सेंचुरी के श्रमिकों के समर्थन में मप्र मुख्यमंत्री को ज्ञापन

0

19 जुलाई। बिड़ला समूह के खरगोन जिले में स्थित सेंचुरी रेयान और डेनिम मिल के मजदूरों के आंदोलन के 1371 दिन हो चुके हैं। मिल प्रबंधन जबरिया मजदूरों और कर्मचारियों को वीआरएस दे रहा है, जो ना तो नियमानुसार है और ना ही प्रदेश के हित में। श्रमिक जनता संघ के नेतृत्व में मजदूर लगातार आंदोलन कर रहे हैं। श्रमिक जनता संघ की अध्यक्ष मेधा पाटकर ने श्रमिकों के समर्थन में भूख हड़ताल कर चुकी हैं।

सोमवार को पूरे मध्यप्रदेश में विभिन्न किसान और मजदूर संगठनों ने जिला मुख्यालयों पर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन देकर मांग की कि श्रमिक और प्रबंधन विवाद में मध्यप्रदेश सरकार तत्काल हस्तक्षेप करे और बहुसंख्यक मजदूरों की मांग को पूरा करते हुए मिल चलाएं और प्रबंधन द्वारा जबरिया वीआरएस देने और मजदूरों के खातों में नियम-विरुद्ध पैसे डालने के पर रोक लगाएं।

इंदौर में भी किसान संघर्ष समिति, अखिल भारतीय किसान सभा,हिंद मजदूर सभा, एआई यूटीसी, किसान खेत मजदूर संगठन, आजादी बचाओ आंदोलन, लोहिया विचार मंच, सोशलिस्ट पार्टी इंडिया, सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर ऑफ इंडिया, युवा किसान संगठन सहित विभिन्न संगठनों की ओर से संभाग आयुक्त के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया गया। ज्ञापन देनेवालों में प्रमुख रूप से रामस्वरूप मंत्री, हरिओम सूर्यवंशी, अरुण चौहान, सोनू शर्मा, जयप्रकाश गुगरी, रवीन्द्र चौधरी, राजेश पटेल, भारतसिंह यादव, भारतसिंह चौहान, दिनेश सिंह कुशवाह, अजय यादव आदि शामिल थे।

मुख्यमंत्री के नाम संभागायुक्त को दिए गए ज्ञापन में कहा गया है कि सेंचुरी यार्न/डेनिम इकाई के श्रमिकों के द्वारा 1371 दिन से मध्यप्रदेश के खरगोन जिले में एबी रोड पर ग्राम सत्राटी में आंदोलन किया जा रहा है। इसे किसी भी आदेश के तहत हटाना सही नहीं होगा। श्रमिकों के हकों के लिए चल रहा यह संघर्ष संवैधानिक  एवं न्यायसंगत है।

29 जून 2021 को कारखाना प्रबंधक द्वारा श्रमिक एवं कर्मचारी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) के संबंध में अचानक नोटिस लगाकर श्रमिकों से कहा गया कि 13 जुलाई तक सभी श्रमिक एवं कर्मचारी वीआरएस ले लें। लेकिन 910 में से 800 से ज्यादा श्रमिकों ने वीआरएस लेने से लिखित तौर पर इनकार कर दिया है। उऩका कहना है कि स्वैच्छिक योजना अनैच्छिक रूप से थोपना अन्याय है।

पिछले 6 जुलाई को श्रमिक जनता संघ के पदाधिकारी और मुंबई की सेंचुरी यूनियन के पदाधिकारी तथा इंदौर में समाजवादी समागम के साथी  मध्यप्रदेश के श्रम आयुक्त से मिले थे तथा वीआरएस को अनिवार्य सेवानिवृत्ति में बदलने की आशंका जताई थी। तब मध्यप्रदेश के श्रम आयुक्त ने विश्वास दिलाया था कि यदि मजदूर स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने को तैयार नहीं हैं तो कोई भी मालिक उन्हें जबरिया तरीके से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति नहीं दे सकता है, श्रम आयुक्त ने  यह भी कहा था कि यदि ऐसा होता है तो श्रम विभाग मिल प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई करेगा, लेकिन अभी तक श्रम आयुक्त की ओर से मिल प्रबंधन के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया गया है।

