गाँधी और पटेल के गुजरात को ‘नशे का गेटवे’ बना दिया भाजपा ने : अनुपम
9 अक्टूबर। बेरोजगारी के खिलाफ देश की सबसे बड़ी आवाज ‘युवा हल्ला बोल’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुपम ने पिछले दिनों बेरोजगारी के खिलाफ पूरे बिहार में हल्लाबोल यात्रा की थी। उनकी इस यात्रा को काफी उत्साहपूर्ण समर्थन भी मिला। अब बेरोजगारी का मुद्दा जोर-शोर से उठाने के लिए उन्हें गुजरात से भी न्योता मिला है। सीटीएम के पास कुशाभाऊ ठाकरे ऑडिटोरियम में आयोजित ‘हल्ला बोल सम्मेलन’ को संबोधित करने के लिए अनुपम रविवार को अहमदाबाद में थे। सम्मेलन में युवाओं और महिलाओं की जोरदार भागीदारी देखी गयी। राष्ट्रव्यापी आंदोलन खड़ा करने की जरूरत और रणनीति पर अनुपम ने सभा को संबोधित किया। सम्मेलन के मुख्य आयोजक ‘युवा हल्ला बोल’ नेता अर्जुन मिश्रा रहे जिन्होंने यह भरोसा दिलाया कि पूरे गुजरात के युवा इस संघर्ष में अनुपम के साथ हैं।
इस अवसर पर अनुपम ने चिंता जताई कि महात्मा गाँधी और सरदार पटेल के गुजरात को भाजपा ने आज ‘नशे का गेटवे’ बना दिया है। जो गुजरात पूरे देश को नमक सप्लाई करता था, वो आज ड्रग्स सप्लाई कर रहा है। कभी गाँधी जी ने नमक के लिए कानून तोड़ा था। आज ड्रग्स के लिए गुजरात में कानून तोड़ा जा रहा है। आखिर क्या कारण है कि जो ड्रग्स आंध्रा और तमिलनाडु भी जाता हो, वो भी गुजरात के बंदरगाह पर ही क्यों आता है?
बेरोजगारी और नशे के कारण आज युवाओं की पूरी पीढ़ी बर्बाद हो रही है। हताशा में युवा आत्महत्या करने लगे हैं। मतलब बेरोजगारी जीवन मरण का सवाल बन चुका है। अनुपम ने कहा कि आज सबसे बड़ी जरूरत है युवाओं को इस हताशा और निराशा से निकालकर उम्मीद और समाधान की तरफ ले जाना।
बताते चलें कि पिछले चार सालों से देश भर में सरकारी भर्तियों में पारदर्शिता और बढ़ती बेरोज़गारी के खिलाफ़ ‘युवा हल्ला बोल’ आंदोलन चलाया जा रहा है। इस आंदोलन ने यूपीएससी, एसएससी, जीपीएससी समेत देश के तमाम भर्ती आयोगों से भ्रष्टाचार खत्म करने की लड़ाई लड़ी है। आंदोलन की हमेशा से मांग रही है कि सरकारी भर्तियां समयबद्ध एवं पारदर्शी तरीके से हों।
‘युवा हल्ला बोल’ संस्थापक अनुपम ने कहा कि एक तरफ देश में महँगाई गरीबी बेरोजगारी बढ़ रही है लेकिन प्रधानमंत्री जी के दो मित्र हैं जो अमीरी के रिकॉर्ड तोड़ रहे हों। नाव डूब रही है, लेकिन नाव में बैठे दो लोग उड़ कैसे रहे हैं? हर सोचने समझने वाले व्यक्ति के जेहन में यह प्रश्न आने चाहिए। हर युवा को सत्ता से यह सवाल पूछना चाहिए। अनुपम ने कहा कि देश को वर्तमान परिस्थितियों से निकालने का बड़ा काम वही देशभक्त कर सकते हैं जो समझदार, ईमानदार और निडर हों। ऐसे ही युवा नेतृत्व को तलाशने और तराशने के लिए देशभर में घूम रहे हैं। अनुपम ने सभा में उपस्थित लोगों से अपील की कि वो अपना एक साल इस आंदोलन को दें। सम्मेलन में सभी वक्ताओं ने अनुपम के प्रति समर्थन व्यक्त किया और युवा आंदोलन को हर तरीके से मजबूत करने का प्रण लिया।
सभा को संबोधित करते हुए ‘युवा हल्ला बोल’ के कार्यकारी अध्यक्ष गोविंद मिश्रा ने कहा कि बेरोजगारी अब राष्ट्रीय आपदा बन चुकी है। देश के युवाओं में भारी आक्रोश है जो अब कभी भी आजादी के बाद देश के सबसे बड़े आंदोलन का रूप ले सकता है। बेरोजगारी पिछले 45 सालों का रिकॉर्ड तोड़ चुकी है। ऐसे में युवा आंदोलन ने अनुपम के नेतृत्व में इस आपदा से निकलने का उपाय बताया है।
