शौक-ए-दीदार अगर है तो नज़र पैदा कर
— राजेश प्रसाद —
- गुरुदेव, अयोध्या में चल रही भूमि-लीला समझ में नहीं आ रही है! अत्यंत चिंतित हूं।
- हे वत्स, जिसका चित्त प्रभु...
केनेथ कौंडा के बगैर
— अनिल नौरिया —
बीसवीं शताब्दी के एक दिग्गज केनेथ कौंडा नहीं रहे। उनकी गिनती अफ्रीकी मुक्ति संघर्ष के पहली पांत के नेताओं में होती...
आँखों देखा दिल्ली-6 का नज़ारा
— प्रोफ़ेसर राजकुमार जैन —
दिसंबर की रात के 12 बजे, हाड़ कंपकंपाती सर्दी, कड़कती हुई बिजली, घनघोर बारिश के बीच कम्बल ओढ़े, एक हाथ...
जाति कब टूटेगी
— संजय कनोजिया —
एक समय था जब दकियानूसी तथा पाखंड व अन्धविश्वास से सनी प्रथाओं के बारे में लोग कहते थे कि सती-प्रथा कभी...
पत्रकारिता की बलि चढ़ाता मीडिया
— शैलेन्द्र चौहान —
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का काम यह होना चाहिए था कि वह लोगों को जागरूक करे किन्तु टीआरपी के चलते समाचार चैनल इन दिनों...
पसमांदा की पीड़ा
— अरमान अंसारी —
हाजी नेसार अंसारी उत्तर प्रदेश में, मऊ जिले के निवासी हैं। उनके परिवार में कपड़ा बुनने का पुश्तैनी धंधा चला आ...
एक मार्गदर्शक बुद्धिजीवी
– प्रणय कृष्ण –
(यह लेख वर्ष 2015 में प्रो लालबहादुर वर्मा को शारदा देवी शिक्षक सम्मान प्रदान करने के अवसर पर 'मानपत्र' के रूप में...
हिमालय-सा व्यक्तित्व था उनका
— रमेश चंद शर्मा —
पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा जी के अनेक प्रेरणास्रोत रहे। वनाधिकारी उनके पिता अंबाप्रसाद बहुगुणा का देहावसान उनके बचपन में ही हो...
हरदिल अज़ीज़ तुलसी शर्मा
— राजकुमार जैन —
कातिल कोरोना ने जो वज्र प्रहार मुझ पर किया, उस नुकसान की भरपाई तो किसी भी तरह नहीं हो पाएगी। तुलसी...
हिंदू-मुस्लिम हीरे मोती
— मुनेश त्यागी —
आज हमारा देश और समाज बहुत बड़े संकट के दौर से गुजर रहा है। पूरा देश जैसे साम्प्रदायिक फासीवादियों और आतंकवादियों...