गृहमंत्री चौधरी चरण सिंह को मंत्रिमंडल से हटाया गया। – पांचवीं किस्त

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— प्रोफेसर राजकुमार जैन —

प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने राजनारायण जी से मंत्रिमंडल से इस्तीफा मांगने के साथ ही 29 जून 1978 को गृहमंत्री चौधरी चरण सिंह से भी इस्तीफा देने को कहा।

चौधरी चरण सिंह से इस्तीफा मांगने के पीछे प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई तथा गृहमंत्री चौधरी चरण सिंह के बीच आपातकाल को लागू करने वाले दोषियों को सजा देने को लेकर था। चौधरी चरण सिंह की मान्यता थी कि आपातकाल की दोषी श्रीमती इंदिरा गांधी को अभी तक दंडित न करना जनता में गलत संदेश दे रहा है। वहीं मोरारजी देसाई का कहना था कि आपातकाल की ज्यादतियों की जांच और उसकी सजा के लिए शाह कमीशन बैठा हुआ है उसकी रिपोर्ट के आधार पर सरकार फैसला करेगी। तथा इस कार्य के लिए विशेष कानून बनाने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि वर्तमान कानूनों में हर प्रकार के जुर्म की सजा का प्रावधान है। उसके अनुसार ही निर्णय होना चाहिए जल्दबाजी में किसी नई प्रक्रिया को अपनाकर दोषियों को सजा देना मेरी नजर में उचित नहीं है। देसाई ने यहां तक कहा कि श्रीमती इंदिरा गांधी को जनता ने सजा दे दी है, तथा भविष्य में भी उनको सजा मिलेगी।

जनता उनके द्वारा किए गए कार्यों को भूली नहीं है, तथा आपातकाल को एक बुरा सपना मानकर भूल जाना चाहिए।

इसी बीच 28 जून को चौधरी चरण सिंह ने एक साक्षात्कार में कहा- आपातकाल के दोषियों को सजा न देने से जनता में यह संदेश जा रहा है कि वर्तमान सरकार नपुंसकों से भरी हुई अक्षम सरकार है। खास तौर पर वह लोग महसूस कर रहे हैं जिन्होंने आपातकाल में बेहद ज्यादतियां सही हैं। ऐसे लोगों की इच्छा है कि श्रीमती इंदिरा गांधी को मीसा में गिरफ्तार कर लेना चाहिए। अगर किसी दूसरे देश में ऐसा हुआ होता तो श्रीमती इंदिरा गांधी को ऐतिहासिक न्यूरिंमबर्ग ट्रायल की तरह केस का सामना करना पड़ता।

मोरारजी देसाई ने चौधरी चरण सिंह से इस्तीफा मांगते हुए लिखा –

प्रिय चरण सिंह जी,
कल आपने जो प्रेस वक्तव्य जारी किया, उसको जानकर मैं अचम्भित तथा दुखी हूं। मुझे यकीन नहीं हो रहा कि आप जैसा अनुभवी राजनेता केंद्रीय मंत्रिमंडल का सदस्य रहते हुए सार्वजनिक रूप से इस विषय को इस तरह प्रकट करेगा। आप भलीभांति मंत्रिमंडल की सामूहिक साझा संस्कृति से परिचित हैं, आपके वक्तव्य से साफ झलकता है कि हम श्रीमती गांधी तथा उनके सहयोगियों के खिलाफ कदम उठाने से पीछे हट रहे हैं। तथा कार्रवाई नहीं करना चाहते। मंत्रिमंडलीय परंपरा का यह नियम नहीं है कि आप मंत्री पद पर रहते हुए सार्वजनिक रूप से सरकार को एक नपुंसक सरकार कहें, मैंने इस विषय पर आज मंत्रिमंडल की आपातकाल आपात बैठक बुलाई थी, मंत्रिमंडल के सदस्यों की एकमत से राय थी कि कार्रवाई की जाए तथा आपके वक्तव्य को न तो नजरअंदाज, तथा माफ किया जा सकता है।

इन परिस्थितियों में प्रधानमंत्री के नाते मेरा दुखदायी कर्तव्य है कि मैं आपसे मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने को कहूं।
आपका
मोरारजी देसाई

मोरारजी देसाई के खत के जवाब में चौधरी चरण सिंह ने अपना इस्तीफा भेजते हुए लिखा-

प्रिय मोरारजी भाई,
रात्रि के लगभग 10 बजे आपका पत्र मिला। परंतु मैं उसको पढ़ नहीं पाया, सुबह मैंने आपका पत्र पढ़ा। आपकी इच्छानुसार तत्काल प्रभाव से मैं इस्तीफा दे रहा हूं। आपके इस कार्य के पीछे असली कारण क्या है उसको मैं उचित स्थान, पार्टी, संसद में रखूंगा।
आपका
चरण सिंह

मोरारजी, जगजीवन राम, जनसंघ तथा चंद्रशेखर खेमा, राजनारायण, चौ. चरण सिंह को मंत्रिमंडल से निकाले जाने पर प्रसन्नता व्यक्त कर रहा था।

चौ. चरण सिंह के इस्तीफे के साथ ही भारतीय लोकदल के कोटे से बने चार राज्यमंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया तथा पार्टी के महामंत्री रवि राय ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया। जिस शिमला की सभा में राजनारायण जी के भाषण देने के कारण उन्हें मंत्रिमंडल से हटाया गया था, उस समय वहां के मुख्यमंत्री शान्ता कुमार, जो कि जनसंघ घटक के थे, उन्होंने अपनी आत्मकथा में लिखा है, ‘‘देसाई कई कारणों से राजनारायण को मंत्रिमंडल से निकालना चाहते थे, परंतु मैं नाहक ही उनके निष्कासन का मोहरा बन गया। यहां तक कि एक बार वाजपेयी जी ने नाराज़गी से मेरे को कहा कि तुम्हें क्या ज़रूरत थी रिपोर्ट भेजने की।’’

आरएसएस के मुखपत्र ‘ऑर्गनाइजर’ ने मोटे शीर्षक के साथ केंद्रीय संसदीय बोर्ड के निर्णय का समर्थन करते हुए लिखा, ‘‘समय पर कार्रवाई करके पार्टी को बचाया।’’

चौ. चरण सिंह के समर्थकों की ओर से 17 जून 1978 को दिल्ली में किसान रैली करने का निर्णय ले लिया गया। चौ. देवीलाल हरियाणा के मुख्यमंत्री थे। उन्होंने चौ. चरण सिंह और राजनारायण को मंत्रिमंडल से हटाये जाने पर तीव्र प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सार्वजनिक रूप से बयान दे दिया कि इन दोनों को पार्टी के बड़े नेताओं की साजिश का शिकार बनाया गया है।

चौ. देवीलाल के आरोपों पर विचार करने के लिए 4 जुलाई 1978 को पार्लियामेंटरी बोर्ड की बैठक बुलाई गई तथा उसमें निर्णय किया गया कि चौ. देवीलाल मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दें। उनके स्थान पर नये मुख्यमंत्री का चयन किया जाए। बैठक के लिए जार्ज फर्नांडीज़ पर्यवेक्षक बनाए गए।

(जारी)

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