श्रमिक जनता संघ की याचिका के चलते औद्योगिक ट्रिब्यूनल, मध्यप्रदेश हाईकोर्ट और सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर  मिल बंद होने के बावजूद श्रमिकों को वेतन दिया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि कुमार मंगलम बिड़ला समूह ने मिल बेचने का फर्जी विक्रय पत्र बनाकर जो धोखा किया था वह ट्रिब्यूनल और हाई कोर्ट द्वारा खारिज कर दिया गया। इसी तरह फिर से  सेंधवा के मनजीत सिंह को मिल बेचने का फर्जीवाड़ा किया जा रहा है जो गैरकानूनी है। मंजीत सिंह को मिल चलाने का क्या अनुभव है? वह मिल चलाना चाहते हैं? आज तक के अनुभवी मालिक और कर्मचारियों को कार्य में शामिल करना क्यों नहीं चाहते? क्या केवल श्रमिकों को बेरोजगार कर जमीन हड़पना चाहते हैं? ये सवाल उठाते हुए जनता श्रमिक संघ ने कहा है कि श्रमिक  ‘वीआरएस नहीं, रोजगार चाहिए’ के  संकल्प और मांग के साथ संघर्ष कर रहे हैं। इसलिए  श्रमिकों के पक्ष में राज्य सरकार का हस्तक्षेप आवश्यक है।

मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन में कहा गया है कि आपके संज्ञान में हम यह लाना चाहते हैं कि श्रमिक जनता संघ द्वारा दिनांक 6 जुलाई 2021 को एक रिट याचिका मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में दायर की गयी थी जिसकी सुनवाई  16 जुलाई 2021 को हुई। फैसला आना बाकी है। इस याचिका के द्वारा श्रमिक जनता संघ ने सेंचुरी द्वारा जारी नोटिस दिनांक 29.06.2021 को चुनौती दी। जिसके अनुसार सेंचुरी की ग्राम सत्राती, खरगोन में स्थित दोनों यूनिट यार्न एवम डेनिम, मंजीत कॉटन प्राइवेट लिमिटेड एवं मंजीत ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड को बेचने का प्रस्ताव है एवं यह स्पष्ट रूप से उल्लेखित है कि मंजीत कॉटन प्राइवेट लिमिटेड एवं मंजीत ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड, वर्तमान में कार्यरत किसी भी श्रमिक को कार्य पर नहीं रखेंगे।

श्रमिक जनता संघ की ओर से सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अभिभाषक संजय पारिख ने पक्ष रखा और कहा कि वर्ष 2017 में सेंचुरी द्वारा वेरियेट ग्लोबल को  यार्न तथा डेनिम यूनिट बेची थी, जिसे इंडस्ट्रीयल ट्रिब्यूनल और उच्च न्यायालय द्वारा शैम ट्रांजैक्शन याने फर्जी सौदा माना गया।  इस कारण वर्तमान में सेंचुरी द्वारा किये गए किसी भी ट्रांजैक्शन को माननीय कोर्ट अथवा शासन द्वारा जांचना आवश्यक है, जिससे कि श्रमिकों के अधिकारों का हनन ना हो और जब तक जांच नहीं हो जाती तब तक कंपनी को औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 की धारा 25 (एफ) अथवा अन्य कोई भी मुआवजा राशि प्रदान करने से रोका जाए।

पारिख ने यह भी बताया कि कंपनी द्वारा सेटेलमेंट दिनांक 17.08.2017 का भी पालन नहीं करते हुए सभी श्रमिकों अथवा याचिकाकर्ता ट्रेड यूनियन से किसी भी प्रकार की कोई बातचीत नहीं की और न ही कंपनी चलाने हेतु कोई कदम उठाए। सेंचुरी कंपनी की मंशा केवल मिलों को बंद करने की है परन्तु  उस हेतु जानबूझ कर औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 की धारा 25 (ओ) अथवा 25 (एन) का पालन कंपनी द्वारा नहीं किया गया क्योंकि इसके अंतर्गत मिल बंद करने अथवा श्रमिकों को कार्य से निकालने हेतु अनुमति राज्य शासन से लेना आवश्यक है, और राज्य शासन यह अनुमति केवल उचित जांच के बाद ही दे सकता है और कंपनी इस जांच प्रक्रिया से बचना चाहती है।

सेंचुरी द्वारा पहले भी गलत तरीके से मिलों को बेचा गया है, जिसे उच्च न्यायालय ने भी गलत माना था, इसलिए कि कंपनी द्वारा कोई भी दस्तावेज उच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया था। इसलिए श्रमिक जनता संघ का कहना है कि कंपनी को आगे कोई भी कार्यवाही करने से रोका जाए। 90 फीसद श्रमिक जिसके सदस्य है, वह हिंद मजदूर सभा से संलग्न श्रमिक जनता संघ है, इसलिए प्रबंधन को इसी यूनियन वार्ता की प्रक्रिया चलानी होगी, अन्य किसी यूनियन से नहीं।

ज्ञापन में मुख्यमंत्री से अनुरोध किया गया है कि कारखाना प्रबंधन की श्रम विरोधी कार्यवाही पर रोक लगाएं और श्रमिकों व कर्मचारियों के हित में तत्काल हस्तक्षेप करें।

रामस्वरूप मंत्री 

संयोजक, किसान संघर्ष समिति मालवा-निमाड़

Leave a Comment