अनुपम ने कहा कि बेरोजगारी के भीषण संकट से निपटने के लिए देश में अब ‘भारत रोजगार संहिता’ यानी भ-रो-सा की जरूरत है। भारत रोजगार संहिता’ के तीन मुख्य बिंदु हैं :
1) सरकारी भर्तियों में ‘मॉडल एग्जाम कोड’ लागू करके 9 महीने में विज्ञापन से नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी करो
• रिक्त पड़े सभी सरकारी पदों को तुरंत भरो
• पेपर लीक, धांधली या देरी जैसे मामलों में स्पष्ट जवाबदेही तय हो
• मॉडल कोड का पालन न होने पर अभ्यर्थियों को मुआवजा मिले
2) हर नागरिक को रोजगार की गारंटी हो
• न्यूनतम आय पर काम करने को तैयार हर वयस्क को उनके घर के नजदीक रोजगार दो
• इससे अर्थव्यवस्था में सुधार होगी और करोड़ों परिवार गरीबी से बाहर आएंगे
3) देश की संपत्तियों को बेचकर बड़े धन्नासेठों को फायदा देना बंद हो
• स्कूल अस्पताल को गरीबों की पहुँच से बाहर करने वाली नीतियां बंद करो
• सरकारी बैंक अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, इन्हें बेचने की बजाए स्वायत्तता दो
• रेलवे को बेचने की बजाए खाली पदों पर जल्द भर्ती करो
• सेना विरोधी ‘अग्निपथ’ स्कीम वापिस लो और नियमित नौकरियों में ठेका प्रथा बंद करो
अहमदाबाद में ‘हल्ला बोल सम्मेलन’ के आयोजक व आंदोलन के नेता अर्जुन मिश्रा ने कहा ‘भरोसा’ के लिए पूरे गुजरात में अभियान चला कर युवाओं को मुहिम का हिस्सा बनाया जाएगा।
अर्जुन मिश्रा ने कहा कि ‘भारत रोजगार संहिता’ को लागू करवाने का एक ही तरीका है कि देश के नागरिक एकजुट होकर अपनी आवाज बुलंद करें। एक सकारात्मक आंदोलन हो जो सरकारों को मजबूर करे रोजगार पर ठोस कदम उठाने के लिए। जैसी परिस्थिति है उसे देखकर लगता है कि साल भर के अंदर स्वतंत्र भारत का सबसे बड़ा आंदोलन हो सकता है।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए ‘युवा हल्ला बोल’ के कार्यकारी अध्यक्ष गोविन्द मिश्रा ने कहा कि देश के युवाओं को नौकरी रोजगार दिलाना सरकार की प्राथमिकताओं में नहीं है। न ही खाली पड़े सरकारी पदों के लिए भर्ती निकाली जा रही है और न ही लंबित भर्तियों को पूरा करवाने के लिए कोई कार्यवाही हो रही है।
बदलेगा हवा, देश का युवा
देश में आज डर का माहौल बनाया जा रहा है। फिल्मकार डरे हुए हैं कि अगर सरकार पर कोई टिप्पणी कर दी तो अगली फिल्म रिलीज नहीं होगी। उद्योगपति डरे हैं कि सत्ताधारी पार्टी की आलोचना कर दी तो धंधा नहीं कर पाएंगे। मीडियाकर्मी डरे हैं कि सवाल पूछ दिया तो चैनल से छुट्टी हो जाएगी और यूट्यूब तक सीमित रह जाएंगे। नौकरी करने वाले डरे हुए हैं कि कुछ बोला तो प्रोमोशन रुक जाएगा। हर कोई जो डरा है उसके पास कुछ न कुछ खोने को है। जबकि बेरोजगार युवाओं के पास खोने को कुछ है ही नहीं और पाने को सब कुछ है। पूरा भविष्य दांव पर लगा है। इसलिए युवाओं को तो किसी से डरना ही नहीं चाहिए। देश के जो आज हालात हैं, उन्हें बदलने का काम युवा वर्ग ही करेगा। यही कारण है कि आंदोलन में ‘बदलेगा हवा, देश का युवा’ का नारा दिया गया है।