राजनीति

जाति कब टूटेगी

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— संजय कनोजिया — एक समय था जब दकियानूसी तथा पाखंड व अन्धविश्वास से सनी प्रथाओं के बारे में लोग कहते थे कि सती-प्रथा कभी खत्म न होगी, बाल विवाह की प्रथा अनंत काल तक...

‘राष्ट्र के नाम’ संदेश बनाम ‘राष्ट्र का’ संदेश

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— श्रवण गर्ग — जनता अपने प्रधानमंत्री से यह कहने का साहस नहीं जुटा पा रही है कि उसे उनसे भय लगता है। जनता उनसे उनके ‘मन की बात’, ‘उनके राष्ट्र के नाम संदेश’, चुनावी सभाओं...

पसमांदा की पीड़ा

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— अरमान अंसारी — हाजी नेसार अंसारी उत्तर प्रदेश में, मऊ जिले के निवासी हैं। उनके परिवार में कपड़ा बुनने का पुश्तैनी धंधा चला आ रहा है। एक समय उनका धंधा ठीक चलता था। नेसार...

हकीकत पर बंदिश

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— राजकुमार जैन — मोदी जी, हमारे बच्‍चों की वैक्‍सीन विदेश क्‍यों भेज दिया? दिल्‍ली में हकीकत से रूबरू कराते चन्‍द पोस्‍टर क्या लगे कि दामोदरदास नरेन्‍द्र मोदी उर्फ प्रधान सेवक, आपे से बाहर होकर अपने असली रूप...

गैर-भाजपावाद की कामयाबी के लिए समाजवादी एकजुटता की जरूरत

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— सुनीलम — सत्रह मई 1934 को कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी का गठन हुआ था, आज से 87 वर्ष पहले। यदि कोरोना काल नहीं होता तो हम पटना में समाजवादी समागम में अवश्य मिलते लेकिन सोमवार...

अखिल गोगोई की जीत से असम में नई बयार

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— सुनीलम — असम के शिवसागर विधानसभा क्षेत्र से अखिल गोगोई चुनाव जीत गए। गोगोई की जीत विशेष महत्त्व रखती है। उनकी जीत का महत्त्व केवल इसलिए नहीं है कि असम की भाजपा सरकार और...

ऐतिहासिक घटना है किसान मोर्चा व श्रमिक संघों का साथ आना

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— सुनीलम — एक मई को दुनियाभर में मई दिवस, 'दुनिया के मजदूरो एक हो' के नारे के साथ मनाया जाता है। भारत में भी सभी श्रमिक एवं प्रगतिशील संगठन मई दिवस पर कार्यक्रम आयोजित...

‘झांकी’ से आगे

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  — पन्नालाल सुराणा — अयोध्या एक झांकी है, काशी-मथुरा बाकी है। वर्ष 1986 से यह नारा संघ परिवार के लोग ढोल-नगाड़े बजा-बजाकर जनता को सुना रहे हैं। देश में अकाल आए, भूकंप आए, सुनामी आ जाए,...

असम में असंतोष क्या गुल खिलायेगा 

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- अपूर्व कुमार बरुआ - असम में होने जा रहे विधानसभा चुनाव के चलते राज्य के विभिन्न समुदायों के बीच दरारें उभर कर सतह पर आ गई हैं। ये दरारें पहले के मुकाबले और भी...