27 जनवरी। जोशीमठ में भू-धंसाव को लेकर अब लोग और ज्यादा आक्रोशित हो गए हैं। एनटीपीसी की टनल का विरोध समेत विभिन्न माँगों को लेकर स्थानीय लोगों ने आंदोलन खड़ा कर दिया है। शुक्रवार को बड़ी संख्या में लोग जोशीमठ संघर्ष समिति के बैनर तले नगरपालिका परिषद के सामने एकत्रित हुए। आंदोलनकारियों ने एनटीपीसी और सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर विरोध जताया। आंदोलनकारियों ने कहा कि भू-धंसाव के लिए एनटीपीसी की विद्युत परियोजना और हेलंग-मारवाड़ी बाईपास जिम्मेदार है, अतः इसे स्थायी तौर पर बंद कर देना चाहिए। एनटीपीसी वापस जाओ के नारे भी लगाए। उन्होंने आगे कहा कि यदि सरकार इनको बचाने का प्रयास करती है, तो आंदोलन और उग्र होगा।
‘जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति’ के संयोजक अतुल सती ने ‘अमर उजाला’ के हवाले से बताया कि सभी लोगों की राय है कि जोशीमठ की बर्बादी के लिए एनटीपीसी की तपोवन जल विद्युत परियोजना जिम्मेदार है। इसे तुरंत बंद करके कंपनी को वापस भेज देना चाहिए। साथ ही जोशीमठ के नीचे से बनाए जा रहे हेलंग-मारवाड़ी बाईपास को बनाने का फैसला भी वापस लिया जाना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि यदि सरकार एनटीपीसी और बाईपास को बचाने का प्रयास करती है, तो आंदोलन उग्र होगा। विदित हो कि अभी तक जोशीमठ में 863 मकानों में दरारें दर्ज की गई हैं, जबकि 181 भवनों को पूरी तरह से असुरक्षित घोषित किया जा चुका है। वहीं होटल मलारी इन और माउंट व्यू के ध्वस्तीकरण का काम जारी है।
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