जो नहीं हो सके पूर्ण-काम
मैं उनको करता हूँ प्रणाम!
कुछ कुंठित औ’ कुछ लक्ष्य-भ्रष्ट
जिनके अभिमंत्रित तीर हुए,
रण की समाप्ति के पहले ही
जो वीर रिक्त तूणीर हुए!
– उनको प्रणाम !
जो छोटी-सी नैया लेकर
उतरे करने को उदधि-पार ;
मन की मन में ही रही, स्वयं
हो गए उसी में निराकार !
– उनको प्रणाम !
जो उच्च शिखर की ओर बढ़े
रह-रह नव-नव उत्साह भरे,
पर कुछ ने ले ली हिम-समाधि
कुछ असफल हो नीचे उतरे !
– उनको प्रणाम !
एकाकी और अकिंचन से
जो भू-परिक्रमा को निकले ;
हो गए पंगु, प्रति-पद जिनके
इतने अदृष्ट के दाँव चले !
– उनको प्रणाम !
कृत्कृत्य नहीं जो हो पाये ;
प्रत्युत फाँसी पर गए झूल,
कुछ ही दिन बीते हैं, फिर भी
यह दुनिया जिनको गई भूल !
– उनको प्रणाम !
थी उग्र साधना, पर जिनका
जीवन नाटक दुःखांत हुआ !
था जन्म-काल में सिंह लग्न
पर कुसमय में देहांत हुआ !
– उनको प्रणाम !
दृढ़ व्रत औ’ दुर्दम साहस के
जो उदाहरण थे मूर्तिमंत ;
पर निरवधि बंदी जीवन ने
जिनकी धुन का कर दिया अंत !
– उनको प्रणाम !
जिनकी सेवाएँ अतुलनीय
पर विज्ञापन से रहे दूर ;
प्रतिकूल परिस्थिति ने जिनके
कर दिए मनोरथ चूर-चूर !
– उनको प्रणाम !
(1939)