सुरेन्द्र मोहन की पुण्यतिथि पर लोकतंत्र की फिक्र में जुटे समाजवादी

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17 दिसंबर। समाजवादी समागम के तत्त्वावधान में समाजवादी चिंतक सुरेंद्र मोहन जी की 11वीं पुण्यतिथि के अवसर पर सीएफडी के एनडी पंचोली की अध्यक्षता में ‘लोकतंत्र में जन संघर्षों की अनिवार्यता’ विषय पर दिल्ली के गांधी शांति प्रतिष्ठान संगोष्ठी संपन्न हुई। संगोष्ठी में पीयूसीएल के अध्यक्ष रविकिरण जैन ने कहा कि सुरेंद्र मोहन जी सच्चे समाजवादी और ईमानदार राजनीतिज्ञ व पत्रकार थे। उन्होंने कहा कि सुरेंद्र मोहन जी आजीवन लोकतंत्र और जन संघर्षों के हिमायती रहे ।

हिंद मजदूर सभा के महामंत्री हरभजन सिंह सिद्धू ने कहा कि सुरेंद्र मोहन जी देश भर में जहां कहीं भी संघर्ष होते थे उनका समर्थन करने पहुंच जाते थे। उन्होंने कहा कि किसानों ने जन संघर्षों की शक्ति स्थापित की है जिससे सभी को सीखना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री देश की सार्वजनिक संपत्ति को निजी संपत्ति मानकर बेच रहे हैं। उन्होंने देशभर के नागरिकों से श्रमिकों द्वारा आयोजित हड़ताल का समर्थन करने की अपील की।

दिल्ली विश्वविद्यालय के डॉ अनिल ठाकुर ने कहा कि सुरेंद्र मोहन जी ने समाजवादियों की एकजुटता के लिए आजीवन प्रयास किया। राजद नेता संजय कनौजिया ने कहा कि देश में समाजवादियों की जमात ही संघर्ष करना जानती है।लोकतांत्रिक जनता दल के महामंत्री जावेद रजा ने कहा कि,v सुरेंद्र मोहन जी ने समाजवादी विचार को जीया। सुश्री डॉ भारती ने कहा कि नागरिकों की भूमिका वोट देने तक सीमित नहीं रहनी चाहिए, उन्होंने कहा कि लोकतंत्र को सार्थक बनाने के लिए जन संघर्ष अनिवार्य हैं।

राष्ट्र सेवा दल के अमर सिंह ने कहा कि सुरेंद्र मोहन जी ने मुझे राष्ट्र सेवा दल से जोड़ा तथा मुझे पूर्णकालिक कार्यकर्ता बनाया। असंगठित श्रमिकों के नेता जेएस वालिया ने कहा कि उन्होंने आजीवन कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करने का काम किया। सामाजिक कार्यकर्ता सुश्री रति ने कहा कि सुरेंद्र मोहन जी के सादगीपूर्ण एवं सरल जीवन ने सभी को प्रभावित किया था। एसपीआई के प्रोफेसर श्याम गंभीर ने कहा कि जन के बिना कोई संघर्ष प्रभावकारी नहीं हो सकता।

खुदाई खिदमतगार के फैज़ल ख़ान ने कहा कि सुरेंद्र मोहन जी से कार्यकर्ताओं को गढ़ने तथा संभालने की कला सीखनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मोहब्बत के रास्ते चलकर इंसानियत को कायम करना समाजवाद का लक्ष्य होना चाहिए तथा उसका मुकाबला पूंजीवाद की हैवानियत से है यह जनता को बतलाया जाना चाहिए। सोशलिस्ट पार्टी इंडिया के अध्यक्ष केरल के पूर्व सांसद थम्पन थामस ने कहा कि सोशलिस्ट पार्टी को मजबूत बनाना ही सुरेंद्र मोहन जी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। उन्होंने कहा कि समाजवाद का विचार 1 फीसद पूंजीवादियों के मुकाबले में 99 फीसद जनता के सशक्तीकरण का विचार है। फासीवाद का मुकाबला समाजवादी ही करते हैं। चुनाव और राजनीति पर पूंजी का कब्जा हो गया है जिसके चलते लोकतंत्र कागजों पर सिमट गया है।

अध्यक्षीय भाषण देते हुए एनडी पंचोली ने कहा कि भारत के स्वतंत्रता आंदोलन का इतिहास जन संघर्षों का इतिहास है।सरकारे बदलती रहेंगी लेकिन लोकतंत्र को बचाए और बनाए रखने के लिए जन संघर्षों की आवश्यकता सदा बनी रहेगी।

डॉ सुनीलम ने कहा कि किसानों के ऐतिहासिक आंदोलन ने यह साबित कर दिया है कि संघर्ष के माध्यम से किसी भी सरकार को झुकाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि मोदी के कार्यकाल में देश और दुनिया में सीएए-एनआरसी के खिलाफ तथा किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ ऐतिहासिक संघर्षों को हमने देखा है जिससे बदलाव की उम्मीद बढ़ी है। उन्होंने कहा कि देश के सामने सबसे बड़ी चुनौती देश और लोकतंत्र को बचाने की है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से बंगाल के मतदाताओं ने सांप्रदायिक ताकतों को रोक दिया है, उसी तरह से योगी-मोदी की सांप्रदायिक, कॉर्पोरेटमुखी एवं तानाशाहीपूर्ण राजनीति पर अंकुश लगाने के लिए देश भर के लोकतंत्र, समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता में विश्वास रखनेवाले कार्यकर्ताओं को खुलकर समाजवादी पार्टी का सहयोग और समर्थन करना चाहिए क्योंकि वही भाजपा को हरा सकती है।भाजपा को हराने के लिए समाजवादीयों को एकजुट होने की आवश्यकता है।

कार्यक्रम का संचालन करते हुए अरुण श्रीवास्तव ने कहा कि सुरेंद्र मोहन जी के विचारों का प्रचार-प्रसार आज वक्त की जरूरत है।

धन्यवाद ज्ञापन मंजू मोहन जी ने किया। कार्यक्रम में मैगसेसे अवार्ड विजेता संदीप पांडेय,पार्षद राकेश कुमार सहित वरिष्ठ समाजवादी कार्यकर्ता और नेता मौजूद थे।

– अरुण श्रीवास्तव
महामंत्री, समाजवादी समागम

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