट घरानों के खिलाफ भी लड़ रहे हैं।

किसानों ने हर मौसम में अपने आप को मजबूत रखते हुए सरकार व कॉरपोरेट के खिलाफ डटकर लड़ाई लड़ी है। पंजाब में 100 से ज्यादा जगहों – टोल प्लाजा, शॉपिंग मॉल, पेट्रोल पंप एवं अन्य स्थानों पर किसानों के शांतिमय धरने चल रहे हैं। यह लड़ाई तब तक जारी रहेगी जब तक किसानों की मांगें पूरी नहीं हो जातीं।

दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के आंदोलन को 6 महीने पूरे हो गए। जब किसान पिछले नवंबर में दिल्ली कूच के लिए आए थे तब उनके पास 6 महीने की तैयारियां थीं। अब संघर्ष तेज और लंबा होता जा रहा है, इसको ध्यान में रखते हुए किसानों और संयुक्त किसान मोर्चा ने यहां पर जरूरी प्रबंध भी कर लिये हैं।

सिंघु बॉर्डर पर गोल्डन हट पर पहले पानी लंगर और रहने की पूरी सुविधा थी। अब यहां पर सैकड़ों लीटर दूध की सेवा रोज हो रही है। साथ ही अन्य समाज कल्याण के संगठनों ने भी दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के लिए रहने, खाने , मेडिकल और अन्य जरूरी सेवाओं के इंतजाम किए हुए हैं।

संयुक्त किसान मोर्चा ने अपने एक ताजा बयान में कहा है कि वह ऐसे तमाम संगठनों एवं सहयोगियों का अभिनंदन करता है जिन्होंने किसान आंदोलन का किसी भी रूप में समर्थन किया है व किसानों को सुविधाएं प्रदान की हैं। किसानों का यह आंदोलन एक लंबी लड़ाई है। केंद्र सरकार इन कानूनों को वापस न लेते हुए, किसानों को अन्य मुद्दों में उलझा कर उनके सब्र की परीक्षा ले रही है परंतु किसानों के लगातार जोश ने सरकार को बचाव की मुद्रा में ला दिया है। आनेवाले समय में यह लड़ाई और भी मजबूत होगी और सरकार को झुकना पड़ेगा।

राजस्थान के बिजोलिया किसान आंदोलन के मुख्य नेता विजय सिंह पथिक का 28 मई को स्मृति दिवस मनाया गया। विजय सिंह पथिक एक प्रगतिशील किसान नेता होने के साथ-साथ समाज सुधारक भी थे। उन्होंने जन आंदोलनों के माध्यम से किसानों समेत समाज के हर वर्ग को जागरूक किया। विजय सिंह पथिक ने बौद्धिक विकास के लिए अनेक पत्रिकाओं व अखबार का संपादन भी किया। वे राजस्थान व मध्यप्रदेश के किसानों के आदर्श हैं। संयुक्त किसान मोर्चा ने उनके स्मृति दिवस पर उन्हें एक प्रेरणा पुरुष के रूप में याद किया।

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