22 अक्टूबर। लखीमपुर खीरी जनसंहार में मारे गये किसानों की अंतिम अरदास से लौटते हुए योगेन्द्र यादव का भाजपा के मृतक कार्यकर्ता शुभम मिश्र के घर जाना किसान आंदोलन के भीतर एक विवाद का विषय बन गया और इस विवाद की परिणति यह हुई कि योगेन्द्र यादव को संयुक्त किसान मोर्चा ने आमराय से एक महीने के लिए निलंबित कर दिया। लेकिन इस अवधि में भी एक कार्यकर्ता के तौर पर उनकी भागीदारी और सक्रियता पर कोई रोक नहीं होगी। योगेन्द्र यादव ने ट्वीट करके और बाकायदा एक लेख लिखकर भी बताया था कि वह अंतिम अरदास के बाद लखीमपुर हिंसा में मारे गए भाजपा कार्यकर्ता के घर क्यों गये थे। अपने उस सैद्धांतिक रुख को एक बार फिर स्पष्ट करते हुए योगेन्द्र यादव ने कहा कि सामूहिक निर्णय के तकाजे से वह उन्हें एक माह के लिए निलंबित करने के संयुक्त किसान मोर्चा के फैसले का सम्मान करते हैं, वह और उनका संगठन किसान आंदोलन की मजबूती तथा एकता के लिए पूरी निष्ठा से काम करते रहेंगे। इस मामले में योगेन्द्र यादव का बयान इस प्रकार है-
संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में पिछले 11 महीने से किसान विरोधी बीजेपी सरकार द्वारा थोपे गये काले कानूनों के विरुद्ध चल रहा आंदोलन देश के लिए आशा की एक किरण बनकर आया है। इस ऐतिहासिक आंदोलन की एकता और इसकी सामूहिक निर्णय प्रक्रिया को बनाये रखना आज के वक्त की सबसे बड़ी जरूरत है।
लखीमपुर खीरी में चार शहीद किसानों और एक पत्रकार की श्रद्धांजलि सभा में भाग लेने के बाद मैं उसी घटना में मृतक बीजेपी कार्यकर्ता शुभम मिश्रा के घर गया था, उनकी शान में नहीं बल्कि उनके परिवार से शोक संवेदना व्यक्त करने के लिए। अपने विरोधियों के भी दुख में शरीक होना इंसानियत और भारतीय संस्कृति के अनुरूप है। मेरी यह समझ रही है कि मानवीय संवेदना की सार्वजनिक अभिव्यक्ति से कोई भी आंदोलन कमजोर नहीं बल्कि मजबूत होता है। जाहिर है आंदोलन में हर साथी इस राय से सहमत नहीं हो सकता और मेरी उम्मीद है कि इस सवाल पर एक सार्थक संवाद शुरू हो सकेगा।
किसी भी आंदोलन में व्यक्तिगत समझ से ऊपर होती है सामूहिक राय। मुझे खेद है कि यह निर्णय लेने से पहले मैंने संयुक्त किसान मोर्चा के अन्य साथियों से बात नहीं की। मुझे इस बात का भी दुख और खेद है कि इस खबर से किसान आंदोलन में जुड़े अनेक साथियों को ठेस पहुंची। मैं संयुक्त किसान मोर्चा की सामूहिक निर्णय प्रक्रिया का सम्मान करता हूं और इस प्रक्रिया के तहत दी गयी सजा को सहर्ष स्वीकार करता हूं। इस ऐतिहासिक किसान आंदोलन की सफलता के लिए मैं पहले से भी ज्यादा लगन से काम करता रहूंगा।