19 अप्रैल। दिल्ली स्थित प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करके एसपीईसीटी फाउंडेशन ने अपनी रिपोर्ट जारी की, जोकि देश के मुसलमानों की वास्तविक स्थिति को बयां करती है। एसपीईसीटी फाउंडेशन द्वारा जारी इस रिपोर्ट में 10 अल्पसंख्यक बहुल जिलों में सामाजिक आर्थिक पिछड़ेपन को देखा गया। चुने गए जिलों में अररिया(बिहार), पूर्णिया(बिहार), किशनगंज(बिहार), कटिहार(बिहार), धुबरी(असम), कोकराझार(असम), श्रावस्ती(उत्तर प्रदेश), बलरामपुर(उत्तर प्रदेश), मालदा(पश्चिम बंगाल) और मुर्शिदाबाद(पश्चिम बंगाल) शामिल हैं। इस रिपोर्ट में 10 मुस्लिम बहुल जिलों को इसलिए चुना गया, ताकि समानता के प्रश्न को राजनीतिक विमर्श में वापस लाया जा सके।
गौरतलब है कि मुस्लिम समुदाय के सामाजिक-आर्थिक पिछड़ेपन के साथ-साथ अल्पसंख्यक जिलों के प्रणालीगत पिछड़ेपन के बारे में चर्चा पिछले 8-10 वर्षों में सार्वजनिक क्षेत्र से काफी हद तक गायब हो गई है। लेकिन मौजूदा सत्तारूढ़ व्यवस्था ने मुस्लिम-विरोधी पूर्वाग्रह प्रदर्शित करते हुए ‘मुस्लिम तुष्टिकरण’ के निराधार विचार को आगे बढ़ाते हुए पूरे विमर्श को ही बदल दिया है। मुसलमानों के सामाजिक-आर्थिक पिछड़ेपन के दुखद इतिहास को कई तरह के मनगढ़ंत आख्यानों से बदल दिया गया है, जो भारत के मुस्लिम समुदाय को कलंकित, रूढ़िबद्ध या अपराधी बनाने की कोशिश करते हैं। इस रिपोर्ट को जारी करते वक्त प्रोफेसर अर्पूवानंद, इतिहासकार एस. इरफ़ान हबीब, दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफेसर नंदिनी सुंदर, पत्रकार अनिल चमड़िया, पत्रकार प्रशांत टंडन और स्पेक्ट फाउंडेशन की तरफ से डॉ. बनूज्योत्स्ना और डॉ. साजिद अली मौजूद रहे।