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Tag: Contemporary Hindi Poetry

शिव कुमार पराग, केशव शरण, कुमार अरुण की कविताएँ

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— शिव कुमार पराग — गांधी : इनके मारे नहीं मरेंगे   इनके मारे नहीं मरेंगे गाँधी फिर-फिर जी उट्ठेंगे।   नफरत के ठेकेदारों से, हिंसा के पैरोकारों से, कह दो, गाँधी डटे...

लाल्टू की तीन कविताएँ

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1. वक्त आएगा   वक्त आएगा वक्त आएगा वक्त आएगा कि हम दरख्तों के बीच सुर्ख राहों पर चलेंगे हमारे कदमों की आहटें आपस में गुफ्तगू करेंगी   राह पर...

ज्ञानेन्द्रपति की तीन कविताएँ

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1. 8 दिसंबर, 2020 (नये कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का बुलाया भारत-बंद) तुम कहते हो, तुमने किसानों को आजादी दे दी है कि वे देश में कहीं...

स्वप्निल श्रीवास्तव की तीन कविताएँ

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1. किसान   जिस किसान की फसल बरबाद हो गयी हो उस किसान का रोना आपने देखा है क्या आपने देखी है उस आततायी की हँसी जो दमन की...

संजय कुंदन की दो कविताएं

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1. सवाल है कि   राजधानी में सवाल उठ रहा है कि किसानों ने धोती क्यों नहीं पहन रखी है मैली-कुचैली, क्यों नहीं है उनका गमछा तार-तार, जैसा दिखता है...

समय का साक्ष्य और भाष्य रचता कवि

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— रामप्रकाश कुशवाहा —  समकालीन शीर्षस्थ हिंदी कवियों में से एक ज्ञानेन्द्रपति का कवि अपनी कविताओं के साथ मूल्यांकन और पहचान के तीसरे दौर में प्रवेश कर...

सुरेन्द्र वाजपेयी के तीन गीत

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1. आशंका जहाँ-तहाँ गड़बड़झाला है,      जाने क्या होने वाला है!   रंग बदलते कानूनों के, तेवर बदल गये, सीमाओं से बाहर आखिर, रिश्ते निकल गये,      अधिकारों के नंगे...

राम जन्म पाठक की सात कविताएँ

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रात : एक   रात, गहरी रात है डूबता है एक सितारा और अपनी गर्त में बाँहों में सिमटता जा रहा हूँ उस अमा के खाँसती है चाँदनी और फिर मखमली सपने तिमिर...

कवि-कर्म का पुनर्शोध

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— रामप्रकाश कुशवाहा — अपने सम्वेदनाधर्मी शिल्प के कारण निलय उपाध्याय की कविताएं विशिष्टता का अलग प्रतिमान रचती हैं। अपनी छठी कविता-पुस्तक दहन राग संग्रह की कविताओं को  वरिष्ठ कवि...

मदन कश्यप की पाँच कविताएं

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1. खो गया है   नदी भी है और गांव भी है बस घाट कहीं खो गया है   दूर दूर रहने या डूब डूब जाने से अलग एक शीतल स्पर्श का बाट कहीं खो...

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