23 जुलाई। शनिवार को नागरिक मंच, दिल्ली द्वारा आयोजित एक दिवसीय सेमिनार दिल्ली में हिंद मजदूर सभा के कार्यालय भवन के सेमिनार हॉल में संपन्न हुआ जिसमें कई जाने-माने समाजवादी बुद्धिजीवियों ने शिरकत की। सेमिनार का विषय था- मधु लिमये : स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर आज के संदर्भ में भूमिका। प्रो अजीत झा को मुख्य वक्ता के तौर पर शामिल होना था लेकिन वह अस्वस्थता के चलते नहीं आ सके।
इस अवसर पर प्रो राजकुमार जैन ने जहां आजादी की लड़ाई के दिनों में एक युवा स्वतंत्रता सेनानी की तरह मधु जी के सार्वजनिक जीवन में प्रवेश, एसएम जोशी और साने गुरुजी से लेकर लोहिया के प्रभाव में उनके बनने निखरने, गोवा के स्वतंत्रता संग्राम में उनके गौरवशाली योगदान आदि का जिक्र किया वहीं समाजवादी आंदोलन में लोहिया के बाद सबसे महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले नेता और चिंतक के रूप में उनकी भूमिका पर भी प्रकाश डाला।
विजय प्रताप ने कहा कि मधु जी के अंदर नैतिक ताकत थी। हम समाजवादी राजनीतिक कार्यकर्ता दो विपरीत छोर पर रहते हैं। या तो सत्ता के लिए बिछ जाते हैं या सत्ता से दूर हो जाते हैं। इस असंतुलन को दूर करना होगा। हमें नए सिरे से सोचना पड़ेगा, संस्थाओं की समझ बनानी चाहिए। नए मुद्दों को चिन्हित करना चाहिए। जहाँ आंदोलन चल रहे हैं वहां जाना चाहिए, उससे ऊर्जा उससे मिलती है, वहाँ समस्याओं का समाधान दिखता है।
वरिष्ठ पत्रकार-लेखक अरुण कुमार त्रिपाठी ने सवाल उठाया कि क्या सांप्रदायिक लोगों का हृदय परिवर्तन हो जाएगा? क्या हम यह उम्मीद कर सकते हैं कि फासिज्म समाप्त होगा? कैसे होगा? मधु जी ने आरएसएस से आगाह किया था लेकिन हमें यह भी याद रखना होगा कि शक्तिविहीन सिद्धान्त बांझ होता है। विचारविहीन शांति बेकार होती है। संगठन से हम विचलित हुए, हम बर्बाद हो गए। सत्ता में हमने अपने कार्यकर्ताओं को भेजा लेकिन उन्हें वापस नहीं निकाल पाये।
संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे डा आनंद कुमार ने कहा कि यह बहुत ही खराब समय है। हमें अपने काम का लक्ष्य बनाना चाहिए। उसका बंटवारा करना चाहिए। तरीके से करना चाहिए। मैं आरएसएस से आतंकित नहीं हूँ, इन सबके पीछे कारपोरेट हैं। हमें नये लोगों को जोड़ना चाहिए, जब तक नए लोग नहीं आएंगे तब तक काम आगे नहीं बढ़ेगा। संगोष्ठी में एचएमएस के महासचिव हरभजन सिंह सिद्धू, हरीश खन्ना, अनिल ठाकुर, शंभू सिंह, शारदा जी, संजय कनौजिया आदि ने भी विचार व्यक्त किये। धन्यवाद ज्ञापन के साथ सेमिनार का समापन हुआ।